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मौलवियों के फतवे लोगों पर न थोपे जाएं ! – सुप्रीम कोर्ट

फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, कलियुग वर्ष ५११५

फतवे मानना या न मानना लोगों पर निर्भर करता है !


नई दिल्ली : एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, फतवे मानना या न मानना लोगों पर निर्भर करता है। दारूल कजा व दारूल इफ्ता जैसी संस्थाओं का काम राजनीतिक धार्मिक मसला है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा मौलवियों की ओर से जारी फतवे लोगों पर थोपे नहीं जा सकते। सरकार को ऎसे फतवे मानने से इनकार करने वाले लोगों को उत्पीड़न से बचाना चाहिए।

अदालतों को तभी दखल देना चाहिए जब उनके फैसलों से किसी के अधिकारों का हनन हो रहा हो। कोर्ट ने कहा, जब एक पुजारी दशहरे की तिथि बताता है तो वह किसी को उसी दिन दशहरा मनाने को बाध्य नहीं कर सकता।

याचिकाकर्ता की ओर से फतवे को असंवैधानिक बताने पर कोर्ट ने कहा, यदि कोई उसे मानने को बाध्य करता है तो हम सुरक्षा कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा, कुछ फतवे जनहित में भी जारी किए गए हो सकते हैं।

स्त्रोत : नितीसेन्ट्रल

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