गुजरातके दंगोंके कारण नरेंद्र मोदीको अपमानित करनेवाले कांग्रेसियों, इस सत्यको अनदेखा न करें !

फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वितिया, कलियुग वर्ष ५११५

समाचारकी भीडमें कुछ महत्त्वपूर्ण विषय पीछे रह जाते हैं ।

इसपर प्रकाश डालनेवाला लेख …

जातीय दंगोंमें कांग्रेसका रक्तरंजित इतिहास !


 कांग्रेस पिछले १२ वर्षोंसे गुजरातमें मचे दंगोंका दिखावा कर नरेंद्र मोदीको लक्ष्य कर रही है । वर्ष १९६९ से १९९२ की कालावधिमें गुजरातमें कांग्रेसका कार्यकाल था । इस कालावधिमें कितने दंगे हुए यह जान लिया, तो उनके ध्यानमें आएगा कि स्वपक्षका इतिहास कितना रक्तरंजित है ।

गुजरातमें कांग्रेसके कार्यकालमें हुए दंगोंकी सूची आगे दिएनुसार  है । 


(यह दंगा कर्णावतीमें हुआ एवं उसमें ५ सहस्र मुसलमान मारे गए थे )

केंद्रसरकारद्वारा दंगेमें मृत व्यक्तियोंकी जानकारी धर्मके आधारपर प्रथम बार ही घोषित की गई । गृहमंत्रालयद्वारा नवंबर २०१३ में प्रसिद्ध अंकवारीके अनुसार इस वर्ष (१ जनवरी से) १५ सितंबर २०१३ तक मुजफ्फरनगरके साथ देशके विविध क्षेत्रोंमें ४७९ दंगे हुए । इन दंगोंमें १०७ नागरिक मृत हुए, जिसमें ६६ मुसलमान एवं ४१ हिंदु थे ।

(संदर्भ : हिंदी पाक्षिक वन्दे मातरम् १ से १५ नवंबर २०१३)

मुजफ्फरनगर दंगेमें धर्मांधोंकी सिद्धता तथा समाजवादी एवं कांग्रेस सरकारकी अनदेखी ! 

मुजफ्फरनगरका दंगा पूर्वनियोजित तथा पूरी सिद्धताके साथ किया गया था, यह स्पष्ट करनेवाले सूत्र –
१. मुझफ्फरनगरमें ४ मस्जिदोंमें दारूगोला पाया गया । इसलिए उन्हें ताला लगाया गया !
२. वहांके और एक नेताके घर तथा सैंकडो मुसलमानोंके घरोंमें  दारूगोला पाया गया !
३. शामलीके एक धर्मांध डॉक्टरके रुग्णालयकी रुग्णवाहिकासे भारी संख्यामें शस्त्र जप्त किए गए । इन शस्त्रोंमें एके-४७ बंदुकें एवं हाथबम पाया गया !

४. धर्मांधोंको बाटनेके लिए ४ ट्रक भरकर लाए शस्त्र सैन्यने नियंत्रणमें लिए । इन शस्त्रोंमें एके -४७ एवं हाथबम थे !
५. शामलीके एक धर्मांध नेताके घरमें कुछ बांग्लादेशी धर्मांध पाए गए । भारतीय सैन्यद्वारा सब मारे गए !
६. किरथल गांवमें एक शांतिप्रिय नेताके घरसे भारी संख्यामें एके-४७ बंदुककी गोलियां जप्त की गई !
७. गंगनहर गांवमें अनेक हिंदुओंकी हत्या की गई । उनके शरीरमें एके-४७ बंदुककी गोलियां मिलीं !  

(संदर्भ : हिंदी पाक्षिक वन्दे मातरम् १ से १५ नवंबर २०१३)

(हिंदुओ, दंगेके संदर्भमें यह भीषण सत्य कोई राजनीतिक पक्ष, लोकप्रतिनिधि, पुलिस, प्रशासन तथा प्रसारमाध्यम आदिने आपतक नहीं पहुंचाया, यह ध्यानमें लें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

देशवासियोंको बांग्लादेशी घुसपैठियोंकी झूठी अंकवारी देकर उनका समर्थन करनेवाली देशद्रोही कांग्रेस सरकार ! 

लोकसभामें बांग्लादेशी घुसपैठियोंके विषयमें जानकारी देते हुए तत्कालीन विदेशमंत्री प्रणव मुखर्जीने कहा कि भारतमें रहनेवाले बांग्लादेशी नागरिकोंकी संख्या १५ से २० लाख होगी । विपक्षके नेताओंने कहा कि यह अंकवारी झूठी है । तथापी बांग्लादेशी घुसपैठियोंकी समस्याका गांभीर्य कितना है, यह आगेके सूत्रोंसे ध्यानमें आएगा ।

१. अकेले देहलीमें लगभग ५ लाख तथा मुंबई, कोलकाता एवं पश्चिम बंगाल राज्यमें मिलाकर लगभग ३० लाख बांग्लादेशी नागरिक रहते हैं । 

२. बांग्लादेशी घुसपैठियोंके कारण आसामके अनेक जिलोमें लोकसंख्याका संतुलन बिगड गया है ।  
३. पूरे देशमें लगभग ५.८ करोड बांग्लादेशी घुसपैठिए निवास कर रहे हैं । इसलिए भारतकी सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक स्थिति बिगड गई है तथा देशकी एकता एवं अखंडताही संकटमें आई है । 

४. आय.एस.आय.द्वारा इन घुसपैठियोंका उपयोग भारतविरोधी कार्यवाहियां करने हेतु किया जाता है, अनेक बार ऐसा सिद्ध हो गया है ।
५. पाकिस्तानमें आतंकवादी प्रशिक्षण लेनेवाले आतंकवादी बांग्लादेशमार्गसे भारतमें प्रवेश कर रहे हैं । 
एक ओर कांग्रेसी राजनेताओंकी नपुंसकता एवं ‘व्होटबैंक’की राजनीतिके कारण राष्ट्रपर बडा संकट आया है, तो दूसरी ओर इस बढते संकटके विषयमें राष्ट्रनिष्ठ संगठन चिंतित हैं । 

(संदर्भ : हिंदी पाक्षिक वन्दे मातरम् १ से १५ नवंबर २०१३)
(हिंदुओ, केवल चिंतित होनेका कोई उपयोग नहीं है । बांग्लादेशी घुसपैठियोंके लिए आपसे झूठा बोलनेवाली देशद्रोही कांग्रेस सरकारका सच्चा स्वरूप जानें एवं बांग्लादेशी घुसपैठियोंके साथ अब कांग्रेसको भी सीमापार करने सिद्ध होइए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) 

मदरसोंको १५ अगस्त एवं २६ जनवरीको तिरंगा ध्वज फहराने हेतु देशद्रोही कांग्रेसद्वारा विशेष अनुदान ! 

 ३१ दिसंबर २०१३ को ‘द टाईम्स ऑफ इंडिया’ तथा ‘रेडिफ.कॉम’द्वारा प्रसारित समाचारमें ऐसा उल्लेख किया गया है कि ११ वें पंचवार्षिक योजनामें केंद्रीय मंत्रीमंडलद्वारा निर्णय लिया गया है कि १५ अगस्त एवं २६ जनवरीको तिरंगा फहरानेहेतु विशेष अनुदान दिया जाएगा ।

इस घृणास्पद निर्णयके पीछे कांग्रेसके ६० वर्ष पुरानी मानसिकता है । सरकारके इस निर्णयके कारण अनेक प्रश्न उत्पन्न हो गए है ।

१. तिरंगा फहराना धर्मपर आधारित है अथवा देशभक्तिपर ?
२. क्या मदरसोंमें तिरंगा फहराने हेतु ऐसी रिश्वत देना योग्य है ?
३. भारतीय ध्वज फहराना राष्ट्रीय कर्तव्य होते हुए उसके लिए सामान्य जनताके जेबमेंसे विशेष अनुदान देना क्या करदाताओंका विश्वासघात नहीं है ?

४. कांग्रेसने स्वीकार किया है कि मदरसोंमें तिरंगा नहीं फहराया जाता तथा देशभक्त नहीं निर्माण किए जाते । यह सिद्ध होते हुए भी मदरसोंको दंड देनेके स्थानपर पुरस्कार पारितोषिक क्यों दिया जाता है ?

५. क्या देशभक्ति क्रय करने हेतु रिश्वत देनेतक कांग्रेसका पतन हो गया है ?  
(संदर्भ : हिंदी पाक्षिक वन्दे मातरम् १ से १५ नवंवबर २०१३)
 (एक ओर कांग्रेसी राजनेता मदरसाओंमें देशभक्त सिद्ध होनेकी गर्जना करते हैं, जबकि दूसरी ओर उन्ही मदरसोंको धन देकर देशभक्ति क्रय करते हैं ! हिंदुओ, भारतमाताका शत्रु कौन है, यह जानकर समयपर ही जागृत होइए !

– संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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