बीकानेर (राजस्थान) – मैं हिन्दू राष्ट्र का पूर्णतः समर्थन करता हूं । जब यह हिन्दू राष्ट्र होगा, तब ही यह भारत बचेगा, यह विश्व बचेगा । मैं किसी भी बुद्धीजीवी को आव्हान देता हूं की, वह इस बात को गलत ठहरा के दिखाएं । आज के स्थिति में हिन्दू राष्ट्र स्थापनाकी आवाज उठनी चाहिएं । इस विषय में हमारी धारणा स्पष्ट हैं । हिन्दूत्व मातृत्व हैं, दुर्गा हैं । जो सारे मनुष्य की तरह रहनेवाले प्रत्येक लोगों को समाविष्ट करता हैं, ऐसा प्रतिपादन संवित् श्री सोमगिरिजी महाराज ने रविवार, ९ अगस्त को यहांपर किया । वे बीकानेर के आनंद-निकेतन सभागृह में गोवा राज्य से संचालित हिन्दू जनजागृति समिति की आेरसे आयोजित हिन्दू धर्मजागृति और संगठन की आवश्यकता इस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे ।
भीनासर के पू. रघुवीर महाराज ने कहां, हमें स्वयं के साथ अपने घर में परिवर्तन लाना होगा। साथ ही इस संस्कृति पर आघात करनेवालों से सतर्क रहना होगा । संवित् श्री सुबोधगिरिजी महाराज ने शासन को आवाहन किया की, एक आयोगद्वारा विभिन्न धर्म एवं पंथों की समीक्षा की जाएं । इससे वैज्ञानिक, दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक स्तरपर एकमेव हिन्दू संस्कृति का महत्त्व विश्व के सामने आ सकता हैं । मानवता की दृष्टी रखनेवाली एकमात्र हिन्दू संस्कृति हैं ।
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेशजी शिंदे ने विभिन्न राज्यों में संस्कृतिपर हो रहे आघात तथ्यों के साथ प्रोजेक्टरद्वारा सभी के सामने रखे । उन्होंने कहां की, हमें अपने घर से संस्कृति एवं धर्म के अनुसार आचरण करना होगा । तो आगे जाकर समाज और राष्ट्र तक बढेगी और इससे हिंदू राष्ट्र की स्थापना मे सहायता होगी ।
हिन्दूआें को शौर्य जागृत करने की आवश्यकता !
इस समय संवित् श्री सोमगिरिजी महाराजने आगे कहां, यदी आप प्रामाणिकता से विज्ञान में आगे बढेंगे, तो हिंदुत्वका आपको अवश्य स्वीकार होगा । आज विज्ञान एवं तंत्रज्ञान का युग हैं । इसलिए इनका उपयोग कर हमें धर्म की रक्षा करनी होगी । पर आज हिन्दू बकरी, भेड और सियार बन गएं हैं । उन्होंने यह ध्यान में लेना चाहिए की, दुर्गा इनपर आरूढ नहीं होती । दुर्गा शेरपर आरूढ होती हैं । इसलिए अपने शौर्य को जागृत करो ।
बीकानेर में समिति का केंद्र स्थापित हो !
संवित् श्री सोमगिरिजी महाराजने आगे कहां की, हिन्दू जनजागृति समिति दैवी शक्ती से जुडकर उनके प्रेरणाद्वारा कार्य कर रही हैं । इस समिति के युवाआें के पिछे रहनेवाले गुरू शक्ति को मैं वंदन करता हूं । सारा करिअर छोडकर ये युवा इस कार्य में लगे हैं । यह पता नहीं की ये युवा किस उच्चलोक से हिन्दूूआेंको जगाने के लिए आएं हैं । इनकेद्वारा प्रकाशित होनेवाली सनातन प्रभात पत्रिका सौ-सौ व्यक्तीआें के पास जानी चाहिए । इन के वेबसाइट का अध्ययन सभी करें । पता तो लगे कहांपर क्या हो रहा हैं और हमें क्या करना हैं । मेरा अनुरोध हैं की, बीकानेर में समिति का एक केंद्र स्थापन हो । समिति के कार्यकर्ता यहां बार बार आएं । अपने जैसे कहीं युवाआें को यहां तयार करें । हम इनके प्रति कृतज्ञ हैं, इनका बहोत बहोत आभार हैं की वह हिन्दूआें को जगाने के लिए आएं ।
संवित् श्री सोमगिरिजी महाराज के क्षात्रतेज बढानेवाले विचार !
हिंदुत्व को लेकर चिंतन-मनन को बढाएंगे, तब जाकर होगा क्रांती का प्रारंभ ! : सही धर्म क्या हैं, यह समझ लेना चाहिए । उपासना, लोकशक्ती को बढाआें । जिसमें जो क्षमता हैं, उसे चरणसीमा तक ले जाआें । दिनचर्या को बदलो । घर में तुलसी, गाय को रखो । चोटी रखो, उसका प्रभाव होता हैं । देश के बारे में सोचो । मंदिर में सप्ताह में एक बार सामूहिक आरती करें और बाद में धर्म के स्थिति के विषय में चिंतन करे धर्म के विषय । अर्थतंत्र, प्रजातंत्र, जातीवाद का विरोध, हिंदुत्व को लेकर चिंतन-मनन को आगे बढाएंगे, तब जाकर क्रांती का प्रारंभ । ऐसा करेंगे तो ईश्वर, ऋषी प्रसन्न होंगे हिन्दू जग रहा हैं । हिन्दू जब जगेगा तो सारे विश्व में शांती होगी ।
देश को चक्रधारी श्रीकृष्ण की आवश्यकता ! : हिन्दू धर्म विरोधी लोग आंतरराष्ट्रीय स्तरपर संघटित हैं और उनका हमारे संस्कृति को नष्ट करने का नियोजन चल रहा हैं । और हम क्या कर रहें हैं ? घर में जब आग लगी हैं, तो हम तत्त्वमिमांसा नहीं करते । इसलिए आज के गंभीर स्थिति को, संकटों को समझो । आज यह युद्ध का समय हैं । यह युद्ध हमें आर्य चाणक्य एवं छत्रपती शिवाजी महाराज की तरह सोच समझकर करना होगा । हमारी सुरक्षा के लिए हमें शस्त्र भी रखेंगे होंंगे । कानून के अनुसार रखो, पर प्रत्येक हिन्दू के घर में शस्त्र रखो । देश के लिए बलिदान देनेवालों को बारबार स्मरण करो । ये समझ लो की, अब बासरीवाले नहीं, तो सुदर्शनधारी चक्रधारी कृष्ण की आवश्यकता हैं । संकल्प लो की, इस देश को हम किसी प्रकार की विकृती नहीं होने देंगे । हमारे जीवन का बलिदान कर देंगे । इस संकल्प से वीरगती को प्राप्त पराक्रमीयों की चिता फिरसे धधगने लगेगी ।
स्वतंत्रता उपरान्त हुई देश की दुःस्थिति को बदलो ! : उठो, जागो ! तुम्हारी मा, संस्कृती, देश, भाषा संकट में हैं । एक समय तलवार के बल पर यज्ञोपवित एवं चोटी को काटकर जला दिया जाता था । आज की शिक्षा ने पहले ही यह विनाश कर दिया हैं । अंग्रेजों के समय जितना विनाश नहीं हुआ, उतना स्वतंत्रता के पश्चात हुआ । अब ये स्थिति में परिवर्तन करने हेतु चित्त में विकार लाए बिना सत के पथ चलें । भगवान हमें शक्ती देगा ।
संघटित रहो ! : निमित्त के कारण पशू-पक्षी संघटित होते हैं । मुर्ख प्रलोभन के कारण, तो सद्पुरूष बोध के कारण संघटित होते हैं । हमारी संस्कृति तो पूर्णतः वैज्ञानिक बोध देती हैं । इस बोध के आधारपर हमें संघटित होकर रहना हैं । संघटन शक्ती हैं ।