हिन्दुओं के सब से अधिक धार्मिक उत्सव में नाशिक महानगरपालिका की अनास्था संतापजनक है। क्या महापालिका इसी प्रकार की अनास्था अन्य पंथियों के संदर्भ में भी प्रदर्शित करती ?
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नाशिक महानगरपालिका का महा अपराध !
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रामकुंड के इतिहास के संदर्भ में फलकोंका अभाव !
नाशिक (महाराष्ट्र) : गोदावरी नदी के तट पर रामकुंड का फलक न होने के कारण देशविदेश से आनेवाले श्रध्दालुओंके मन में संभ्रमावस्था निर्माण हुई है।
गोदावरी नदी के तट पर कुल मिलाकर १०८ कुंड हैं। उनमें से ‘रामकुंड कौनसा है’, यह महाराष्ट के बाहर के श्रध्दालुओंको ज्ञात होना कठीन बात है। अतः अधिक संख्या में नागरिक जहां स्नान करने हैं, उसे ही रामकुंड समझ कर अनेक श्रध्दालु वहां स्नान कर रहे हैं। रामकुंड के संदर्भ में श्रध्दालुओंका दिशाभ्रम हो रहा है। अतः श्रद्धालु यह आग्रहपूर्वक मांग कर रहे हैं कि, महापालिका इस रामकुंड का फलक प्रकाशित करें। महानगरपालिका के इस अक्षम्य अपराध के कारण आज यह चित्र सामने आ रहा है कि, दूर -दूर से आनेवाले श्रध्दालु आध्यात्मिक लाभ से वंचित रहे हैं।
रामकुंड के इतिहास से ८० प्रतिशत श्रध्दालु अनभिज्ञ !
यह बात निदर्शन में आई है कि, रामकुंड का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। अपितु सिंहस्थ पर्व निमित्त रामकुंड में पवित्र स्नान करने हेतु आनेवाले १० में से ८ लोगों को (८० प्रतिशत श्रध्दालुओंको) रामकुंड का इतिहास ही ज्ञात नहीं है। (इस से यह स्पष्ट होता है कि, हिन्दुओंको धर्मशिक्षण प्राप्त करने की कितनी आवश्यकता है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) सिंहस्थ पर्व का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान का फलक तथा उसका इतिहास न होने के कारण श्रध्दालुओं में संताप, साथ ही आश्चर्य व्यक्त हो रहा है। श्रध्दालुओंद्वारा यह मांग की जा रही है कि, अब देर से क्यों ना हो, महापालिका इस रामकुंड का इतिहास कथन करनेवाला फलक प्रदर्शित करें।
प्रत्येक कुंड पर स्वतंत्र फलक प्रकाशित करें ! – स्वामी नवराज, श्रध्दालु, हरिद्वार
यहां कोई भी प्रबंध नहीं है। इस तट पर अनेक कुंड है, इस बात का पता मुझे यहां आने के पश्चात् हुआ, अपितु कौनसा कुंड कहां है, इस का मुझे अभी भी पता नहीं है। अतः बाहर से आनेवाले श्रध्दालुओंकी सुविधा के लिए स्थानीय प्रशासन को प्रत्येक कुंड के निकट स्वतंत्र फलक प्रकाशित करना चाहिए।
मराठी, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा में फलक प्रकाशित करें ! – साईकुमार कर्नुल, श्रध्दालु आंध्रप्रदेश
सिंहस्थ पर्व निमित्त नाशिक में पूरे देश से श्रध्दालु आ रहे हैं, इस लिए उन्हें रामकुंड के संदर्भ में जानकारी प्राप्त होनेवाला फलक मराठी, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित करें।
‘रामकुंड कहां है’, श्रध्दालुओंको यह बताने में ही मेरा पूरा दिन व्यतीत होता है ! – श्री. संजय चुनडी, गोदा तट के परिसर का स्थानीय विक्रेता
महानगरपालिका प्रशासन ने तट पर प्रचंड धन व्यय किया है; किंतु यहां रामकुंड के संदर्भ का एक भी फलक प्रकाशित करने के कष्ट प्रशासन ने नहीं ऊठाएं हैं। बाहर से आनेवाले श्रध्दालुओंको तट के संदर्भ में कुछ भी पता नहीं रहता; अतः वे इस संदर्भ में हमें पूछते हैं। हाथ का कार्य छोडकर ‘रामकुंड कहां है’, यह श्रध्दालुओंको बताने में ही मेरा पूरा दिन व्यतीत होता है। महानगरपालिका प्रशासन यह फलक प्रकाशित करने का कार्य अब तो शीघ्रातिशिघ्र करें।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात