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(कहते हैं ) उर्दू भाषा पाकिस्तानकी राष्ट्रभाषा बनी, इसका अभिमान प्रतीत होता है !

फाल्गुन शुक्ल पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११५

 * हिंदुओंपर असीम अत्याचार करनेवाले धर्मांध आक्रामकोंकी भाषाका अभिमान रखनेवाले कांग्रेसी गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदे !

 सुशीलकुमार शिंदे तिलक लगाकर लेनेपर असहमत; परंतु मुसलमानोंकी टोपी परिधान की !


 सोलापुर (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र शासनके उर्दू घरके (उर्दू भाषाके संवर्धन हेतु बांधा जानेवाला भवन) भूमिपूजनके अवसरपर केंद्रीय गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदेने धर्मांधोंकी चापलूसी करनेका निश्चित रूपसे एक भी अवसर नहीं जाने दिया, इसके विपरित उनके हिंदुद्रोहका भी दर्शन करवाया । (हिंदु असंगठित हैं एवं ‘व्होट बँक’के माध्यमसे क्रोध व्यक्त नहीं करते । इसीलिए केंद्रीय गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदेसमान नेता हिंदुओंको तिनकेके समान महत्व देकर धर्मांधोंके ‘हांजी-हांजी’ करते हैं । राज्य शासन भी वारकरी भवनकी अपेक्षा उर्दू घर समान स्थानोंके लिए धनपूर्ति करता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इस अवसरपर उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा औरंगाबाद, विजापुर तथा सोलापुरसे बाहरके राज्यमें गई एवं पाकिस्तानकी राष्ट्रभाषा बनी इसका अभिमान प्रतीत होता है । (सुशीलकुमार शिंदे भारतके गृहमंत्री हैं अथवा पाकिस्तानके ? क्या सुशीलकुमार शिंदेने कभी देवभाषा संस्कृत एवं माय मराठीका सार्थ अभिमान प्रतीत होता है, ऐसा वक्तव्य दिया है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

१. उन्होंने पुरोहितको तिलक लगानेको मनाही की । (हिंदुओ, धर्मांधोंका अनुनय करने हेतु अपने धर्मके अनुसार आचरण करने असहमति दर्शानेवाले हिंदुद्रोही शिंदेका सामाजिक बहिष्कार करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) उन्होंने पीढेपर न बैठकर खडे-खडे ही नारियल फोडा एवं एक मुसलमानद्वारा दी गई टोपी मात्र पूरे कार्यक्रममें सिरपरसे नहीं उतारी । (हिंदुओ, कांग्रेसी नेताओंके इस हिंदुद्रोही स्वरूपको जानें ! मुसलमानोंके पंथके अनुसार आचरण करनेवाले केंद्रीय गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदेने कल यदि सत्ताके लिए अपनी सुन्नत करा ली, तो उसका आश्चर्य नहीं प्रतीत होगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

२. शिंदेने पुरोहितके हाथसे ‘मार्इक’ लेकर एक मुसलमान व्यक्तिके हाथमें देते हुए कार्यक्रमका आरंभ कुरानकी आयते गाकर करनेके लिए सहमति दी । (एक ओर मुसलमानोंके लिए निर्माणकार्य किए जानेवाली वास्तुका आरंभ हिंदु पद्धतिसे करनेका निश्चित कर तदुपरांत भूमिपूजन करनेवाले पुरोहितका इस प्रकार अनादर करनेका अधिकार शिंदेको किसने दिया ? हिंदुओ, शिंदेद्वारा किया गया अनादर स्थायी रूपसे ध्यानमें रखें । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

३. इस अवसरपर उपस्थित अल्पसंख्यक मंत्री महंम्मद आरीफ (नसीम ) खानने कहा, ‘’जिस नरेंद्र मोदीने गुजरातमें रक्तकी होली खेली वह देशका प्रधानमंत्री नहीं बन सकता (न्यायालयद्वारा श्री. नरेंद्र मोदीको गुजरात दंगेके प्रकरणमें निर्दोष मुक्त सिद्ध किया गया है । तब भी केवल मुसलमानोंके मत प्राप्त करने हेतु ही नसीम खान मोदीपर ऐसे आरोप लगा रहे हैं ! यदि गुजरात दंगा रक्तकी होली थी, तो गोधरा हत्याकांड क्या था ? क्या नसीम खान कुछ बताएंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) गृहमंत्री शिंदेने मुसलमानोंकी टोपी सम्मानके साथ धारण की; परंतु मोदीने टोपी तो धारण करना दूर, परंतु हाथमें लेना भी अस्वीकार किया । (इसका अर्थ जो हिंदु लोकप्रतिनिधि मुसलमानोंके तलवे चाटते हैं, वे अच्छे एवं जो स्वधर्मका पालन करते हैं, वे बूरे हैं,  मुसलमानोंकी ऐसी धारणा हो गई है । मोदीको परामर्श देनेवाले खानने भूमिपूजनके कार्यक्रममें स्वयं तिलक क्यों नहीं लगाकर लिया ? इसका अर्थ सर्वधर्मसमभाव हिंदुओंके लिए है,  मुसलमानोंके लिए नहीं, ऐसा खानसमान मुसलमानोंको प्रतीत होता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके कृत्यका ढांचा इस देशमें चलाना है । (और कांग्रेसवाले आजतक केवल मुसलमानोंकी चापलूसीके कृत्यका ढांचा चलाते आए हैं, इसका क्या ? इसके कारण हिंदुओंकी कभी पूरी न होनेवाली हानिकी पूर्ति क्या कांग्रेसवाले करनेवाले हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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