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देश देखता केजरीवाल की नौटंकी !

फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११५

 


 

देश देख रहा है अरविंद केजरीवाल का ड्रामा। वो जब से गुजरात की यात्रा पर निकले हैं, तब से ही नाटक कर रहे हैं। वे गुजरात पहुंचने के बाद जब अपने काफिले के साथ अपने गंतव्य स्थान की तरफ जा रहे थे तब पुलिस ने उन्हें रोककर उन्हें बता दिया कि चूंकि देश में लोकसभा चुनावों के चलते आचार संहिता लागू हो चुकी है, इसलिए वे बिना अनुमति के गाडियों के काफिलों में नहीं घूम सकते। इसे उन्होंने बड़ा मुद्धा बना लिया। दिल्ली में उनके साथियों ने बीजेपी के दफ्तर में जाकर जो कुछ किया, उसे सबने देखा। उसकी निंदा हो रही है। पुलिस केस दर्ज हो गया उनके कुछ नेताओं के खिलाफ।

अब केजरीवाल कह रहे हैं कि वे अपने सवालों के जवाब मांगने गुजरात के मुख्यमंत्री के पास जाएंगे। कहा कि मैं इन सवालों का जवाब मांगने उनसे मिलने जा रहा हूं। हालांकि, पहले से मिलने का समय नहीं लेने की वजह से उनके काफिले को गांधीनगर में सीएम ऑफिस से पहले ही रोक लिया गया। इसके बाद पार्टी नेता मनीष सिसोदिया मुख्यमंत्री के सेक्रेटरी से मिलने पहुंचे और वक्त मांगा। गुरुवार को सिसोदिया ने आरोप लगाया कि उऩकी कार में पथराव हुआ।

राजधानी में आम आदमी पार्टी की एक प्रवक्ता एक टीवी चैनल पर बता रही थी कि सिसोदिया की कार पर हमला। जब उनसे पूछा गया किस जगह पर, तो वे बगले झांकने लगीं। दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो इनकी एक मंत्री ने कहा कि उनकी कार पर हल्ला बोला गया। मामले की छानबीन हुई तो पता चला कि क्रिकेट की गेंद लगी थी कार पर।

वरिष्ठ पत्रकार सुनील सौरभ कहते हैं कि केजरीवाल और उनके साथियों की हरकतों से दिल्ली और देश की जनता आजिज(तंग) आ चुकी हैं। ये कायदे-कानून की अनदेखी कर रहे हैं। गणतंत्र दिवस से पहले धरना देना, लगभग अकारण मुख्यमंत्री पद को छोड़ना और अब गुजरात जाकर मीडिया की सुर्खिर्यां बटोरने की कोशिश करने को सब देख रहे हैं। इनसे देश ने वैकल्पिक राजनीति की उम्मीद की थी, जो धूल में मिल गई है।

स्त्रोत : नीती सेन्ट्रल

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