‘आप’ के माओवादी चेहरे को पहचानिए !

फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११५

भाजपा मुख्यालय पर बुधवार शाम को आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पथराव किया, वह पूरी तरह से फासिस्टवादी है। उनका ये व्यवहार माओवाद के सौम्य चेहरे के रूप में सामने आया हैं। दिल्ली पुलिस ने १४ लोगों के खिलाफ संसद मार्ग थाने में एफआईआर दर्ज की है। दिल्ली और लखनऊ में आम आदमी पार्टी के कार्य़कर्ताओं के बाद शाम को अरविंद केजरीवाल कहने लगे कि वे अपने लोगों के व्यवहार के लिए माफी मांगते हैं। हालांकि सच्चाई ये है कि उनके इशारे पर ही उनके लोगों ने हंगामा बरपाया।

वरिष्ठ लेखक पत्रकार अवधेश कुमार ने कहा कि जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने भाजपा कार्यालय के सामने हिंसक और उग्र प्रदर्शन किया वह भयभीत करता है। यह एक अराजनीतिक रवैया है जिसके लिए लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं। विरोध में नारा लगाना और प्रदर्शन करना, धरना देना…..सामान्य बात है। हालांकि उसमें भी मान्य राजनीतिक आचरण यही है कि यदि आपको पुलिस रोकती है तो रुक जाएं। इसके विपरीत आम आदमी पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं के उग्र काफिले ने जिस तरह वहां बैनर फाड़े, गेट तोड़कर घुसने की कोशिश की उसके बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। पुलिस को वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। फिर जवाब में भाजपा कार्यकर्ताओं भी उनका विरोध किया। दोनों ओर से जिसे जो मिला उसी से कई बार हमला प्रतिहमला किया गया। इस तरह अगर राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर हिंसक हमले करेंगी तो फिर हमारा लोकतंत्र हिंसक अराजकता का शिकार हो जाएगा। और इसका कारण क्या है?

आम आदमी पार्टी का कहना है कि उनके संयोजक अरविन्द केजरीवाल को गुजरात के पाटन के राधनपुर में गिरफ्तार किया गया। अरविन्द केजरीवाल चार दिनों के दौरे पर गुजरात पहुंचे हैं। संयोग से उनके पहुंचने के साथ चुनाव आयोग ने चुनाव की तिथि घोषित कर दी और आचार संहिता लागू हो गया है। आचार संहिता लागू होने के बाद प्रशासन चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार काम करता है। आयोग ने आचार संहिता के तहत राजनीतिक दलों के रोड शो, जुलूस, सभाओं आदि के बारे में कुछ नियम बनाएं हैं और सभी दलों की उसमें सहमति रही है। अरविन्द को गिरफ्तार नहीं किया गया था यह सच है। वे राधनपुर थाने से आधे घंटे में बाहर आ गए थे। हो सकता है पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया हो। हालांकि पुलिस इससे इन्कार कर रही है कि केजरीवाल को हिरासत में लिया गया।

आचार संहिता में किसी भी राजनीतिक दल को प्रदर्शन एवं रैलियों पर रोक नहीं है। इसलिए यह जानना होगा कि क्या वाकई पुलिस मानती है कि केजरीवाल ने आचार संहिता का उल्लंघन किया? पाटन से जो खबर आ रही है उसके अनुसार पुलिस ने आरोप लगाया है कि वे बिना इजाजत रोड शो कर रहे थे। टीवी चैनलों मंे यह दिख रहा था कि उनके जुलूस से यातायात पूरी तरह जाम हो गया था। अगर आम आदमी पार्टी ने इजाजत नहीं लिया था तो यह आचार संहिता का उल्लंघन है। पुलिस का कहना है कि चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है, ऐसे में दौरे को लेकर जानकारी न देने को लेकर उन्हें धारा १६८ के तहत हिरासत में लिया गया था।

इसके बारे में स्थानीय पुलिस प्रशासन एवं चुनाव अधिकारी को स्पष्टीकरण देना चाहिए। यह तो संभव नहीं कि गुजरात सरकार जानबूझकर केजरीवाल को रोकने की कोशिश करेगी। आखिर इससे उनको अनावश्यक प्रचार मिला, लेकिन पुलिस ने जो कार्रवाई की उसके बारे में स्थिति साफ होनी चाहिए। हालांकि यह राजनीतिक इतिहास में पहली घटना नहीं है जब पुलिस ने किसी नेता को रोका हो और उसे आधा घंटा थाने पर बैठना पड़ा है।

राजनीतिक जीवन में यह आम घटना है। आचार संहिता लागू हो जाने के बाद तो बड़े-बड़े नेताओं को निश्चित समय के बाद बीच भाषण में प्रशासन ने रोक दिया। कई बार नेताओं के जुलूस को रोककर उन्हें थाने ले जाया जाता है। लेकिन आम आदमी पार्टी का व्यवहार सबसे अलग है। उसे लगता है कि केवल उसके नेता के साथ ही ऐसा हुआ है तो इसका कोई जवाब नहीं दिया जा सकता है।

दूसरी पार्टियों के नेताओं को रोके जाने पर कार्यकर्ता उसका विरोध भी करते हैं, पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन को किसी दृष्टि से स्वीकार नहीं किया जा सकता।

अगर आम आदमी पार्टी को किसी से शिकायत थी तो उसके कार्यकर्ता गुजरात भवन के बाहर जाकर प्रदर्शन कर सकते थे। इस तरह की रिवायत रही है जबकि अगर किसी समूह को किसी प्रदेश सरकार से नाराजगी तो राजधानी में उसके भवन के बाहर प्रदर्शन किया जाता है। एक दल के लोग दूसरे दल के दफ्तर पर जाकर धावा बोले ये तो पहले कभी नहीं सुना गया।

स्त्रोत : निती सेंट्रल

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