नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रपौत्री बोलीं -‘ भ्रष्टाचार के पितामह थे जवाहर लाल नेहरू’

नेताजी की प्रपोत्री राजश्री जयपुर में।

जयपुर – आज जो भ्रष्टाचार पनप रहा है उसकी नींव भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। गांधी-नेहरु परिवार आज भी उस भ्रष्टाचार की जड़ को सींच रहा है। ये कहना है देश की आजादी के नायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रपौत्री राज्यश्री चौधरी का।

राज्यश्री एक आंदोलन के जरिए नेताजी की सच्चाई को सामने लाने के लिए देश भर में जनता से अपील कर रहीं हैं। इस संबंध में वे जयपुर आईं और नेताजी से जुड़े अनेक अनकहे पहलुओं पर खास बातचीत की।

राज्यश्री ने कहा कि नेताजी के अलावा जितने भी क्रांतिकारी थे उनको नीचा दिखाने के लिए और उन्हें जनता से दूर रखने के लिए ये सारा षड्यंत्र रचा गया था। नेहरुजी ने ये सारा कुकर्म किया और उस वक्त देशवासियों का भी उन्हें साथ मिल गया।

छुपाई अपनी खलनायकी

राष्ट्रीय स्वाभिमान ट्रस्ट की नेशनल सेक्रेटरी राज्यश्री ने कहा गांधी-नेहरु परिवार अपनी खलनायकी छुपाने के लिए देश में इस बात पर बहस तक होने नहीं देती है। सभी सरकारों ने महज खानापूर्ति के लिए कमिशन बना दिए जिनका उद्देश्य था ताइवान विमान दुर्घटना के दौरान नेताजी के मौत को सच साबित करना। वहीं अटल बिहारी बाजपेई की सरकार में गठित जस्टिस मुखर्जी कमिशन ने ये साबित कर दिया था कि उस वक्त ताइवान में कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी। यानी विमान दुर्घटना में नेता जी की मृत्यु की कहानी झूठी थी। सोनिया गांधी शासित यूपीए गवर्नमेंट ने जस्टिस मनोज मुकर्जी कमिशन की रिपोर्ट को सरकार ने कचरे के डिब्बे में डाल दिया।

गद्दार है गांधी-नेहरु परिवार

नेहरु-गांधी फैमिली और इससे जुड़े लोग देश के गद्दार हैं। देशवासियों को अब यह जानना बहुत जरूरी है कि देश का गद्दार कौन है और देश भक्त कौन है। कांग्रेस पार्टी इनकी जागीर बन गई है। पीएमओ में आज तब नेताजी से जुड़ी फाइलें और उन फाइलों से रिलेटेड फाइलें हैं। जस्टिस मनोज मुकर्जी की रिपोर्ट में बताया गया था कि करीब ६४ फाइले नेता जी से जुड़ी हुई हैं जो पश्चिम बंगाल सरकार के पास हैं। अब वे स्पेशल ब्रांच में चली गई हैं। हम चाहते हैं उन फाइल्स के अलावा उनकी रिलेटेड फाइल्स भी सामने आएं। तभी पता चल सकेगा कि नेताजी का क्या हुआ। यदि जनता अपनी आवाज बुलंद करेगी तो तो उनके क्रांतिकारी नेताजी की मिस्ट्री का खुलासा हो सकेगा।

नेताजी और महात्मा बीच मतभेद की वजह भगतसिंह की फांसी

नेताजी और महात्मा गांधी के बीच मतभेद की शुरुआत ही भगत सिंह की फांसी से हुई। ये बात सच है कि महात्मा गांधी ने भगतसिंह का सपोर्ट नहीं किया। नेताजी को उम्मीद थी कि बापू भगतसिंह को बचा लेंगे, लेकिन जब भगतसिंह को फांसी हुई तो नेताजी को बहुत गहरा सदमा पहुंचा। महात्मा गांधी का रोल भी भीष्म पितामह की तरह था। जैसे भीष्म ने कौरवों का साथ दिया उसी तरह महात्मा गांधी ने नेहरु का साथ दिया था।

सरकार की नजर में १६ बार मरे नेताजी

गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने तो उन्हें १६ बार मारा है। आज तक उनकी सच्चाई लोगों के बीच एक मिस्ट्री बनी हुई है। जहां तक देश के इतिहास का सवाल है, तो उससे भी छेड-छाड की गई है। उस वक्त ऐसे इतिहासकार चुने थे जिन्हें पैसा देकर करके इतिहास के साथ छेड़-छाड़ कराया गया।

आम आदमी भी हो सकता है लापता

देश आजाद कहां हुआ। आजादी के हीरो को ही देश की सरकार ने लापता कर दिया तो आम आदमी का क्या होगा। मुझे राजनीति नहीं करनी है। आज की राजनीति सड़ी हुई है। इसमें सच्चाई को छिपाओ, लूटो, खाओ चल रहा है।

स्त्रोत : दैनिक भास्कर

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