कवठेमहांकाळ-सांगली (महाराष्ट्र) : ८ से ९ अगस्त को विठ्ठल मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में ‘मालेगांव बम्बविस्फोट के पीछे अदृश्य हाथ’ इस पुस्तक के लेखक श्री. विक्रम भावे ने मार्गदर्शन किया। अपने मार्गदर्शन में उन्होंने यह बताया कि, ‘देश में आज ६ करोड से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठी हैं। उनमें से भारत में उद्योग करने हेतु कुछ आते हैं; किंतु अन्य केवल आतंकवादी कार्यवाही हेतु आते हैं। इन घुसपैठोंपर केवल मतोंकी राजनीति के कारण कार्यवाही नहीं की जाती। इस के विपरित जम्मू-कश्मीर से विस्थापित हिन्दू पंडितोंके पुनर्वसन का प्रश्न दो शतकोंसे अधिक काल प्रलंबित ही है। उन्हें अभी भी विस्थापितोंकी छाया में ही दिन व्यतीत करना पडता है।’
साथ ही श्री. भावे ने आगे यह बताया कि, ‘आजाद मैदान पर धर्मांधोंद्वारा हिन्दू एवं पुलिस की पिटाई, साथ ही तोडफोड इस संदर्भ में हानिपूर्ति की प्राप्ति के संदर्भ में कांग्रेस शासनद्वारा अनास्था प्रदर्शित की गई है। उस समय महिला पुलिसकर्मियोंपर अत्याचार होने के पश्चात भी धर्मांधोंपर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नही की गई।
अतः हिन्दुओंको संगठित होकर वैध मार्ग से परिणामकारक रीति से वैधानिक लडा देना चाहिए। हिन्दुओंने उनपर किए गए अत्याचार के विरोध में निवेदन प्रस्तुत करना, पत्र लिखना इन मार्गोंका अवलंब करना चाहिए। उस समय कुछ प्रस्ताव भी किए गए।
कार्यक्रम के लिए शिवसेना शहरप्रमुख श्री. अनिल पाटिल, श्रीशिवप्रतिष्ठान के श्री. प्रदीप शिंदे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के विद्यार्थी सेना के उपजनपद अध्यक्ष श्री. वैभव कुलकर्णी, हिन्दू जनजागृति समिति के सर्वश्री दत्तात्रय रेठरेकर, किरण पोळ के साथ ८० से अधिक धर्माभिमानी उपस्थित थे।
क्षणिकाएं –
१. हिन्दू धर्माभिमानियोंने जयतु जयतु हिन्दूराष्ट्रम, भारत माता का विजय हो, छत्रपति शिवाजी महाराज का विजय हो, इस प्रकार की उत्स्फूर्त घोषणाएं दी।
२. सनातन संस्थाद्वारा आयोजित किए गए ग्रंथ प्रदर्शनी को अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हुआ।
३. मार्गदर्शन के पश्चात भी युवकोंने रूक कर श्री. भावे के साथ विचारविमर्श किया।
४. कार्यक्रम के लिए कुछ धर्माभिमानी पत्रकार भी उपस्थित थे।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात