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भारतीय नक्सलवादके पालनहार : ईसाई मिशनरी

फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११५

समाचारोंकी भीडमें कुछ महत्वपूर्ण विषय पीछे रह जाते हैं, उसपर प्रकाश डालनेवाला लेखमाला …


दिन प्रतिदिन भारतमें नक्सलवादका प्रभाव बढ रहा है । भारतके बिहार, झारखंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ, उडीसा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं आंध्र प्रदेश आदि नौ राज्योंमें नक्सलवादियोंने अपना साम्राज्य स्थापित किया है । इन सभी राज्योंमें नक्सलग्रस्त क्षेत्र ‘रेड कॉरिडॉर – Red Corridor’ (नक्सलग्रस्त भाग) के रूपमें पहचाना जाता है । नक्सलवादी अपने कार्यवाहियोंको ‘पीपल्स वॉर’ कहते हैं । तब भी उनकी ईसाई मिशनरियोंसे मिलीभगत है एवं नक्सलग्रस्त प्रदेशमें ईसाई मिशनरियोंका बडा प्रभाव है । संक्षेपमें कहा जाए, तो यह स्पष्ट हो गया है कि भारतकी राष्ट्रीय एकताके लिए बाधक नक्सली आंदोलन ईसाई मिशनरी चला रहे हैं ।

रक्षा शुल्क : नक्सलवादियोंका अर्थस्रोत 

एक ब्यौरेमें दिए जानकारीके अनुसार,
१. भारतके ७०८ जिलोमें २०३ जिले माओवादियोंके प्रभावमें हैं ।
२. ९० जिलोमें नक्सलवादियोंद्वारा निरंतर हत्या हो रही है एवं २७ जिलोमें उनका ही साम्राज्य है ।
३. नक्सलवादी खदान प्रतिष्ठानोंसे भारी मात्रामें रक्षा शुल्क लेते हैं एवं प्रतिष्ठानों एवं उद्योगपतीोंसे प्राप्त लाभका ८ से १० प्रतिशत नक्सलवादियोंको देते हैं ।
४. सरकारी सूत्रोंकी जानकारीके अनुसार नक्सलवादी पूरे वर्षमें १ सहस्र ५०० से लेकर २ सहस्र करोड रुपए एकत्रित करते हैं अर्थात सरकारी जमा होनेवाले राजस्वके ५ गुना अधिक राशि नक्सलवादी एकत्रित करते हैं ।
५. खदानमालिक तथा उद्योगपतीके साथ सरकारी अधिकारी एवं राजनीतिक नेता भी नक्सलवादियोंको रक्षा शुल्क देते हैं ।
६. जो रक्षा शुल्क देना अस्वीकार करते हैं, उन्हें अपने प्राण देने पडते हैं । इतनी भीषण परिस्थितिमें कौनसा उद्योगपती नक्सलग्रस्त राज्यमें निवेश करने सिद्ध होगा ? इसलिए अनेक राज्योंके आर्थिक स्थितिपर गंभीर परिणाम हो गया है । 

नक्सलवादी क्षेत्रोंमें अनाजके उत्पादोंपर भी प्रभाव

भारतके कुछ क्षेत्रफलमें ४० प्रतिशत भाग नक्सलवादके कारण असुरक्षित है । नक्सलवादियोंके भयसे ‘रेड कॉरिडॉर’ क्षेत्रके अनेक भूमि मालिकोंने पलायन किया है । यही कारण है कि वहांकी अधिकांश कृषिभूमि बंजर है । वहां खेती नही की जाती, इसलिए भारतके अनाजके उत्पादोंपर बडा परिणाम हो गया है ।

अनधिकृत रूपसे खुदाई किए गए खनिजकी नक्सलवादियोंद्वारा चीनको निर्यात

१. खदानका व्यवसाय चलनेवाले छत्तीसगढमें दंतेवाडासे आंध्रप्रदेशमें विशाखापट्टणम् तकके क्षेत्रमें खनिज मालके रेल्वे यातायातमें नक्सलवादी अनेक बार बाधा उत्पन्न करते हैं ।
२. जमशेदपुरके सारंडा क्षेत्रके जंगलमें विश्वके सबसे अधिक लगभग २ अरब टन खनिज है । इस जंगलमें अनधिकृत रूपसे खोदकर निकाला हुआ खनिज नक्सलवादी चीनको भेजते हैं ।

नक्सलवादी आंदोलनके उद्देश्यकी निरर्थकता

१. नक्सलवादियोंद्वारा केवल बतानेके लिए आदिवासियोंका शोषण तथा नैसर्गिक संपत्तिकी लूट यह उद्देश्य बताया जाता है; परंतु नक्सलग्रस्त क्षेत्रके आदिवासियोंकी स्थिति अत्यंत कठिन है । आदिवासी क्षेत्रमें नहीं, अपितु सुसंपन्न क्षेत्रमें ही नक्सलवाद अधिक मात्रामें फैल रहा है ।
२. नक्सलवादी आंदोलनमें आदिवासी जनजातिके लोगोंका प्रमाण अधिक है, ऐसी भ्रांति फैलाई जाती है । तथापि उडीसा (२२ प्रतिशत), झारखंड (३३ प्रतिशत) एवं बिहार राज्यमें  आदिवासियोंका प्रमाण अत्यल्प होते हुए भी ये राज्य नक्सल बहुसंख्यक हैं ।

 


नक्सलवादियोंकी ईसाई मिशनरियोंसे ‘मिलीभगत’ (कनेक्शन )

१. चर्चके अधिक प्रभाववाले क्षेत्रमें नक्सलवादियोंकी कार्यवाहियां अधिक मात्रामें हैं । ये निश्चित रूपसे योगायोग नहीं है ।
२. ‘नायमगिरी हिल्स’ क्षेत्रमें कार्यरत ईसाई मिशनरियोंके कारण आदिवासियोंमें अंतर हो गया है । इसीमें वर्ष २००८ में उडीसामें स्वामी लक्ष्मणानंदकी हत्या की गई ।
२. भारतमें होनेवाले ‘पीपल्स वॉर’ को समर्थन दर्शाने हेतु यूरोपमें बैठकें आयोजित की जाती हैं ।

नक्सलवादियोंकी लडाईमें महिलाएं एवं बालकोंका भारी मात्रामें सहभाग चिंताजनक !

१. नक्सलवादियोंकी लडाईमें महिलाएं एवं बालकोंका भारी मात्रामें उपयोग किया जा रहा है ।
२. २५ मे २०१३ को छत्तीसगढके दर्भा घाटीमें नक्सलवादियोंने २७ व्यक्तियोंकी हत्या की । इस अवसरपर गोली लगे महेंद्र कर्मा नामक व्यक्तिकी महिलाओंने छुरा भोंककर हत्या की । नक्सलवादियोंद्वारा व्यक्तिको मारनेवाले यंत्रके रूपमें महिलाओंका उपयोग हो रहा है ।
३. एक समाचारके अनुसार नक्सलवादियोंने ‘बालसंघ’ एवं ‘बालदास्ता’ संगठनोंमें १० से १५ वर्ष आयुके किशोर-किशोरियोंको भरती कर लिया है ।

भारतके ‘नक्सलग्रस्त क्षेत्र’ अर्थात ‘रेड‘कॉरिडोर’ के संभावित संकट

भारतमें ‘रेड कॉरिडोर’ के अनेक धोखे हैं ।

१. यह नक्सलग्रस्त क्षेत्र एक दिन भारतसे अलग होनेकी संभावनाको नकारा नहीं जा सकता ।
२. नक्सलग्रस्त क्षेत्रके मार्गसे चीन भारतमें कभी भी आनेकी संभावना है ।

नक्सलवादके विस्तारके लिए राजनेताओंकी कायरता कारणभूत

१. नक्सलवाद एवं मुगलिस्तान ये समस्याएं दिन-प्रतिदिन उग्र रूप धारण कर रही हैं । यह आंतरिक सुरक्षाके लिए सबसे बडा धोखा है ।
२. राजनेताओंकी दुर्बल नीतियोंके कारण ही नक्सलवाद फैल गया है । नक्सलवादियोंकी राजनीतिक नेताओंसे मिलीभगत होनेके कारण उनके विरुद्ध कार्यवाही करने हेतु उचित निर्णय नहीं लिए जाते ।

खान व्यावसायियोंसे वसूल रक्षाशुल्कसे शस्त्रोंकी खरीदी

उडीसा, झारखंड एवं छत्तीसगढकी सीमाका भाग नक्सलवादियोंके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । इस क्षेत्रमें अनधिकृत रूपसे खोदनेवाले खदान प्रतिष्ठानोंसे नक्सलवादी ५०० करोड रूपए रक्षा शुल्क वसूल करते हैं । इसी राशिसे नक्सलवादी शस्त्र तथा विस्फोटक क्रय करते हैं ।
संदर्भ : (उदय इंडिया,५ अक्तूबर.२०१३, डायलाॅग इंडिया सितंबर २०१३)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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