Menu Close

२०० वर्षोंकी दीर्घ कालावधिमें हुए अकालके कारण सिंधु संस्कृति नष्ट हुई !

फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११५


नई देहली : मूलतः भारतीय वैज्ञानिकने यह दावा किया है कि वर्तमानके पाकिस्तान एवं उत्तर-पश्चिम भारतमें उदय हुई मोहनजोदडो तथा हडप्पाके समान प्राचीन नगरवाली सिंधु संस्कृति ४ सहस्र २०० वर्ष पूर्व हुए २०० वर्षोंकी दीर्घ कालावधिमें आए अकालके कारण नष्ट हो गई है ।

प्राचीन सरोवरके नीचे प्राप्त अवशेषोंके अनुसार दक्षिण आशिया क्षेत्रके लिए जीवदान सिद्ध होनेवाला मानसून ४ सहस्र २०० वर्ष पूर्व अज्ञात कारणसे बंद हो गया । 
मानसूनकी वर्षा पूरे २०० वर्ष हुई ही नहीं । इसलिए मोहनजोदडो एवं हडप्पाके समान प्राचीन नगरकी सिंधु संस्कृति नष्ट हो गई । ये नगर बडे सुनियोजित ढंगसे गंदापानीकी योग्य व्यवस्थावाले तथा लेखनकी पृथक भाषावाले थे ।

इस भाषाके अर्थका अभीतक अभ्यास ही नहीं हुआ है । सिंधु नदीके किनारेपर होनेके कारण इस संस्कृतिको पाश्चात्त्योंने सिंधु संस्कृति नाम दिया है ।

ऐसा होते हुए भी इतिहासकारोंका मत है कि वह भारतीय संस्कृतिका ही एक हिस्सा थी । 

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *