फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५
हिंदू जनजागृति समितिकी सफलता !
हिंदुओ, इस सफलताके विषयमें ईश्वरके चरणोंमें कृतज्ञता व्यक्त करें !
पुणे (महाराष्ट्र) : वर्तमान समयमें व्यावसायी रंगभूमिपर अश्लील नाटकोंका उपद्रव चल रहा है । इसे प्रतिबंधित करनेके विषयमें अभ्यासपूर्ण पत्र हिंदू जनजागृति समितिके मुंबई, रायगढ एवं ठाणे जिलेके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरने नाट्य परिनिरीक्षण मंडलके अध्यक्ष प्रा. राम जाधवको भेजा था । इस पत्रके अनुसार नाट्य परिनिरीक्षण मंडलद्वारा नाटकके अश्लील संवादोंको प्रतिबंध लगाने हेतु विविध निर्णय लिए गए हैं । (हिंदू जनजागृति समितिके पत्रपर तत्परतासे ध्यान देकर सक्रिय प्रयास करनेवाले नाट्य परिनिरीक्षण मंडलके अध्यक्ष प्रा. राम जाधव एवं उनके सहयोगियोंका अभिनंदन ! इसको समाजकी उच्छृंखलताको नियंत्रित करने हेतु प्रयास करनेवाली छोटीसी हिंदू जनजागृति समितिको मिली बडी सफलता ही कहना पडेगा ! हिंदुओं, ऐसे नाटकोंके कारण भावी पीढी भोगवादकी ओर झुकनेकी संभावना है । इसलिए ऐसे नाटकोंका आपही स्थायी रूपसे बहिष्कार करें, जिससे ऐसे नाटक ही नहीं रचे जाएंगे, यह ध्यानमें लें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. पुणेमें ७ मार्चको नाट्य परिनिरीक्षण मंडलकी बैठक आयोजित की गई । इस बैठकमें प्रा. जाधव, प्रकाश पायगुडे, किरण यज्ञोपवित, तुषार भद्रे, डॉ. सतीश पावडे, अजेय गंपावार, जॉनी मेश्राम तथा सुनील देशपांडे आदि सदस्योंके साथ संबंधित नाटकोंके लेखक, रचनाकार एवं दिग्दर्शक उपस्थित थे ।
२. इस बैठकमें वर्तमान समयमें रंगभूमिपर चल रही उन चार योनियोंकी कहानी, योनियोंके मनीकी कहानी, कामजीवन जीएंगे.. सुखी होंगे, पांढरपेशी वेश्या, अग्रेसिव, एक अश्लील नटखट संध्या ऐसे नाटकोंकी बढती संख्याके विषयमें चिंता व्यक्त की गई ।
३. मंडलद्वारा इस नाटकके आपत्ति जनक अंशके संदर्भमें टिप्पणी मंगवाई है तथा संबंधितोंको तथाकथित आपत्तिजनक अंश नाटकसे हटानेको कहा गया है ।
४. इस अवसरपर रंगकर्मियोंको गंभीरतासे काम करनेकी सूचनाएं दी गइं ।
बैठकमें लिए गए निर्णय
१. किसी भी दबावतंत्रपर बलि न चढते हुए अधिकारोंका कठोर उपयोग कर संहिताओंका परीक्षण करना ।
२. किसी एक सदस्यकी अनुमतिसे नाट्यप्रयोग करना असंभव होगा ।
३. एक प्रयोगके लिए अस्थायी रूपसे अनुमति लेनेकी सुविधा निरस्त की गई ।
४. नाट्य परिनिरीक्षण मंडलकी लिखित अनुमतिके बिना प्रयोग करना असंभव होगा ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात