फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५
१. अधिवक्ता (वकील) : न्यायाधीशके अनुसार दोनों पक्षके अधिवक्ताओंको कानूनका ज्ञान होता है । इसलिए वास्तवमें न्यायालयमें किसका पराभव होगा, इसका भी ज्ञान दोनोंको रहता है । ऐसा होते हुए भी, मुवक्किलोंद्वारा राशि प्राप्त करने हेतु वे न्यायालयमें विवादोंपर झगडते रहते हैं ।
२. आधुनिक वैद्य (डॉक्टर) : अधिकांश आधुनिक वैद्यद्वारा किसी रुग्णको आवश्यकता न होते हुए भी तज्ञ डॉक्टरोंके पास जांच हेतु भेजना, अनावश्यक जांच अथवा शल्यक्रिया करनेके लिए बाध्य करना आदि कृत्य करते हैं ।
३. अध्यापक (शिक्षक) : छात्रोंको पाठशालामें पढनेकी अपेक्षा अपने निजी वर्गमें (ट्यूशनमें) आंमत्रित कर वहां पढाते हैं ।
४. शासकीय कर्मचारी एवं अधिकारी : घूसके बिना जनताका कार्य नहीं करना तथा निर्धनोंके लिए आवंटित योजनाकी राशि एवं अनाजमें भ्रष्टाचार करते हैं ।
५. पुलिस : अपराधियोंको दंडित करनेके प्रयासोंकी अपेक्षा उनसे राशि प्राप्त कर अभियोग (प्रकरण) समाप्त करते हैं ।
६. राजनीतिक दल : सत्ताके लिए अपकीर्त व्यक्ति अथवा अपराधीको उम्मीदवारी प्रदान की जाती है ।
७. दूरचित्रप्रणाल : अश्लीलता, विवाहबाह्य संबंध, समलैंगिकता आदि विकृतियोंका निरंतर समर्थन करते हैं ।
८. पत्रकार : राशि प्राप्त कर समाचार प्रकाशित किए जाते हैं अथवा छिपाए जाते हैं ।
९. भोजनालयोंके स्वामी : सब्जी विक्रय करनेवालेसे सडी हुई अथवा पुरानी सब्जी अल्प दाममें विक्रय कर भोजनालयमें उसका भोजन बनाया जाता है ।
१०. यात्री (प्रवासी) : बस आदि यात्रामें वृद्ध, अपंग, रुग्ण आदिको बैठनेके लिए स्थान नहीं देते ।
– (प.पू.) डॉ. आठवले (२०.२.२०१४)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात