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गुरुपूर्णिमा महोत्सव २०१२ के उपलक्ष्यमें ठाणेमें पत्रकार परिषद

आषाढ शु. १३/१४, कलियुग वर्ष ५११४

गुरुके समष्टि कार्य राष्ट्र एवं धर्मके लिए स्वयंको समर्पित करना, ही गुरुके प्रति सच्ची कृतज्ञता ! – हिंदु जनजागृति समिति


पत्रकार परिषदमें वक्तव्य देते हुए सनातन संस्थाके
श्री. राजन बुणगे एवं उनके साथ हिंदु जनजागृति समितिके श्री. शिवाजी वटकर

ठाणे, २८ जून (संवाददाता) – गुरुका कार्य व्यष्टि एवं समष्टि स्तरपर होता है । व्यष्टि स्तरपर किया कार्य शिष्यको मोक्षप्राप्तिकी ओर ले जाता है एवं समष्टि स्तरपर किया जानेवाला कार्य राष्ट्र एवं धर्मके विषयमें होता है । गुरुपूर्णिमाको गुरुके समष्टिरूप राष्ट्र एवं धर्मके लिए स्वयंको समर्पित करना ही शिष्यकी ओरसे  गुरुके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है, हिंदु जनजागृति समितिके मुंबई, ठाणे एवं रायगड जनपदके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरने गुरुपूर्णिमा महोत्सवके उपलक्ष्यमें आयोजित पत्रकार परिषदमें ऐसा प्रतिपादन किया ।

सनातन संस्था, हिंदु जनजागृति समिति एवं अन्य आध्यात्मिक संस्थाओंकी ओरसे गुरुपूर्णिमा महोत्सव ३ जुलाई २०१२ को देशभरमें १३८, एवं विदेशमें १७ स्थानोंपर मनाया जाएगा । इस विषयकी सूचना देने हेतु गुरुवारके दिन ठाणेके लक्ष्मी केशव कार्यालयमें एक पत्रकार परिषदका आयोजन किया गया था । उस समय विभिन्न समाचारपत्रिकाओं एवं समाचारप्रणालके १६ पत्रकार उपस्थित थे । उस समय सनातन संस्थाके प्रवक्ता श्री. राजन बुणगेद्वारा भी यह विषय प्रस्तुत किया गया । आषाढ पूर्णिमा, ३ जुलाई २०१२ को गुरुपूर्णिमा महोत्सव है ।

श्री. शिवाजी वटकरने आगे बताया कि जिस समय धर्ममें शिथिलता आती है, उस समय केवल गुरु-शिष्य परंपराका आधार ही शेष रहता है । हमारे इतिहासके अनुसार श्रीकृष्णने अर्जुनद्वारा एवं समर्थ रामदास स्वामीजीने छत्रपति शिवाजी महाराजद्वारा धर्मकी शृंखला ठीक तरहसे चलाकर हिंदु राष्ट्रकी स्थापना की । आज भी धर्ममें शिथिलता आई है, अतः देश एवं धर्मकी स्थिति दयनीय  हो गई  है । अधर्माचरणके कारण देशके आध्यात्मिक बलका विघटन हो रहा है । हिंदु राष्ट्र स्थापना हेतु ईश्वरका अधिष्ठान चाहिए । वह प्राप्त होने हेतु धर्माचरण एवं साधना कर गुरुकृपा संपादन करना अनिवार्य है । हिंदु राष्ट्र गठनकी जनजागृति करनेके लिए गुरुपूर्णिमाका औचित्य साध्य कर हिंदुसंगठन समारोहका आयोजन किया गया है, अतः हिंदू इसका लाभ अवश्य प्राप्त करें, ऐसा आवाहन श्री. वटकरद्वारा किया गया ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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