फाल्गुन शुक्ल पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११५
सनातन जिसप्रकारसे कार्य कर रहा है, वह अद्भुत है । यहां अध्यात्म एवं राजधर्म भी है ।
– प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराज
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प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराजसे विचार-विमर्श करते हुए प.पू. डॉ. आठवलेजी
रामनाथी (गोवा) : अखिल भारतीय संत समितिके अध्यक्ष प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराज (पूर्वाश्रमके आचार्य किशोरजी व्यास) द्वारा ९ मार्चको यहांके सनातन आश्रमके सदिच्छा भ्रमणपर आए । इस अवसरपर सनातनके साधक श्री. चेतन राजहंसने उन्हें आश्रममें चलनेवाले राष्ट्र, धर्म एवं आध्यात्मिक संशोधनके कार्यके विषयमें परिचय कराया ।
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प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराजको सनातन प्रभात नियतकालिकोंके विषयमें जानकारी देते हुए श्री. चेतन राजहंस
सनातन आश्रमकी ओरसे ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक समूहके भूतपूर्व संपादक पू. श्री. पृथ्वीराज हजारेने प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराजका शाल, नारियल एवं भेंटवस्तु देकर सम्मान किया । तदुपरांत प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरीमहाराज द्वारा सनातन संस्थाके संस्थापक प.पू. डॉ. जयंत बालाजी आठवलेजीका सम्मान किया गया ।
इस अवसरपर प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराजने कहा कि पूर्वमें प.पू. भक्तराज महाराजजीका (सनातन संस्थाके प्रेरणास्थान तथा प.पू. डॉ. आठवलेजीके गुरु) चरित्र पढा है । उस कार्यका आज इतना प्रचंड वटवृक्ष (सनातन संस्था) हो गया, यह देखकर आश्चर्य प्रतीत हुआ । इसपर प.पू. डॉ. आठवलेजीने कहा कि बाबाका (प.पू. भक्तराज महाराजजीका) आशीर्वाद होनेके कारण ही यह कार्य चालू है ।
सनातनद्वारा ‘सनातन हिंदु धर्मदीक्षा केंद्र’ चालू करनेका पता चलनेपर प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराजने कहा, ‘’मैंने छत्रपति संभाजी महाराजका समाधिस्थल ‘वढू’ गांवका नाम परिवर्तित कर ‘शंभूतीर्थ’ रखा । वहां अब ‘मसुराश्रम’समान ‘घरवापसी केंद्र’ (धर्मपरिवर्तित हिंदुओंका शुद्धिकरण केंद्र) चालू हो गया है ।’’
इस अवसरपर प.पू. डॉ. आठवलेजीने प.पू. स्वामीजीको जून माहमें होनेवाले ‘अखिल भारतीय हिंदु अधिवेशन’का सस्नेह निमंत्रण दिया । प.पू. स्वामीजीने त्वरित इस अधिवेशनको आनेकी सिद्धता दर्शाई ।
प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराजद्वारा ‘सनातन संस्था’के विषयमें गौरवोद्गार !
१. सनातन जिसप्रकारसे कार्य कर रहा है, वह अद्भुत है । यहां अध्यात्म एवं राजधर्म भी है ।
२. कुंभमेलेमें सनातनद्वारा की गई धर्मजागृति संस्मरणीय थी । मैंने वहांके साधुसंतोंको निश्चीत रूपसे कहा कि आपको यदि कार्य करना है, तो सनातनके साधकोंके समान कार्य करें, तभी क्रांति होगी ।
३. सनातनके ग्रंथोंमें सुंदरतम विवेचन है । उसकी रचना शास्त्रशुद्ध है । स्वयं मैंने अनेक ग्रंथोंका पठन किया है ।
४. ‘हिंदु राष्ट्र’का स्फूरण एवं पोषण सनातनका आश्रम है । सनातनके कार्यसे पुराना सभी जल जाएगा एवं नए राष्ट्रका निर्माण होगा ।
५. जो ‘हिंदु राष्ट्र’ का कार्य करते हैं, वे मुझे अपने प्रतीत होते हैं । सनातनके साधक मुझे मिलनेके लिए आनेपर मैं उन्हें प्रधानतासे मिलता हूं ।
प.पू. स्वामी गोविंद देवगिरी महाराजद्वारा प.पू. डॉ. आठवलेजीके विषयमें गौरवोद्गार !
१. आप (प.पू. डॉ. आठवले) ऋषिश्रेष्ठ हो । अनेक वर्षोंसे आपसे मिलनेकी इच्छा थी, जो आज पूरी हुई । आपसे भेंट होनेके कारण मुझे अत्यधिक आनंद प्रतीत हुआ ।
२. आप भगवानके प्रेषित हैं । आज देव, देश एवं धर्मके लिए जिसप्रकारके व्यकि्तकी आवश्यकता थी, आपके रूपमें पूरी हो गई है; इसीलिए इस कार्यके लिए ईश्वरने आपको भेजा है । आपने जो कार्य किया है तथा साधकोंको आपने जिस पद्धतिसे सिद्ध किया है, सभी अतुलनीय है ।
३. आप दो-तीन जन्मोंका कार्य एक ही जन्ममें कर रहे हो । आपके कार्यके समान कार्य पूरे भारतमें चारों ओरसे होना चाहिए !
प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराजजीका संक्षिप्त परिचय
प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराज ‘महर्षि वेदव्यास प्रतिष्ठान’ संस्थाके संस्थापक एवं अखिल भारतीय संत समितिके अध्यक्ष हैं । उन्होंने कांची-कामकोटी पीठके शंकराचार्य स्वामी श्री जयेंद्र सरस्वतीजीसे अनुग्रह लिया है । प.पू. स्वामी गोविंददेवगिरी महाराजने धार्मिक ग्रंथोंका विस्तृत अध्ययन किया है तथा श्रीमद् भगवद्गीता, महाभारत, रामायण, ज्ञानेश्वरी, दासबोध, योगवशिष्ठ आदि ग्रंथोंपर देश-विदेशमें प्रवचन देनेका कार्य वे कर रहे हैं ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात