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पिछले १० वर्षोंमें ईसाई सेवाभावी संस्थोंको ८१ सहस्र ३०३ करोड रुपयोंकी विदेशी निधि प्राप्त !

फाल्गुन शुक्ल पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११५

हिंदुओंके मंदिरोंका सरकारीकरण कर उपकी संपत्तिका उपयोग करनेवाले हिंदुद्वेषी राजनेता ईसाई संगठनोंके धनकी ओर दुर्लक्ष करते हैं !

इतने भारी मात्रामें प्राप्त धन ईसाई संस्था कहां व्यय करती है, यह भी जनताके समझमें आना चाहिए !

नई देहली : केंद्रशासनके गृह मंत्रालयद्वारा प्रकाशित ब्यौरेके अनुसार पिछले १० वर्षोंमें ईसाई सेवाभावी संस्थोंको (एन.जी.ओ.को) ८१ सहस्र ३०३ करोड रुपयोंकी विदेशी निधि प्राप्त हुई है, जिसमें अधिकांश ईसाई संस्थाओंका समावेश है । (इसमें संदेह नहीं कि यह धन हिंदुओंके धर्मपरिवर्तनके लिए प्रयुक्त किया जाता होगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

१. पिछले १० वर्षोंके आकडे देखे तो विदेशसे आनेवाली निधिमें प्रतिवर्ष वृद्धी ही हुई है । परंतु भाजपप्रणीत शासनके कार्यकालमें वृद्धीका प्रमाण अधिक नहीं था ।

२. वर्ष २००४-०५ में ईसाई सोनिया गांधीकी सरकार सत्तामें आनेके पश्चात इस निधिमें भरपूर (४० प्रतिशततक)  वृद्धी हो गई । (इससे स्पष्ट होता है कि ईसाई मिशनरियोंको भारतमें धर्मपरिवर्तन करनेका अनुज्ञापत्र (‘लायसेन्स’) ही मिलता है । भारतके उत्तर-पूर्वके राज्य ईसाई बहुसंख्यक हो गए हैं तथा अन्य आदिवासी क्षेत्रोंमें भारी मात्रामें धर्मपरिवर्तन चालू है । यह निश्चीत रूपसे सर्वज्ञात है कि विदेशसे मिलनेवाली निधिका उपयोग हिंदुओंको लालच दर्शाकर जालमें फंसानेके किया जाता है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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