फाल्गुन शुक्ल पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११५
इंदौर (मध्यप्रदेश) – इंदौरके प.पू. भक्तराज महाराजजीके उत्तराधिकारी एवं सनातनके प्रेरणास्रोत प.पू. रामानंद महाराजजीने ११ मार्च २०१४ को प्रातः ३.३० बजे इंदौरके भक्तवात्सल्याश्रममें देहत्याग किया । वे ९० वर्षके थे । गत कुछ वर्षोंसे वे श्वसनरोगसे ग्रस्त थे । सनातन संस्थाके संस्थापक प.पू. डॉ. जयंत आठवलेजीके वे गुरुबंधु थे । मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, विशाखापट्टणम् इत्यादि स्थानोंपर उनका विशाल भक्तपरिवार है । अंतिम दर्शनके लिए प.पू. रामानंद महाराजजीका पार्थिव देह ११ मार्चको दिनभर भक्तवात्सल्याश्रममें रखा जाएगा । १२ मार्चके दिन इंदौरमें रामबागके मुक्तिधाम विश्रामघाटमें उनका अंतिमसंस्कार किया जाएगा । भक्तवात्सल्याश्रमके श्री. अनिल जोगजीने सूचित किया है कि सवेरे ९ बजे आश्रमसे उनकी अंतिमयात्रा आरंभ होगी ।
प.पू. रामानंद महाराजजीका परिचय
प.पू. रामानंद महाराजजी पूर्वाश्रममें श्री. रामचंद्र लक्ष्मण निरगुडकरके नामसे जाने जाते थे । वे प्रखर राष्ट्रप्रेमी थे । इस कारण १९४८ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघका प्रचारक बननेके लिए उन्होंने नौकरी छोडी । १९४८ से १९६४ में उन्होंने संघके माध्यमसे राष्ट्रकार्यमें बहुमूल्य योगदान किया । प.पू. रामानंद महाराजजीने चालीस वर्ष प.पू. भक्तराज महाराजजीकी अत्यंत मनःपूर्वक सेवा की । प.पू. रामानंदजीकी सेवा, त्याग, भक्ति और निष्ठाकी प्रशंसा करते हुए प.पू. भक्तराज महाराजजीने एक बार कहा था, सौ भक्तराज होंगे; परंतु रामजी समान एक शिष्य बनना कठिन है !
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात