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हिंदु अधिवेशनद्वारा अब उडिसा राज्यमें भी ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करनेकी नीव रखी गई !

फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५

उडिसा राज्यमें प्रथम राज्यस्तरीय एकदिवसीय हिंदु अधिवेशनद्वारा ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करनेकी नीव रखी गई !

पूरे उडीसा राज्यसे हिंदु संगठन, विभिन्न संप्रदाय आदिके ११० हिंदु अधिवक्ता, उद्योजक, व्यावसायी आदि विविध क्षेत्रोंके धर्माभिमानी कार्यकर्ताओंका उत्स्फूर्त प्रतिसाद !

उडिया भाषाका सनातन-रचित धर्मपरिवर्तन ग्रंथका प्रकाशन करते हुए बार्इं ओरसे श्री. रमेश शिंदे, पू. कृष्णपात्र गुरुजी, श्री. शरद शर्मा एवं श्री. अनिल धीर

भुवनेश्वर (उडीसा) – उडिसा राज्यके हिंदु संगठन, संप्रदाय, हिंदुनिष्ठ एवं युवा धर्माभिमानियोंने भुवनेश्वरमें ९ मार्चको आयोजित प्रथम राज्यस्तरीय एकदिवसीय हिंदु अधिवेशनमें उस्फूर्त रूपसे सक्रिय सहभाग लेकर उडिसा राज्यमें ‘हिंदु राष्ट्र ’ स्थापित करनेकी नीव रखी । हिंदु अधिवेशनका आरंभ स्वःशक्ति जागरन सेवा संस्थानके संस्थापक पू. कृष्णपात्र गुरुजीके शुभहाथों  दीपप्रज्वलन कर किया गया, जबकि अधिवेशनका समापन श्री राधावल्लभ मठके महामंडलेश्वर महंत पू. रामकृष्णकी उपस्थितिमें हुआ ।

हिंदुओ, ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करनेका संकल्प करें ! –  पू. कृष्णपात्र गुरुजी

‘उद्घाटन समारोहके समय पू. कृष्णपात्र गुरुजीने कहा कि एक समय ऐसा था कि हम मनुष्योंसेही नहीं, अपितु पान-फूल, वृक्ष, पशु-पक्षी इतना ही नहीं, अपितु पूरे ब्रह्मांडसे संवाद कर सकते थे । वर्तमान समयमें हम हमारे हिंदु बंधुओंसे ही नहीं, अपितु स्वयं अपनेसे भी संवाद नहीं कर सकते । हिंदुओंकी वर्तमान दुःस्थितिको हमारी सुप्तावस्था कारणभूत है । इस सुप्तावस्थासे जागृत होनेका समय आ गया है । परिवर्तन हेतु संकल्प ही बडा शस्त्र है । इसलिए ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करनेका संकल्प करे !’
हिंदू जनजागृति समितिके श्री. रमेश शिंदेजीने हिंदुओंके संगठनसे समितिके सफलताप्राप्त आंदोलनोंकी जानकारी दी तथा बताया कि धर्माचरण ही धर्मलढाईका मूल है, जिसके आधारसे हम निश्चित रूपसे ‘हिंदु राष्ट्र’ की स्थापना कर सकते हैं ।

अधिवेशनमें उपस्थित संगठन एवं संप्रदाय

अधिवेशनमें भुवनेश्वर, राऊरकेला, बीरमित्रपुर, संबलपुर, कटक, पुरी आदि क्षेत्रोंसे ११० हिंदु धर्माभिमानी उपस्थित थे । योग वेदांत सेवा समिति, स्वःशक्ति जागरन सेवा संस्थान, राधा वल्लभ मठ, पतंजली योग समिति, भारत रक्षा मंच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदु परिषद इत्यादि संगठन एवं संप्रदायोंके साधक तथा कार्यकर्ता साथ ही अधिवक्ता, उद्योजक, व्यावसायी आदि विविध क्षेत्रोंके धर्माभिमानी कार्यकर्ताओंने इस अधिवेशनमें मार्गदर्शन, चर्चा इत्यदिमें सक्रिय रूपसे सम्मिलित होकर ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु संगठित होनेका संदेश एकत्र होकर दिया ।

अधिवेशनके सत्रोंके सूत्र

१. अधिवेशन कुल मिलाकर पांच सत्रोंमें आयोजित किया गया था । प्रथम सत्रमें कोणार्क सुरक्षा समितिके अध्यक्ष श्री. शरद जयसिंहनजीने कोणार्क मंदिरके संदर्भमें आंदोलनके विषयमें; भारतीय रक्षा मंचके राष्ट्रीय संयोजक श्री. अनिल धीरजीने बांग्लादेशी घुसपैठके संदर्भमें; भाजपाके विधायक श्री. प्रताप सडंगीजीने गोरक्षाके संदर्भमें एवं सर्वोच्च न्यायालयके अधिवक्ता श्री. प्रसन्नकुमार नंदाजीने सरकारद्वारा हिंदु मंदिरोंको अनधिकृत सिद्ध कर तोडनेके विरुद्ध आंदोलनके संदर्भमें अपने विचार व्यक्त किए, जबकि हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदेजीने इस सत्रका समारोप करते समय जागृति, संगठन एवं धर्माचरण करनेका महत्त्व विषद  किया ।

२. अधिवेशनके दूसरे सत्रमे संबलपुरके धर्माभिमानी श्री. शरद शर्माजी एवं पदव्युत्तर शिक्षा प्राप्त करनेवाले उत्कल विद्यापीठके श्री. उपेंद्र बिस्वालजीने हिंदुसंगठन करते समय आए अनुभव कथन किए । तदुपरांत धर्मपर होनेवाले आघातोंके संदर्भमें दृश्यश्राव्यचक्रिका (VCD) दर्शाई गई एवं गुटचर्चामें ‘हिंदु राष्ट्र’ की स्थापनाके लिए संगठनकी आवश्यकता एवं आतंकवादी आक्रमण इन विषयोंपर विचार-विमर्श किया गया ।

३. तिसरे सत्रमें सेवानिवृत्त प्रशासकीय अधिकारी एवं पुरी पीठ शंकराचार्यजीके अनुयायी श्री. जे.डी. मिश्राजीने पश्चिमी सभ्यतावाली संस्कृतिका आक्रमण; पतंजली योग केंद्रके श्री. अजित रथजीने स्वदेशी वस्तुका उपयोग करनेका महत्त्व; योग वेदांत सेवा समितिके श्री. अरुणकुमारजीने ‘संतोंके मानहानिका षडयंत्र’; तो वैतरनी बचाव मोहिमके मुख्य श्री. मुरली शर्माजीने अपने आंदोलनके संदर्भमें उपस्थितोंको जानकारी दी । हिंदू जनजागृति समितिके श्री. विनय पानवलकरजीने ‘ब्राह्मतेजका महत्त्व’ विषयपर मार्गदर्शन किया एवं हिंदू जनजागृति समितिके श्री. विनायक शानभागजीने अधिवेशनका सूत्रसंचालन किया ।

४. अधिवेशनके अंतमें कंधमलके हिंदु संत पू. लक्ष्मणानंद सरस्वतीजीकी हत्याकी विस्तृत एवं कालबद्ध जांच करनेकी मांगके साथ कुल मिलाकर ७ हिंदुहितके प्रस्ताव पारित किए गए ।

उडिया भाषाके धर्मपरिवर्तन ग्रंथोंका प्रकाशन

अधिवेशनके उद्घाटनके पश्चात सनातन-रचित ‘धर्मपरिवर्तन’  उडिया भाषाके नए ग्रंथका प्रकाशन पू. कृष्णपात्र गुरुजीके शुभहाथों किया गया तथा इस ग्रंथके भाषांतरकार भुवनेश्वरके सनातनके साधक श्री. शुभेंदु रथका भी सम्मान पू. कृष्णपात्र गुरुजीके शुभहाथों किया गया ।

क्षणिकाएं

१. संबलपुर, राऊरकेला एवं बिरमित्रापुरसे आए धर्माभिमानियोंने श्री. रमेश शिंदेजीके राष्ट्र एवं धर्मविषयक व्याख्यानोंका आयोजन करनेकी इच्छा व्यक्त की ।

२. राऊरकेला नगर भुवनेश्वरसे ४५० कि.मी. अंतरकी दूरीपर होकर भी वहांके ६ धर्माभिमानी एवं राऊरकेलासे ३२ कि.मी. दूरीपरके बिरमित्रपुरके ९ धर्माभिमानी अधिवेशनके लिए उपस्थित रहे, जिसमें दो अधिवक्ता थे ।

३. अधिवेशनके लिए आए ११० उपस्थित लोगोंमें लगभग ३० से अधिक तरुण थे ।

४. अधिवेशनमें पांच अधिवक्ता उपस्थित थे ।

५. प्रखर हिंदुनिष्ठ विधायक श्री. प्रताप सडंगीजी का स्वास्थ्य एक सप्ताहसे ठीक न होते हुए भी वे  उत्साहसे आधिवेशनमें उपस्थित थे एवं उन्होंने परिणामकारक मार्गदर्शन भी किया ।

६. आंध्रप्रदेश निवासी एवं हाल-हीमें अभियांत्रिकी पदवी प्राप्त श्री. के. राजेशजीने अधिवेशनकी सेवामें लगभग एक सप्ताह उस्फूर्त रूपसे सहभाग लिया । उन्हें तेलुगू एवं अंग्रेजी दो भाषाओंके अतिरिक्त अन्य कोई भाषा नहीं आनेपर भी अधिवेशनकी अनेक सेवाएं सीखनेका प्रयास किया ।

७. उत्कल विश्वविद्यालयके धर्माभिमानी विद्यार्थियोंने श्री. रमेश शिंदेजीका राष्ट्र-धर्मविषयक व्याख्यान अधिवेशनसे दो दिन पूर्व आयोजित किया । इस व्याख्यानके लिए लगभग ७० विद्यार्थी उपस्थित थे, जिसमें १० विद्यार्थी अधिवेशनमें उपस्थित रहे ।

८. जाचपुर एवं भद्रकके युवा धर्माभिमानियोंने अपने नगरमें समितिका कार्य चालू करनेकी इच्छा व्यक्त की ।

९. मारवाडी महिला मंचकी श्रीमती लक्ष्मी असवालने अपने अपार्टमेंटके निवासियोंके लिए प्रवचनका आयोजन करने हेतु विनती की ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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