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हिंदु धर्म तथा संतोंपर होनेवाले आक्रमणोंके विरुद्ध धैर्यसे लडनेवाली चेन्नईकी धर्माभिमानी श्र

फाल्गुन शुक्ल पक्ष  त्रयोदशी , कलियुग वर्ष ५११५

हिंदु अधिवेशनमें विचार प्रस्तुत करती श्रीमती उमा आनंदन

हिंदु अधिवेशनमें विचार प्रस्तुत करती श्रीमती उमा आनंदन

चेन्नईकी श्रीमती उमा आनंदन् धर्माभिमानी हैं तथा हिंदु धर्म एवं संतोंपर होनेवाले आक्रमणोंके विरुद्ध धैर्यसे लडने हेतु नित्य तत्पर रहती हैं । वे अब हिंदू जनजागृति समितिके कार्यसे जुड गई हैं । चेन्नईमें वर्तमानमें संपन्न राज्यस्तरीय हिंदु अधिवेशनमें उन्होंने सक्रिय हिस्सा लिया था ।

भारतके विभाजन हेतु उत्तरदायी महम्मद अली जिनाका उदात्तीकरण करनेवाले अली जे. नाटकके विरुद्ध हिंदू जनजागृति समितिने वैध पद्धतिसे लडाई की । इससे आयोजकोंको नाटक निरस्त करना पडा । इस अवसरपर ध्यानमें आई श्रीमती उमा आनंदन्की गुणविशेषताएं यहां दे रहे हैं ।

१. नेतृत्व एवं तत्परता : श्रीमती उमा आनंदन्ने संबंधित अधिकारियोंसे त्वरित संपर्क किया तथा उन अधिकारियोंसे मिलनेका समय पूछ लिया ।
२. दायित्व लेना : श्रीमती उमा आनंदन्ने श्रीमती राधा राजनके साथ स्वयं आगे आकर पुलिसको स्वयंके हस्ताक्षरका आवेदन प्रस्तुत किया ।
३. अन्य व्यक्तियोंकी चिंता करना : जब पुलिस निरीक्षकने समितिके प्रतिनिधि मंडलको सहआयुक्तसे मिलने हेतु प्रात: ११ की अपेक्षा दोपहर २ बजे आनेको बोला, उस समय श्रीमती उमा आनंदन्ने साथ आए कार्यकर्ताओंको पुन: इतनी दूर आनेका कष्ट न लेनेको कहा ।
४. सेवा परिपूर्ण करनेकी तडप : श्रीमती उमा आनंदन् सायं देरतक पुलिस थानामें रुकी रहीं तथा सहआयुक्तसे नाटक निरस्त करनेका आश्वासन लेकर ही लौटीं । उसी समय उन्होंने पुलिसहआयुक्तको कृतज्ञताका पत्र देने हेतु भेंटका समय भी निश्चित करवाया ।
५. हिम्मत : धर्म हेतु कार्यरत रहते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियोंसे मिलनेमें श्रीमती आनंदन्को किसी भी प्रकारका डर नहीं लगता ।
हे श्रीकृष्ण, श्रीमती उमा आनंदन् जैसे धर्माभिमानी दिलानेके लिए हम आपके चरणोंमें कृतज्ञता व्यक्त करते हैं ।
– श्रीमती उमा रविचंद्रन्, चेन्नई

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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