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अलीगढ मुस्लिम विद्यापीठकी मदरसामें रूपांतर होनेकी दिशामें हलचल ! – विद्यार्थियोंद्वारा प्रतिक

फाल्गुन शुक्ल पक्ष चतुर्दशी, कलियुग वर्ष ५११५

मदरसाका अर्थ है जिहादी आतंकवादियोंको निर्माण करनेवाले कारखाने  !

अब इस विद्यापीठसे जिहादी आतंकवादियोंका निर्माण हुआ, तो कोई आश्चर्य नहीं प्रतीत होना चाहिए ।

क्या ऐसे विद्यापीठसे शिक्षा ग्रहण करनेवाले मुसलमान युवक कभी राष्ट्रीय प्रवाहमें आकर भारतकी उन्नतिके लिए सहायता कर सकते हैं ?


अलीगढ (उत्तरप्रदेश) : अलीगढ मुस्लिम विद्यापीठके विद्यार्थियोंमें मुस्लिम कट्टरतावादियोंका प्रादुर्भाव हुआ है एवं उनका आग्रह है कि यहांके सभी विद्यार्थी मुस्लिम कानूनके अनुसार आचरण करें, जबकि उदारमतवादी विद्यार्थियोंको इस क्षेत्रमें रहतेमें किसी भी प्रकारके धार्मिक प्रतिबंध स्वीकार न होनेसे यहांके विद्यार्थियोंका दो गुटोंमें वर्गीकरण हो गया है ।

१. इस विद्यापीठमें लडकोंने यदि आधुनिक गणवेश धारण किया, तो उन्हें धर्मांध कट्टरतावादी विद्यार्थियोंकी निंदा सहन करनी पडती है । छात्राओंके आधुनिक गणवेशको अश्लील संबोधित किया जाता है । उनके मतानुसार यहांकी छात्राओंको बुरखा पहनना, धीरे स्वरमें बात करना, पुरुषोंसे दूर रहना आदि नियमोंका पालन करना चाहिए । कट्टरतावादी गुटके विद्यार्थियोंको ऐसा लगता है कि यदि शरियत कानून लागू किया गया, तो  बलात्कारकी घटनाओंपर प्रतिबंध लगेगा ।

२. एक विद्यार्थीने कहा कि विद्यार्थी निवासमें नमाजपठनके लिए अलग कक्ष है; परंतु वे धार्मिक बातोंके लिए सामायिक कक्षका उपयोग करते हैं । वहां यदि टी.व्ही. चालू है, तो उसे बंद कर अन्य लोगोंको वहांसे चले जानेको कहते हैं । यहां नाचने-गानेपर भी प्रतिबंध है । इसलिए विद्यार्थियोंकी स्वतंत्रापर आंच आई है । 

३. इसके विरुद्ध अनेक परिवाद करनेपर भी विद्यापीठके व्यवस्थापनकी ओरसे इसे दुर्लक्षित किया गया है । 
४. कानून विषयका विद्यार्थी साहब अहमद इस धार्मिक कट्टरतावादसे त्रस्त हो गया एवं उसने प्रश्न उपस्थित किया है कि

क्या इस विद्यापीठको मिल्लत विद्यापीठ बनाना है ?  

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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