![](https://3.bp.blogspot.com/-OEIbaudGCBg/VdDqYSwMlNI/AAAAAAABp54/fNe_kDJq8mg/s1600/PSX_20150816_190000.jpg)
इस अवसर पर सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के कायंकर्ता एवं साधकों ने शंखनाद कर शोभायात्रा का स्वागत किया । इस अवसर पर समिति के कार्यकर्ताओं ने हाथ में सुवचनों के फलक भी धारण किए थे । साथ ही ‘तीर्थक्षेत्र प्रदूषित करना पाप है,’ ‘कुंभक्षेत्र की पवित्रता बनाए रखें’ तथा ‘गोदावरी नदी को पवित्र रखें’ इत्यादि प्रबोधन करनेवाले फलक वाहन पर लगाए थे ।
त्र्यंबकेश्वर (जिला नासिक) – नासिक-त्र्यंबकेश्वर के सिंहस्थपर्व के उपलक्ष्य मेें कुंभनगरी मे शैव, वैष्णव एवं अन्य विविध अखाडे तथा आध्यात्मिक संगंठनों का आगमन हो रहा है । इस में १६ अगस्त को त्र्यंबकेश्वर में निरंजनी पंचायती अखाडे के नागा साधु, महंत, महामंडलेश्वर, आचार्य, साधु एवं संतों ने एकत्रित आकर शहनाई, तुरही, बैंडबाजे एवं पारंपारिक वाद्य बजाकर भव्य पेशवाई (शोभायात्रा) निकाली । यह शोभायात्रा आनंद अखाडा, श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर एवं कुशावर्त तीर्थ से लेकर कुंभमेले का निरंजनी अखाडा छावनी इस प्रकार निकाली गई । शोभायात्रा में सहस्रों भक्त सम्मिलित हुए थे । विशेष कर इस अवसर पर नागा साधु घोडे पर सवार होकर तरवार, भाले, त्रिशूल इत्यादि शस्त्र लेकर हर हर महादेव का जयघोष करते हुए जा रहे थे ।
सवेरे आनंद अखाडे के स्थान पर निरंजनी पंचायती अखाडे के ९०० वर्ष पूर्व के पारंपरिक भालों का संत-महंतों की उपस्थिति में विधिवत् पूजन किया गया । इस संदर्भ में जानकारी देते हुए अखिल भारतीय अखाडा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्रगिरी महाराज ने कहा कि इस देश में बौद्धों ने साम्राज्य स्थापित किया था । इस समय राष्ट्र एवं धर्म रक्षा हेतु नागा साधुओं ने इन्हीं भालों द्वारा उनके विरुद्ध युद्ध किया था । तब से हमने इन भालों का जतन किया है । पेशवाई के उपलक्ष्य में हम इन भालों का पूजन कर शोभायात्रा निकाल कर कुंभमेले की छावनी में प्रवेश करते है ।
इस अवसर पर शोाभायात्रा के सब से आगे २५ से ३० फूट लंबाई के दो भगवे ध्वज एवं दो पारंपरिक भाले लेकर घोडे पर सवार नागा साधु, उसके पीछे देवी-देवताओं की पालकी, नागा साधुओं का समूह, वारकरी संप्रदाय का भजनी मंडल, भगवे ध्वज लेकर भक्त एवं उसके पीछे महंत, महामंडलेश्वर इत्यादि लोगों के झंडू के फूलों से सजाए रथ सम्मिलित हुए थे । इस शोभायात्रा में महंत स्वामी नित्यानंदगिरी महाराज, महंत स्वामी ललितानंदगिरीजी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी विष्णुतीर्थजी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी विद्यानन्दपुरीजी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी गजानन्दगिरीजी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंदगिरीजी महाराज, महामंडलेश्वर श्री श्री १००८ प्रेमलतागिरी साध्वीजी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिओमपुरीजी एवं अन्य महाराज रथों पर सवार हुए थे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात