मुंबई – शिवशाहीर बाबासाहब पुरंदरे को बुधवार को महाराष्ट्र सरकार के सर्वोच्च सम्मान महाराष्ट्र भूषण से सन्मानित किया गया। यह राज्य का शीर्ष सम्मान है जिसे लेकर काफी विवाद चला। यहां तक कि अदालत में मामला दायर कर सम्मान स्थगित करने की मांग की गई थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
अदालत ने याचिका दायर करने वाले को १० हजार रु. का दंड भी लगाया। राजभवन में कड़ी सुरक्षा के बीच आयोजित समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने सम्मान प्रदान किया। समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत, संजय राउत, राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री विनोद तावड़े, उद्योग मंत्री सुभाष देसाई और मुंबई के मेयर स्नेहल अंबेदकर सहित कई अन्य गणमान्य भी मौजूद थे।सम्मान प्राप्त करने के बाद श्रोताओं को संबोधित करते हुए पुरंदरेजी ने कहा कि, पुरस्कार में मिली १० लाख रुपए की राशि वह पुणे के मास्टर दीनानाथ मंगेश्कर अस्पताल को दान में देंगे।
उन्होंने इसके अलावा निजी तौर पर और १५ लाख रुपये अस्पताल को देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सूखा प्रभावित मराठवाड़ा क्षेत्र में गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे किसानों की वह मदद करना चाहेंगे।
फडणवीस ने इस मौके पर कहा कि जो लोग पुरंदरे को सम्मान का विरोध कर रहे हैं उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराजजी के बारे में कुछ भी नहीं पता है। पुरंदरेजी को सम्मान को लेकर उस समय बवाल हो गया था जब उनके विरोधियों ने उन पर शिवाजी महाराज की छवि खराब करने का आरोप लगाया। विरोधियों ने अदालत में मामला दायर किया था।
शिवशाहीर पुरंदरे को ‘महाराष्ट्रभूषण’ पुरस्कार उचित ही ! – हिन्दू जनजागृति समिति
शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे को प्रदान किया गया पुरस्कार महाराष्ट्र शासन कभी भी निरस्त न करें । बाबासाहेब ने अपना पूरा जीवन छत्रपति शिवाजी महाराज के संशोधन करने हेतु व्यतीत किया है । अतः ऐसे ऋषितुल्य व्यक्तित्व को पुरस्कार प्रदान करना अर्थात् एक रूप से पुरस्कार का आदर भी वृद्धिंगत करने के समान ही है । – श्री. सुनील घनवट, प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति, महाराष्ट्र
स्त्रोत : नर्इ दुनिया