उपहार अग्निकांड मामले में दोषी ठहराए गए अंसल बंधुओं की नजर में सिनेमा हाल में मारे गए ५९ लोगों की जान की कीमत कुछ भी नहीं थी। अदालत ने उन्हें पीडितों के परिवार को बतौर मुआवजा करीब १० करोड रुपये देने का निर्देश दिया तो अंसल ने कह दिया कि उनके पास पैसे नहीं हैं।
वहीं, जब जेल जाने से बचने के लिए ६० करोड का जुर्माना लगा तो तुरंत राशि देने के लिए हामी भर ली। यानी, खुद की रिहाई के लिए पैसे का प्रबंध हो गया।
उधर, पीडित परिवारों को मुआवजा प्रदान करने के मामले में भी लंबी कानूनी लडाई सामने आई थी। उपहार पीडित एसोसिएशन की याचिका पर हाईकोर्ट ने २४ अप्रैल २००३ को फैसला सुनाया।
अंसल ने कहा था उनके पास नहीं है रकम
इसमें हादसे में मृत २० वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति के लिए १८ लाख, उससे कम आयु के बच्चे के लिए १५ लाख रुपये मुआवजा तय किया गया।
इसके अलावा घायल ८५ दर्शकों के लिए एक-एक लाख रुपये देने को कहा गया। उक्त राशि का ८५ प्रतिशत मुआवजा अंसल को देना था और शेष दिल्ली विद्युत बोर्ड व स्थानीय निकायों को देनी थी।अदालत ने अंसल को ट्रामा सेंटर के लिए भी दो करोड ५० लाख रुपये देने का निर्देश दिया। इस पर अंसल ने तर्क रखा कि उसके पास मुआवजा देने के लिए रकम नहीं है।
अब जुटा लिए 60 करोड
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इसको लेकर सर्वोच्च न्यायलय में अपील भी दायर की। सर्वोच्च न्यायालय ने १३ अक्तूबर २०११ को मुआवजे की राशि को घटाकर २० वर्ष से अधिक आयु के दर्शक के लिए १० लाख व उसये कम आयु के मारे गए दर्शक के लिए मात्र साढ़े सात लाख रुपये कर दी।
वहीं, ट्रामा सेंटर को दी जानी वाली ढाई करोड को भी घटाकर मात्र २५ लाख रुपये कर दिया। अब सर्वोच्च न्यायालय ने उनको जेल भेजने की अपेक्षा जेल में काटी गई सजा के बदले दोनों भाइयों को जुर्माने के रूप में ६० करोड देने का निर्देश दिया तो उन्होंने तुरंत उक्त राशि जमा करवाने की हामी भर दी।जिन अंसल बंधुओं के पास पीडित परिवारों को देने के लिए करीब १० करोड रुपये नहीं थे, उनके पास अब ६० करोड तुरंत आ गए।
स्त्रोत : अमर उजाला