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‘समय’ खोलेगा मालेगांव बम विस्फोट का राज

कालीबाड़ी मंदिर के पास हुए बम विस्फोट के पीछे किसका हाथ है? इस विस्फोट के पीछे उसका क्या मकसद हो सकता है? कौन लाया था बम? कैसे आया इतने वीआईपी एरिया में बम? ऐसे कई सवालों का जवाब अब समय देगा। समय मतलब घड़ी, जिसकी तलाश न सिर्फ एनआईए (नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी) टीम को थी बल्कि पुलिस भी उसे खोजने के लिए गंभीरता से हर चीज खंगाल रही है। क्योंकि यह लगभग तय है कि विस्फोट टाइमर से हुआ है। तो टाइमर की घड़ी का नमूना जरूर मिलेगा। घड़ी के इस नमूने से कई राज खुद ब खुद खुल जाएंगे। हालांकि पुलिस अभी तक इस विस्फोट को आतंकी घटना नहीं मान रही है। मगर खुद पूरी घटना जो बयां कर रही है, वह सीधा इशारा आतंकी हमले की ओर है।

घड़ी बन सकती है बडा सुराग

बम विस्फोट के बाद पहले पुलिस, फिर डॉग स्क्वॉयड फिर रांची की फोरेंसिक टीम के बाद एनआईए की टीम ने भी घटनास्थल के साथ आसपास के सभी एरिया की बारीकी से जांच की। टीम ने स्टील और तार से जुड़े एक-एक टुकड़े को इक्ट्ठा किया है। हालांकि टीम के सभी मेंबर एक घड़ी की तलाश गंभीरता से कर रहे थे। स्त्रोत ने बताया कि ये वही घड़ी है, जिसका यूज टाइमर के साथ करके विस्फोट किया गया है। अगर ये घड़ी या उससे जुड़ा कुछ भी मिलता है तो वह काफी राज खोलने में मदद करेगा।

आतंकियों की ओर इशारा

जिले का नक्सलियों के साथ आतंकियों का भी पुराना साथ रहा है। जिले के चारों ओर जहां नक्सली एरिया है, वहीं जिले में २००२ से ही आतंकी साया मंडरा रहा है। कभी स्लीपर सेल पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं तो कभी सिमी के साथ जमात-उल-मजाहिदीन और इंडियन मुजाहिदीन के लिए काम करने वाले आतंकी पकड़े जाते हैं। रविवार को कालीबाड़ी मंदिर के पास जो हादसा हुआ, उसका इशारा आतंकी हमले की ओर है। क्योंकि नक्सली अक्सर लैंड माइंस विस्फोट या सीधा हमला करते हैं। इस तरह का विस्फोट आतंकी ही करते हैं। साथ ही इतना वीआईपी एरिया भी आतंकी ही सेलेक्ट करते हैं। पुलिस की जांच आईईडी होने की पुष्टि हुई है। जिसका यूज भी आतंकी ही करते हैं।

जांच के लिए कोर्ट के आदेश का इंतजार

पुलिस ने घटनास्थल से मिले सभी नमूनों को सुरक्षित रख लिया है। उसकी एक रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई है। जिसे कोर्ट में पेश कर दिया गया है। कोर्ट की परमीशन मिलते ही सभी नमूनों को जांच के लिए रांची स्थित फोरेंसिक लैब भेज दिया जाएगा। इसके बाद इस मामले में कुछ और राज खुल सकेंगे।

स्त्रोत : जागरण

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