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सरकारी खर्च पर मौज करते है अलगाववादी

कश्मीर के अलगावादी नेताओं की पाकिस्तानी अधिकारियों से सरकारी खर्च पर मुलाकात होती रही है। हुर्रियत समेत तमाम अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा के अलावा होटल बिल का भी भुगतान जम्मू कश्मीर सरकार करती है।

इस बार भी अलगाववादी नेताओं की पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीत से मुलाकात होती है तो बिल का भुगतान सरकारी खाते में ही जाएगा।

कश्मीर में अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सालाना औसतन ११२ करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इसमें उनकी दिल्ली यात्रा भी शामिल रही है।

गृहमंत्रालय को भेजा विवरण

जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी पहले इस बाबत विवरण भेजा गया है। अलगाववादी नेताओं के होटल बिल पर पांच साल में २१ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

इस तरह सालाना औसतन चार करोड़ रुपये अलगाववादी नेताओं के होटल बिल पर खर्च होते हैं। इसमें से कुछ उन होटल कमरों का किराया भी शामिल है जो कश्मीर घाटी में अलगावादी नेताओं के नाम स्थाई रूप से आरक्षित कराए गए हैं।

पाकिस्तान उच्चायोग के बुलावे पर दिल्ली आने पर होटल बिल भी इस खर्च में शामिल हो जाता है। जम्मू कश्मीर सरकार के दस्तावेज कहते हैं कि पांच साल में अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर ५६० करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

५०० निजी अंगरक्षक और १००० सुरक्षा गार्ड तैनात

जम्मू कश्मीर सरकार इस संबंध में अलगाववादी नेताओं के नाम सहित उनपर हो रहे खर्च का ब्योरा उपलब्ध कराने से परहेज करती रही है।

सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस सबंध में जम्मू कश्मीर विधानसभा को भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में निजी अंगरक्षक के रूप में लगभग ५०० और उनके आवासों पर सुरक्षा गार्ड के रूप में लगभग १००० जवान तैनात हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जम्मू सरकार को विशेष सुरक्षा संबंधी खर्चों के लिए पांच साल में ७२०७ करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं।

गैर राजनीतिक लोगों को विशेष सुरक्षा

पिछले वित्तीय वर्ष में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मद में २८७ करोड़ दिए थे। इस मद की राशि का भी उपयोग अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर खर्च होती रही है।

जम्मू कश्मीर के २२ जिलों में ६६९ राजनीतिक और गैर राजनीतिक लोगों को विशेष सुरक्षा दी गई है। इनमें से २९४ गैर सूचीकृत लोग हैं।

सूत्रों के मुताबिक इस गैर सूचीकृक व्यक्तियों में अलगावादियों को शामिल किया गया है। सुरक्षा प्राप्त ४८१ लोगों को पांच साल में ७०८ वाहन उपलब्ध कराए गए हैं ।

स्त्रोत : अमर उजाला

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