इस विषय में कुंभमेले को नाम रखनेवाले प्रगतिशील एवं धर्मनिरपेक्षतावादियोंका क्या कहना है ?
नई देहली : उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शुभ हाथों अमेरिका के प्रतिथयश हॉवर्ड विद्यापीठ के संशोधकद्वारा लिखित Kumbh Mela – Mapping the Ephemeral Mega-City (कुंभमेला – अल्पकालिक विशाल नगर का मानचित्रण) पुस्तक का प्रकाशन किया गया। इस अवसरपर विद्यापीठ के संशोधक के एक गुट ने कहा कि वर्ष २०१३ के जनवरी-फरवरी महिने में वर्ष २०१३ में प्रयाग में संपन्न महाकुंभमेले का आयोजन ब्राजिल में फिफाने (फेडरेशन इंटरनैशनल फूटबॉल एसोसिएशनद्वारा) आयोजित विश्वचषक फूटबॉल प्रतियोगिता तथा राष्ट्रकुल प्रतियोगिता से भी अच्छा था। समाजवादी पक्ष की सरकारद्वारा ५५ दिवसीय महाकुंभमेले का आयोजन किया गया था।
संशोधक गुटों में ५० अभ्यासियोंका सहभाग !
इस अपूर्व मेले का अभ्यास करने हेतु संशोधकोंके गुट में नगरनियोजन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, व्यापार, वास्तुशास्त्र एवं संस्कृति इन पांच क्षेत्रोंके ५० तज्ञ व्यक्तियोंका समावेश था। इस अभ्यासगुट ने कुंभनगरी में की गई सुविधापूर्ति, उनका नियोजन इत्यादि विभिन्न अंगोंका अभ्यास किया। अपनी ४४७ पृष्ठ की पुस्तक में संशोधक ने महाकुंभमेले का वर्णन किया है। अभ्यासियोंने ऐसा मत व्यक्त किया है कि भारत समाज के सभी स्तरोंके लोगोंको सुविधापूर्ति करना चाहता है; परंतु उस में उसे सफलता नहीं मिली है। कुंभमेले के इस सफल नियोजन से वह निश्चित ही इस ध्येय की पूर्ति कर सकता है, अभ्यासियोंने ऐसा मत व्यक्त किया है।
सुस्त कारभार करनेवाले भारत प्रशासनद्वारा कुंभमेले का आयोजन एक अभिनव घटना !
ब्राजिल में २०१४ में आयोजित विश्वचषक फूटबॉल प्रतियोगिता की घटिया सिद्धता के विषय में सर्वत्र चर्चा हुई। वर्ष २०१० में आयोजित राष्ट्रकुल प्रतियोगिता को भ्रष्टाचार के कारण कलंक लगा। दोनों प्रतियोगिताओंके आयोजन पर करोडो रुपयोंका व्यय किया गया तथा उनके नियोजन में शासन का भी सहभाग था। भारतीय प्रशासन सुस्त कामकाज के लिए कुविख्यात है। ऐसी स्थिति में भी महाकुंभमेले का आयोजन अभिनव ही है।
कुंभनगरी खडी करना मानवद्वारा किया गया बडा कार्य !
अमेरिका के मैनहैटन नगर से अधिक जनसंख्यावाले कुंभनगरी की बिलकुल अल्प समय में स्थापना करना नगरनियोजनकारों के लिए अभ्यास करने जैसी बात है। इस छोटीसी भूमि में १० करोड भक्त कैसे आते हैं ?, वहां ५५ दिन तक कैसे निवास करते हैं ?, गंगा, जमुना एवं सरस्वती नदियों के त्रिवेणी संगम पर प्रतिदिन ५० लाख लोग स्नान करते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं, पूजन-अर्चन एवं प्रार्थना करते हैं। साधुओं के साथ वास्तव्य करते हैं एवं तदुपरांत सुरक्षित रूप से वापिस अपने गांव आते हैं। ये सब घटनाएं अभ्यास करने जैसी हैं, इस पुस्तक में ऐसा कहा गया है कि महाकुंभमेले का व्यवस्थापन इतना उत्कृष्ट था कि वहां प्रत्येक व्यक्ति को सभी प्रकारकी सुविधाएं उपलब्ध कर दी गई थीं। इस पुस्तक में ऐसा भी लिखा गया है कि कुंभनगरी खडी करना मानवद्वारा किया गया बडा कार्य है।
कुंभमेले के संपर्कतंत्र भी अभ्यास करने समान है !
निश्चित क्षेत्रों में भारी मात्रा में भ्रमणभाष प्रयुक्त होने का कुंभमेला बडा उदाहरण है। कुंभमेले के भक्तोंद्वारा प्रयुक्त भ्रमणभाष का यदि अभ्यास करने का निश्चय किया, तो अध्ययनकर्ता को कुंभमेले में सम्मिलित प्रत्येक भक्त के लघुसंदेशों तथा कॉल्स का अध्ययन करने के लिए १२ वर्ष लगेंगे ! कुंभमेले की कालावधि में १४ करोड ५७ लाख ३६ सहस्र ७६४ लघुसंदेशोंका आदानप्रदान एवं २४ करोड ५२ लाख, ५२ सहस्र १०२ कॉल्स किए गए।
कुंभमेले का आदर्श नियोजन करने हेतु राजनेताओंको प्रयास करने चाहिए !
हॉवर्ड विद्यापीठद्वारा वर्ष २०१३ के कुंभमेले के नियोजन की प्रशंसा की गई।
अतः उत्तरप्रदेश के समाजवादी पक्ष की सरकार को खुश होने की कोई आवश्यकता नहीं है। उस समय दैनिक सनातन प्रभातद्वारा कुंभमेले के बेढंगे नियोजन एवं संत-महंतोंको हुए कष्टोंकी सूची बनाई थी। कुंभमेले का नियोजन सफल होने का कारण है ईश्वरीय नियोजन एवं भक्तोंकी भगवान पर श्रद्धा ! अतः भविष्य में कुंभमेलोंका सुनियोजन करने हेतु राजनेताओंद्वारा अधिक प्रयास होना अपेक्षित है ! यदि कुंभमेले के उत्कृष्ट नियोजन के लिए उत्तरप्रदेश शासनद्वारा कुछ भी प्रभावी कार्य किए बिना हॉवर्ड विद्यापीठ उत्तरप्रदेश शासन की इतनी प्रशंसा करता है, तो शासनद्वारा कुंभ के समारोह के लिए वास्तव में ध्यान देकर कार्य किया गया, तो विद्यापीठ उत्तरप्रदेश शासन को उठा कर सिर पर ही बिठा लेगा !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात