हिन्दू जनजागृति समितिका ‘आदर्श श्री गणेशोत्सव’ अभियान !
मुंबई : मुंबई महानगरपालिका आयुक्त श्री. अजोय मेहताद्वारा यह आश्वासन प्राप्त हुआ कि, गणेशमूर्ति के विसर्जन के समय होनेवाले अनाचारोंके विरोध में समितिद्वारा दी गई महत्त्वपूर्ण सूचना तथा निवेदनद्वारा जो मांग की गई, उसकी ओर ध्यान दूंगा तथा उसपर कार्यवाही करूंगा।’ कृत्रिम कूंड में मूर्तिविसर्जन तथा मूर्तिदान के कारण धर्महानि होती है, प्रदूषण पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते, इस संदर्भ में आयुक्तद्वारा आश्चर्य व्यक्त किया गया और बताया कि, ‘इस संदर्भ में महानगरपालिका उचित कार्यवाही करेगी।’
गणेशमूर्ति का होनेवाला अनादर रोकने हेतु अनेक वर्षोंसे सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति लोगों में जनजागृति कर रहे हैं। विसर्जन के स्थान पर उपस्थित रहकर गणेशभक्तोंका प्रबोधन कर रहे हैं; यह सुनकर आयुक्तोंने कार्य की प्रशंसा की तथा बताया कि, ‘इस संदर्भ में सहकार्य करेंगे।’
उस समय महानगरपालिका के सुधार समिति के अध्यक्ष श्री. प्रकाश गंगाधरे, समिति के समन्वयक श्री. शिवाजी वटकर, सदस्य श्री. सतीश सोनार, पत्रकार श्री. मारुति मोरे उपस्थित थे।
हिन्दू जनजागृति समिति के निवेदन में आगे यह भी प्रस्तुत किया गया है कि…
१. प्रदूषण नियंत्रण मंडलद्वारा लगातार बताने के पश्चात भी पूरे वर्ष में उपर्युक्त पद्धति से होनेवाले पर्यावरण की गंभीर हानि की ओर हेतुपुर:स्सर अनदेखा करनेवाला पालिका प्रशासन तथा पाखंडी पर्यावरणवादी गणेशोत्सव के कारण प्रदूषण होता है, ऐसी भूमिका अपना रहे हैं तथा गणेशमूर्ति का बहते पानी में परंपरागत विसर्जन करने के लिए विरोध कर रहे हैं। साथ ही अनेक स्थानोंपर गणेशमूर्ति का दान करने के लिए तथा करोडों रुपएं व्यय कर निर्माण कार्य किए कृत्रिम कुंड में विसर्जन करने के लिए साधारण भक्तोंको विवश कर रहे हैं। तदुपरांत इन गणेशमूर्तियोंको गंदे पत्थरोंकी खान में, कुएं में, खड्डे में अथवा निर्जन स्थलपर फेंका जाता है। इन गणेशमूर्तिओंको महापालिका के घनकचरा विभाग के कूडे के वाहनद्वारा परिवहन किया जाता है। इस से अधिक मात्रा में गणेशमूर्ति का अनादर होता है तथा इस से हिन्दुओंकी भावना आहत हो जाती हैं।
२. इस संदर्भ की सूचना अधिकार के अर्जद्वारा प्राप्त जानकारीनुसार अनेक स्थानोंपर बाहर के पर्यावरणवादी संगठनोंको वा ठेकेदारोंको गणेशमूर्ति दी जाती है; किंतु उनसे गणेशमूर्ति का अनादर न हो, इस की दक्षता के लिए किसी भी प्रकार की निर्णयप्रक्रिया नगरपालिका में नहीं अपनाई जाती। इस के विपरित मुंबई, ठाणे, पुणे, कोल्हापुर में गणेशमूर्ति कूडे के समान फेंककर, खान में पूर्ति कर उनका तीव्र अनादर होने की जानकारी प्रसिद्धीमाध्यमोंद्वारा समय-समय पर स्पष्ट हुई है। साथ ही यह बात सूचना अधिकारद्वारा भी स्पष्ट हुई है। यह अतिशय गंभीर एवं हिन्दुओंकी धार्मिक स्वतंत्रता को लज्जित करनेवाली बात है।
३. मूर्ति दान लेकर अथवा कृत्रिम कुंड में मूर्ति विसर्जन कर प्रत्यक्ष रूपसे पर्यावरण की रक्षा होती है, ऐसा स्पष्ट नहीं हुआ है। उदाहरण के रूप में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने वर्ष जून २०१० में दी गई मार्गदर्शक सूचना में से एक सूचना व्यवहार्य है। वह अर्थात प्राकृतिक कूंड में जालीद्वारा निर्माण की गई पत्थरोंकी सच्छिद्र दिवार निर्माण कर एक हिस्से में गणेशमूर्ति का विसर्जन करें। मूर्तिदान तथा कृत्रिम कुंड की अपेक्षा धर्मशास्त्रानुसार गणेशमूर्ति का विसर्जन समुद्र, नदी अथवा बहते पानी में करें।
बृहन्मुंबई महानगरपालिका के सुधार समिति के अध्यक्ष श्री. प्रकाश गंगाधरे का आयुक्तोंको पत्र !
आप से यह विनती है कि, श्री गणेशमूर्ति का अनादर न हो, इस बात की दक्षता लीजिए !
हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा बृहन्मुंबई महानगरपालिका के सुधार समिति के अध्यक्ष श्री. प्रकाश गंगाधरे को निवेदन प्रस्तुत कर गणेशमूर्ति विसर्जन के समय होनेवाली धर्महानि एवं अनादर रोकने की विनती की।
श्री. गंगाधरे ने महानगरपालिका आयुक्तोंको पत्र भेजकर समिति के निवेदन की ओर ध्यान देने के लिए बताया।
समिति के शिष्टमंडल के साथ आकर उन्होंने पत्र एवं निवेदन आयुक्तोंको प्रस्तुत कर उस संदर्भ में सविस्तर विचारविमर्श किया। उन्होंने यह बात सूचित की कि, ‘गणेशभक्तोंकी भावना ध्यान में रखते हुए महानगरपालिका को धर्महानि रोकने के प्रयास करना चाहिए।’
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स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात