चैत्र कृष्ण पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११५
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न्यूयॉर्क : अमेरिकी कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पासपोर्ट की एक प्रति उपलब्ध करवाने के लिए कहा है, ताकि यह मालूम हो सके कि दो सितंबर से नौ सितंबर, २०१३ के बीच वह अमेरिका में नहीं थीं। सोनिया ने न्यूयॉर्क की ब्रूकलिन की एक संघीय अदालत में दस जनवरी को एक याचिका दायर कर १९८४ के सिख विरोधी दंगे से संबंधित मामले में अपने खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन का मामला खारिज करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें इस संबंध में कोई सम्मन नहीं मिला, क्योंकि उस वक्त वह अमेरिका में नहीं थीं।
ब्रूकलिन की संघीय अदालत के न्यायाधीश ब्रियन एम. कोगन ने हालांकि अमेरिका में नहीं रहने को लेकर सोनिया के उस बयान को साक्ष्य की दृष्टि से अपर्याप्त माना और बृहस्पतिवार को उनसे अपने पासपोर्ट की प्रति मुहैया कराने के लिए कहा, जिसमें उनकी हाल की अमेरिका यात्रा के बारे में दर्शाया गया हो कि वह कब यहां पहुंचीं और कब यहां से गई।
न्यायाधीश ने सोनिया से सात अप्रैल तक ये दस्तावेज मुहैया कराने को कहा है। सोनिया के खिलाफ सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) संगठन की याचिका पर मानवाधिकार उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है।
एसएफजे ने सोनिया पर सिख विरोधी दंगों में कथित तौर पर शामिल कमलनाथ, सज्जन कुमार व जगदीश टाइटलर जैसे कांग्रेस नेताओं को बचाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ क्षतिपूरक और दंडात्मक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। एसएफजे के मुताबिक, पिछले साल नौ सितंबर को उसने न्यूयॉर्क स्थित मेमोरियल स्लोन-केटरिंग कैंसर सेंटर अस्पताल व वहां के सुरक्षा कर्मियों को सम्मन जारी किया था और शिकायत भेजी थी। माना जाता है कि सोनिया उस वक्त वहां इलाज के लिए गई थीं। एसएफजे व सिख विरोधी दंगे के कुछ पीड़ितों की शिकायत पर ही ब्रूकलिन की अदालत ने सितंबर, २०१३ में सोनिया के खिलाफ सम्मन जारी किया था।
स्त्रोत : जागरण