श्रावण कृ १, कलियुग वर्ष ५११४
राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी सनातन संस्थापर विष उगलनेवाला दैनिक ‘करावली अले’ !
`मंगलुरु – दक्षिण कन्नड जनपद अधिकारी कार्यालयके सामने जातीय विवाद उत्पन्न करनेवाले, साथ ही मालेगांव बमविस्फोट एवं पूरे देशमें अशांति फैलानेवाली आरोपी सनातन संस्थाका फलक नगरके हृदयस्थलपर ही लगाया है’, ऐसा समाचार ‘करावली अले’ नामक साम्यवादी विचारप्रणालीके कन्नड भाषी दैनिकके २६ जूनके अंकमें प्रकाशित किया गया था ।
( १.सनातनका साहित्य जातीय विवाद उत्पन्न करनेवाला नहीं, अपितु वह तो समाजको धर्मशिक्षा प्रदान करनेवाला, प्रत्येक व्यक्तिका जीवन उन्नत करनेवाला है । आज सनातनके माध्यमसे साधना करते हुए सहस्त्रावधि परिवारोंने राष्ट्र एवं धर्मके कार्य हेतु स्वयंको समर्पित किया है । भारतमें आदर्श राज्यकी अर्थात राम राज्यकी, अर्थात हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करना ही सनातनका ध्येय है । समाजके अनेक धर्माचार्य, हिंदुत्ववादी नेता, राजनीतिक-सामाजिक नेता एवं कार्यकर्ताओंने सनातनके कार्यको सम्मानित किया है, अतएव सनातनके इस साहित्यके १८८ ग्रंथ-लघुग्रंथोंकी ग्यारह भाषाओंमें ४९ लक्ष प्रतियां प्रकाशित हुई हैं । ‘सनातन प्रभात’को चार विभिन्न पुरस्कार प्राप्त हुए हैं ।
२. सनातन संस्थाका नाम मालेगांव बमविस्फोटमें किसी भी अन्वेषण तंत्रद्वारा नहीं लिया गया है । सनातनका सर्व कार्य शांति एवं वैध मार्गसे चल रहा है । विभिन्न स्थानोंके पुलिस दलद्वारा भी सनातनके कार्यका आदर ही किया गया है । यदि समस्त देशमें अशांति फैलाने जैसी सनातनकी संस्थाकी उत्पातक्षमता होती, तो ‘करावली अले’ सनातनके विरोधमें एक शब्द भी निकाल पाते ? – संकलनकर्ता )
इस समाचारमें आगे बताया है, इस फलककी ओर जनपद प्रशासन एवं आरक्षी(पुलिस) विभाग जानबूझकर अनदेखा कर रहे हैं । हंपनकट्टेसे बावुटगुड्डेकी ओर जानेवाले मार्गपर स्थित सिंडीकेट अधिकोषके पास सनातन संस्थाका फलक लगाया गया है । फलकपर ‘गुरुपूर्णिमा समारोहके निमित्त स्वागत’ ऐसा लिखा है । कोडियालबैलके एसडीएम लॉ कॉलेजमें ३ जुलाई २०१२ को संपन्न होनेवाले इस कार्यक्रमका विवरण दिया गया है । उसी दिन ‘हिंदू राष्ट्रकी स्थापना’हेतु धार्मिक प्रवचन तथा ‘राष्ट्र एवं धर्म जागृति’ नामक नाटिका है, ऐसा भी बताया गया है । सबसे महत्त्वपूर्ण बात अर्थात ‘हिंदू राष्ट्र स्थापना हेतु क्रियाशील रहना ही वास्तवमें गुरुपूर्णिमा’, ऐसा संदेश मुद्रित किया गया है ।
धर्मनिरपेक्ष इस देशमें जातीय दंगाफसादके संदर्भमें संवेदनशील नगर मंगलुरुके सार्वजनिक स्थानपर सनातन संस्थाद्वारा जातीय विवाद उत्पन्न करनेवाला फलक लगाया गया है । ( हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करना, इसमें क्या जातीय विवाद है ? चंद्रगुप्त मौर्यका आधिपत्य, विजयनगरका आधिपत्य, छत्रपति शिवाजी महाराजका आधिपत्य इत्यादि सभी राज्य हिंदू आधिपत्यमें ही थे । इन आधिपत्योंमें सर्व जनता सुखी एवं समृद्ध थी । हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करना, यह प्रत्येक हिंदुका जन्मसिद्ध अधिकार है । हिंदू राष्ट्र स्थापनाका विरोध करनेवाले ‘करावली अले’ साम्यवादी क्रांतिके लिए माओवादियोंका विरोध करनेका, पोपकी ईसाई क्रांति एवं मुसलमानोंकी इस्लामी क्रांतिका विरोध करनेका साहस दिखाए । ‘करावली अले’को साम्यवाद चलता है, तो हिंदुत्ववाद क्यों नहीं चलता ? उठते-बैठते चीनका पक्ष लेनेवाले देशद्रोही साम्यवादियोंकी परंपरा चलानेवाले ‘करावली अले’ने प्रखर राष्ट्रप्रेमी सनातनपर विष उगलना, यह सूर्यपर थूकनेके समान ही है ! – संकलनकर्ता ) आरक्षी विभागके प्रादेशिक कार्यालय, साथ ही जनपद अधिकारियोंके कार्यालय कुछ मीलकी दूरीपर हैं । इतना ही नहीं, जनपद अधिकारी चन्नप्पागौडा एवं आयुक्त सिमंतकुमार सिंहके प्रतिदिन आनेजानेके मार्गपर ही यह सचित्र फलक लगाया गया था, तो भी उन्होंने उसकी ओर अनदेखा किया है । अपनी जड शहरोंमेंं (आधार दृढ करने हेतु) दृढ करने हेतु सनातन संस्थाको लगातार संधि देकर आरक्षी एवं जनपद प्रशासनकी सहायता प्राप्त हो रही है, यह प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है । ( सनातन राष्ट्र एवं धर्म हेतु ईमानदारीसे कार्य करनेवाला r संगठन है; इसीलिए उसे प्रशासनके कुछ अच्छे व्यक्तियोंद्वारा सहयोग प्राप्त हो रहा है ! – संकलनकर्ता ) वर्तमानमें ही दक्षिण कन्नड पुलिस ब्लॉगमें आरएसएस पथसंचलनका छायाचित्र डालकर ‘भगवेकरण’ अंगीकार करने हेतु साधार माध्यमोंमें प्रकाशित की गई घटना स्मृति पटलपर होते हुए भी (हालहीमें होते हुए) इसी आरक्षी विभागमें एक अन्य विवाद खडा किया गया है । ( जो अस्तित्वमें ही नहीं है, ‘करावली अले’ दैनिक वैसे विवाद’ स्वयं ही कुरेदकर निकल रहा है । – संपादक )
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात