हिन्दू जनजागृति समितिका ‘आदर्श श्री गणेशोत्सव अभियान !’
नंदुरबार में गणेशोत्सव की समस्या का निराकरण करने हेतु जनपदाधिकारी तथा अधीक्षक को ‘सामूहिक श्री गणेशोत्सव महामंडल’ की ओर से निवेदन
नंदुरबार : सामूहिक गणेशोत्सव के बढते हुए विकृतिकरण प्रतिबंधित कर आदर्श सामूहिक गणेशोत्सव किस प्रकार मनाएं, गणेशोत्सव में उत्पन्न होनेवाली अडचनें तथा समस्याएं क्या हैं, उनका निराकरण किस प्रकार कर सकते हैं, इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा आयोजित बैठक में शहर के सभी सामूहिक श्री गणेश मंडलोंका उस्फूर्त प्रतिसाद प्राप्त हुआ।
सामूहिक श्री गणेशोत्सव मंडलों ने एकत्रित आकर ‘सामूहिक श्री गणेशोत्सव महामंडल’ गठित कर महामंडल की ओर से जनपदाधिकारी, साथ ही पुलिस प्रशासन को २५ अगस्त को निवेदन प्रस्तुत किया।
१. सामूहिक गणेशोत्सव का विकृतिकरण रोकने के लिए २३ अगस्त २०१५ को हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा शहर के सामूहिक गणेशोत्सव मनानेवाले सर्व मंडलोंकी एकत्रित बैठक बडे मारुति मंदिर में संपन्न हुई।
२. इस बैठक के लिए अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हुआ तथा गणेश मंडलोंद्वारा विकृतिकरण प्रतिबंधित करने की सिद्धता प्रदर्शित की गई।
३. इस बैठक में आदर्श गणेशोत्सव किस प्रकार मनाएं, यह बताते हुए गुलाल का अधिक उपयोग रोकना, अश्लील गानोंपर नृत्य इत्यादि कार्यक्रम आयोजित करने की अपेक्षा क्रांतिकारियोंकी प्रदर्शनी आयोजित करना, राष्ट्रप्रेम जागृत करनेवाली निबंध स्पर्धा का आयोजन, छत्रपति शिवाजी, संभाजी महाराज इत्यादि का चरित्र कथन करनेवाले व्याख्यान इत्यादि आयोजित कर इन कार्यक्रमोंको प्राधान्य देना चाहिए, ये सभी विषय हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा प्रस्तुत किए गए।
४. उस समय उपस्थित गणेश मंडलोंके पदाधिकारी तथा कार्यकर्ताओंने भी अपने मत व्यक्त कर गणेशोत्सव की कालावधि में उत्पन्न होनेवाली अडचनोंपर विचारविमर्श किया।
५. जलगांव में जिस प्रकार सर्व गणेश मंडलों ने एकत्रित आकर एक महामंडल की स्थापना की है, उसी प्रकार नंदुरबार में भी सामूहिक श्री गणेश उत्सव महामंडळ स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
६. साथ ही महामंडल की ओर से जनपदाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षकोंको निवेदन प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया।
७. तदनुसार २५ अगस्त को पृथक गणेश मंडलोंके पदाधिकारियोंकी उपस्थिति में निवेदन प्रस्तुत किया गया। इस निवेदन में यह अंकित किया गया कि, मंडलोंको अनेक प्रकार की अनुमति प्राप्त करना बंधनकारक होता है। अनुमति पृथक स्थानोंसे प्राप्त करने में कष्ट होते हैं। अन्य शहरोंके अनुसार यहां भी सर्व प्रकार की अनुमति एक ही स्थान पर (एक गवाक्ष में) प्राप्त हो, ऐसी कार्यपद्धति कार्यान्वित करनी चाहिए।
८. साथ ही गणेशोत्सव की कालावधि में तथा विसर्जन की शोभायात्रा के समय महिलाओंके साथ की जानेवाली छेडखानी रोकना, विसर्जन मार्ग के पथ ठीक करना, विसर्जन के दिन अथवा गणेशोत्सव की कालावधि में पथ की बत्तियां बंद होना अथवा बार बार बिजली प्रवाह खंडित होना ऐसी अनुचित घटना न हों, इन सब बातोंपर ध्यान देना चाहिए, गणेशोत्सव की कालावधि में सजावट की प्रदर्शनी देखने की समय मर्यादा रात्रि १० की अपेक्षा रात्रि १२ बजे तक करनी चाहिए। मूर्तिदान करना धर्मशास्त्र विरोधी अर्थात अशास्त्रीय होने के कारण मूर्तिदान करने पर प्रतिबंध लगाएं।
९. साथ ही ये मांगें की गर्इं कि, कृत्रिम कुंड बनाकर उस में विसर्जन करना, कूडे के वाहन से मूर्ति का परिवहन करना, निर्माल्य को कूडे के वाहन से परिवहन करना, ये बातें भी धर्मशास्त्र के विरुद्ध हैं, धर्मभावना आहत करनेवाली हैं। अतः इन सभी बातोंपर प्रतिबंध लगाना चाहिए, शांति समिति की बैठक में प्रस्तुत सूचनाओं तथा उसी दृष्टि से दिए जानेवाले आश्वासनोंकी कार्यान्विति पूरी करनी चाहिए।
१०. हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. नरेंद्र पाटिल, डॉ. सतीश बागुल, सम्माननीय दादा गणपति के श्री. संजय सोनार, बाबा गणपति के श्री. सुबोध सोनार, शक्तिसागर मंडल के श्री. महेंद्र पाटिल, महाराष्ट्र व्यायाम पाठशाला के श्री. सुनील मराठे, जयबजरंग व्यायाम पाठशाला के श्री. विश्वनाथ मराठे, कुणबी पाटिल मंडल के श्री. रवींद्र पाटिल, जयअंबे मित्रमंडल के श्री. कुणाल पवार, आदिवासी व्यायामशाला मंडल के श्री. बबन पाडवी इत्यादि अनेक मंडलोंके पदाधिकारियोंकी उपस्थिति में यह निवेदन प्रस्तुत किया गया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात