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सुश्री साध्वी सरस्वतीजीकी देवदके (पनवेल) सनातन आश्रमको सदिच्छा भेंट !

चैत्र कृष्ण पक्ष ७, कलियुग वर्ष ५११५

‘कश्मीर तो होगा, लेकिन पाकिस्तान नही होगा !’ ऐसी स्पष्ट चेतावनी देनेवाली सुश्री साध्वी सरस्वतीजी


बार्इं ओरसे श्री. रमाकांत मिश्रा, श्री. अशोकभाई  एवं सुश्री साध्वी सरस्वतीजीको आश्रमकी प्रदर्शनी दिखाते हुए श्रीमती अर्पिता पाठक

देवद (महाराष्ट्र) : पाकिस्तानी लोगोंको ‘कश्मीर तो होगा, लेकिन पाकिस्तान नही होगा’ ! ऐसी स्पष्ट शब्दोंमें चेतावनी देनेवाली छिंदवाडा, मध्यप्रदेशके सनातन धर्म प्रचार सेवा समितिकी अध्यक्षा सुश्री साध्वी सरस्वतीजीने  (आयु १८ वर्ष ) २० मार्चको देवदके  (पनवेल) सनातन आश्रमकी भ्रमण किया । इस अवसरपर उनके साथ सनातन धर्म प्रचार सेवा समितिके श्री. रमाकांत मिश्रा, भारतीय नवयुवक संघ़ कांदिवलीके श्री. विवेक तिवारी, विश्व हिंदु परिषदके घाटकोपर जिला गोरक्षा प्रमुख श्री. भावेश भानुशाली, गोरेगावके पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू आश्रमके श्री. अशोकभाई एवं चेंबुरके अहिंसा संघके श्री. वीरेन भद्रा आदि मान्यवर उपस्थित थे । सनातनकी श्रीमती अर्पिता बलवंत पाठकने उन्हें आश्रममें चलनेवाले राष्ट्र एवं धर्म कार्यसे अवगत कराया एवं ६५ प्रतिशत आध्यत्मिक स्तरप्राप्त श्रीमती अश्विनी अतुल पवारने साध्वीजीका सम्मान किया ।

मासिक सनातन प्रभात पढते समय सुश्री साध्वी सरस्वतीजी

मासिक सनातन प्रभात पढते समय सुश्री साध्वी सरस्वतीजी

सुश्री साध्वी सरस्वतीजीका परिचय

सनातन हिंदु धर्मका महान कार्य करने हेतु स्थापित सनातन धर्म प्रचार सेवा समितिकी सुश्री साध्वी सरस्वतीजी अध्यक्षा हैं । सात वर्षकी आयुसे वे धर्मकार्य कर रही हैं । मुख्य रूपसे गोरक्षाके लिए जागृति करनेका कार्य कर रही हैं । वे अनेक स्थानपर सेक्युलर धर्मनिरपेक्ष हिंदुओंको कट्टर हिंदुनिष्ठ बनाने हेतु अत्यंत प्रभावी एवं ओजस्वी वाणीमें प्रवचन देती हैं । वनवासी क्षेत्रमें जाकर भागवत कथा एवं रामकथाओंके माध्यमसे हिंदुओंको धर्मशिक्षा देनेका महान कार्य कर रही हैं । पूज्यपाद संत श्री आसाराम बापूजीपर लगाए गए अपराधोंके विरुद्ध सार्वजनिक सभा तथा जनआंदोलनके माध्यमसे वे जागृति कर रही हैं । वर्तमान समयमें इंटरनेटपर (सूचनाजाल) लोकप्रिय ठहरे ‘कश्मीर तो होगा, लेकिन पाकिस्तान नही होगा’ ! इस क्षात्रवृत्तियुक्त काव्यकी रचयिता हैं । प.पू. स्वामी नागेंद्रनाथजी उनके गुरु हैं ।

 

साध्वीजीद्वारा किया गया मार्गदर्शन

प.पू. आसारामबापूजीने आरंभ की परंपराको चालू रखेंगे ! – सुश्री साध्वी सरस्वतीजी

प.पू. आसारामबापूजी पूरा वर्ष अनेक स्थानोंपर जाकर विविध कार्यक्रम करते थे । उन्होंने सूरतकी होलीका त्यौहार तथा नाशिककी महाशिवरात्री समान कार्यक्रमसे लोकजागृति की । संतोंको बंदी बनानेके कारण हम ऐसे कार्यक्रम बंद नहीं होने देंगे । उन्होंने आरंभ की परंपरा खंडित न कर हम सभी संत मिलकर उसे चालू रखेंगे ।

वर्तमान समयमें सर्वत्र पश्चिमी सभ्यताकी मानसिकताका बोलबाला है । युवक मद्यके नशेमें रहते हैं; मात्र भगवद् भक्तिमें भी नशा है । परमात्माके चरणोंमें ही सुख है । भक्तिसे ही जीवनको दिशा मिलेगी । आजकल महिलाओंको अंगप्रदर्शनमें सुंदरता प्रतीत हो रही है; मात्र सहस्रों रावण क्षणमें नष्ट करनेकी शक्ति हिंदु माताके दुधमें है ।

 

क्षणिकाएं

१. साध्वीजीसे ‘क्या आपको आश्रममें संचार करने हेतु पादत्राण चाहिए ?’, ऐसा पूछा जानेपर उन्होंने कहा कि आपका आश्रम ही इतना पवित्र है, कि जिसका हमें भी स्पर्श होना चाहिए ।

सुश्री साध्वी सरस्वतीजीद्वारा सनातन संस्थाके प्रेरणास्थान प.पू. डॉ. आठवलेजीके विषयमें व्यक्त गौरवोद्गार !

प.पू. डॉ. आठवलेजीकी जीवनशैली, जीवनस्तर, वेशभूषा तथा मानसिकता ‘हिंदु राष्ट्र’के लिए प्रेरणादायी है । हम यदि गोहत्या, आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार समान समस्याओंसे अलग-अलग लडते रहे, तो विभाजित हो जाएंगे । ऐसा न होते हुए इन सभी समस्याओंपर समाधानके रूपमें प.पू. डॉ. आठवलेजीने ‘हिंदु राष्ट्र’कीr संकल्पना प्रस्तुत की है । ‘हिंदु राष्ट्र’के हिंदु कभी गोहत्या नहीं करेंगे । कभी आतंकवादी आक्रमण नहीं करेंगे । प.पू. डॉक्टरकी मानसिकता दिव्य है । उनमें भगवंतका अंश विराजमान है । उनके कृपाछत्रमें हम सभीको ‘हिंदु राष्ट्र’के लिए प्रेरित होकर कार्य करना है ! संत कबीर कहते हैं कि संतोंके दर्शनसे करोडों यज्ञ करनेका फल मिलता है । इसलिए मैं सनातनके रामनाथी, गोवाके आश्रममें जाकर प.पू. डॉ. आठवलेजीके दर्शन करना चाहती हूं ।

सुश्री साध्वी सरस्वतीजीद्वारा सनातन संस्थाके विषयमें व्यक्त गौरवोद्गार !

हिंदु धर्म अबतक सुस्थितिमें है, क्योंकि सनातन संस्थासमान संगठन कार्यरत हैं । अलग पद्धतिसे साधना कैसे करें, यह सनातन संस्थाके साधकोंसे सिखने मिलता है । सभीको इस संस्थासे संलग्न होकर ‘माता जिजाबाई कैसे होना चाहिए’ उसका  प्रत्यक्ष प्रमाण देखना चाहिए । मैं सनातनके सभी उपक्रमोंके विषयमें प्रसन्न हूं । सनातन संस्था बहुत अच्छी संस्था है । सनातनके साधक निरंतर मुझे मिलते रहते हैं । इसलिए मैं आज आपसे मिलने आई हूं ।

सुश्री साध्वी सरस्वतीजीके स्वागतके निमित्त आश्रमके प्रवेशद्वारपर लगाए गए फलकपर लिखी पंक्तियां

भागो रे भागो दुर्जनों कलियुगमें झांसीकी रानी आई ।
लाल तिलक और हाथ खड्ग दुर्गा ये काली मां आई ।
शोले बरसेंगे दुर्जनों, तुम्हारी शामत है आई ।
भागो रें भागो दुर्जनों, हिंदुओंकी रनरागिनी आई ।
हिंदुओंको शेर बनानेवाली तेजस्विनी आई ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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