चैत्र कृष्ण पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११५
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ढाका : बांग्लादेशका हिंदुनिष्ठ संगठन बांग्लादेश माइनॉरिटी वाचके संस्थापक अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारके विरोधमें लडनेके लिए वर्ष २००२ से कार्यरत हैं । समय आनेपर वे इस कार्यके लिए न्यायालयमें हिंदुओंका पक्ष स्वयं प्रस्तुत करते हैं । उनपर धर्मांध मुसलमानोंने इससे पूर्व कई बार आक्रमण किए हैं । इसलिए इस संगठनद्वारा यह मांग की गई है कि ऐसे समय उन्हें सुरक्षाकी पूर्ति की जाए । (श्री. घोषपर अधिकांश समय प्राणघातक आक्रमण होते हुए भी उन्हें सुरक्षाकी पूर्ति न करनेवाले हिंदुद्वेषी बांग्लादेशी राजनेता एवं पुलिस ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. श्री. रवींद्र घोषपर वर्ष २००२ से आजतक अनेक आक्रमण हुए हैं ।
२. श्री. रवींद्र घोष हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारकी प्रत्येक घटनाका सखोल अन्वेषण करते हैं । इस अन्वेषणके कारण नाराज राजनीतिक नेता, पुलिस अधिकारी आदिद्वारा श्री. घोषपर अनेक आक्रमण किए गए हैं । एक बार न्यायालयमें ही न्यायाधीशोंके सामने धर्मांधोंने उनपर प्राणघातक आक्रमण किया था ।
३. उपर्युक्त घटनाके कारण बांगलादेश माइनॉरिटी वाच संगठनद्वारा यह मांग की गई है कि श्री. घोषकी जानको संकट उत्पन्न हो गया है । साथ ही हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचार निर्मूलनके उनके कार्यमें बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं । अतः श्री. रवींद्र घोषको सुरक्षाकी पूर्ति की जाए ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात