चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११५
डोंबिवली :’रागिनी एम.एम.एस. २’ अश्लील चलचित्रका आरंभ ‘हनुमान चालीसा’से किया गया है । (मुसलमानोंके संदर्भमें वास्तव दर्शानेवाले ‘या रब’ समान चलचित्रका मुसलमान विरोध करेंगे; इसलिए अनुमति अस्वीकार करनेवाला केंद्रीय परिनिरीक्षण मंडल हिंदुओंके देवी-देवताओंका अनादर करनेवाले चलचित्रको अनुमति देता है ; क्योंकि हिंदु असंगठित होनेके कारण उनका धाक इस देशमे नहीं रहा । इसीलिए ‘हिंदु राष्ट्र’ अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) अतः हिंदू जनजागृति समितिद्वारा २३ मार्चको डोंबिवलीमें हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत करनेके कारण चलचित्रके विरोधमें प्रदर्शन किए जानेवाले थे; परंतु पुलिसद्वारा आचारसंहिताका कारण बताते हुए प्रदर्शनोंके लिए अनुमति नहीं दी गई । (इससे क्या ऐसा समझें कि आचार संहिताकी कालावधिमें हिंदुओंकी धर्मभावना किसीने भी कुचल दी, तो चलेगा ? इसीप्रकार क्या धर्मांध मुसलमानोंकी धर्मभावनाएं आहत होनेपर पुलिसद्वारा उनको प्रदर्शनकी अनुमति अस्वीकार की गई होती ? यदि वैसा हुआ होता, तो उसके कौनसे परिणाम समाजको भोगने पडते थे ? इसका अर्थ क्या ऐसा समझें कि पुलिसकर्मियोंको केवल धर्मांध मुसलमानोंकी निषेध की ही भाषा समझमें आती है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. यहांके तिलक एवं गोपी चलचित्रगृहमें २१ मार्चसे इस चलचित्रका प्रदर्शन चालू हैं । (नागरिको, ऐसे समाजहितको बाधा पहुंचानेवाले चलचित्रोंका स्वयं बहिष्कार करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. इस चलचित्रमें अश्लील एवं कामी प्रसंग दर्शाए गए हैं तथा चलचित्रके आरंभमें ‘हनुमान चालीसा’ दर्शाकर हनुमानजीका अर्थात समस्त हिंदुओंकी धर्मभावनाओंका अनादर किया गया है । (ऐसे चलचित्रोंकी रचना एकता कपूर समान हिंदुओंने ही की है । ऐसे जन्महिंदु ही हिंदु धर्मके खरे वैरी हैं । हिंदुओंमें धर्मशिक्षाके अभावके कारण ही वे ऐसे पापकृत्योंमें अग्रसर होते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३.इस संदर्भमें निषेध एवं जनजागृति करने हेतु उपरोक्त चलचित्रगृहके समक्ष प्रदर्शन किए जानेवाले थे । इसके अनुमतिके लिए डोंबिवली (पूर्व) के रामनगर एवं डोंबिवली (पश्चिम) के विष्णुनगर पुलिस थानेमें आवेदन पत्र दिए गए थे; परंतु पुलिसद्वारा अनुमति नहीं दी गई । (आज सहस्रों लोगोंकी उपस्थितिमें राजनीति सभाएं आयोजित करनेकी अनुमति दी जाती है । सभाओंमें राजनेता एक-दूसरेकी निंदा करते हैं, कार्यकर्ता एक दूसरेके साथ मारपीट करते हैं । तब भी उन्हें अनुमति दी जाती है; परंतु घटनादत्त अधिकारके अनुसार शांतिपूर्ण मार्गसे साधारणसा निषेध करने हेतु पुलिस अनुमति क्यों नहीं देती ? व्यक्तिस्वतंत्रतापर आघात करनेवाले पुलिसकर्मियोंके विरोधमें न्यायालय अभियोग ही प्रविष्ट करना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. इस संदर्भमें विष्णुनगर पुलिस थानेके वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक अर्जुन राणेने मौखिक एवं लिखित सूचना देते हुए कहा है कि आचारसंहिताकी कालावधिमें प्रदर्शन करनेकी अनुमति नहीं दी जाएगी । तब भी यदि प्रदर्शन किए गए, तो कानूनन कार्यवाही करेंगे ! (हिंदुओंको धमकानेवाले पुलिसकर्मी जिस समय धर्मांध मुसलमानोंद्वारा मार खाते हैं एवं मौन रहते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
५. पुलिसद्वारा प्रदर्शन करनेके स्थानपर ‘न्यायालयमें अभियोग प्रविष्ट करें अथवा चलचित्र परीनिरीक्षण मंडलको परिवाद करें, पत्रक वितरित करें’ ऐसे विविध मार्ग सुझाए गए । (व्यर्थका सुझाव देनेवाली पुलिस ! क्या इसकी जानकारी पुलिस देगी कि आज तक इस प्रकारका कृत्य कर कितने चलचित्रोंसें अश्लीलता अथवा अनादर हटाया गया ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात