जीवनमें आनंदप्राप्ति करने हेतु साधना अनिवार्य है ! – सुरेश मुंजाल, हिंदू जनजागृति समिति

चैत्र कृष्ण पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११५

अमृतसरमें (पंजाब) अखिल भारतीय विराट आध्यात्मिक संम्मेलन

                    मार्गदर्शन करते हुए हिंदू जनजागृति समितिके श्री सुरेश मुंजाल

अमृतसर (पंजाब) – रूपनगर, अमृतसरके स्वामी आत्मानंद आश्रममें आयोजित अखिल भारतीय विराट आध्यात्मिक संमेलनमें मार्गदर्शन करते समय हिंदू जनजागृति समितिके पंजाब एवं हरियाणा राज्यके समन्वयक श्री. सुरेश मुंजालने प्रतिपादित किया कि आज संतोंके सहवासमें रहनेसे हमें जो आनंद मिल रहा है, वह अन्यत्र नहीं मिलता; क्योंकि हम उस समय मायामें फंसे रहते हैं । जीवनमें यदि आनंदप्राप्ति करनी है, तो साधना करना अनिवार्य है । इस सम्मेलनमें विविध राज्यके संत सम्मिलित हुए थे ।

श्री. मुंजालने कहा कि जो अपनेमें विद्यमान हीन गुणोंको नष्ट करता है, उसे ‘हिंदु’ कहते हैं ! हीन गुणोंको नष्ट करने हेतु हमें धर्मशिक्षा लेनी चाहिए एवं उसके अनुसार कृत्य करना चाहिए । जबतक हम धर्माचरण नहीं करेंगे, तबतक हमपर ईश्वरकी कृपा नहीं होगी । इस अवसरपर सनातनकी ओरसे ग्रंथ तथा सात्त्विक उत्पाद तथा धर्मशिक्षाविषयक फ्लेक्स फलकोंकी प्रदर्शनी लगाई गई थी । अमृतसरमें प्रथम ही लगाई गई प्रदर्शनीको जिज्ञासुओंका उस्फूर्र्त प्रतिसाद मिला ।

        संत संम्मेलनमें उपस्थित संत प्रदर्शन देखते हुए (छायाचित्रमें)

क्षणिकाएं       
१. सम्मेलनके आयोजक पू. महंत १०८ स्वामी आत्मप्रकाशानंदने प्रदर्शनीकी प्रशंसा की । उन्होंने इस प्रदर्शनीको कुंभमेलेमें देखा था । पंजाबमें समितिके कार्यकर्ता स्वामीजीके आश्रममें गए थे, उस समय उन्होंने संम्मेलनमें प्रदर्शनी लगानेके विषयमें सूचित किया था । इस अवसरपर पू. स्वामीजीने समितिके कार्यकर्ताओंको भविष्यमें प्रतिवर्ष इस सम्मेलनमें प्रदर्शनी लगाने सूचित किया एवं कहा, ‘आपका कार्य लोगोंके समक्ष आना चाहिए ।’

२. कटराके (जम्मू) पू. स्वामी महंत आत्मज्योतीगिरी महाराजने साधकोंके समक्ष अपने आश्रमामें प्रदर्शनी लगानेकी इच्छा व्यक्त की ।

३. अखिल भारतीय हिंदु सुरक्षा समितिके अमृतसरके प्रमुख श्री. मुकेश शर्माने सनातनके सात्त्विक उत्पाद वितरीत करनेकी सेवा करनेकीr इच्छा व्यक्त की ।

४. छहराटा, अमृतसरके एक संत आरतीदेवा महाराजने प्रदर्शनीका भ्रमण कर सनातनके साधकोंको एप्रिल माहमें उनके आश्रममें आयोजित एक कार्यक्रममें इस प्रदर्शनीको लगाने हेतु आमंत्रित किया ।

५. कुछ युवक प्रदर्शनीके छायाचित्र निकाल रहे थे । इस संदर्भमें उनसे पूछा जानेपर उन्होंने कहा कि हम ये छायाचित्र फेसबुकपर रखेंगे । हमारे मित्रोंको भी यह विषय ज्ञात होना चाहिए । कार्यक्रम होनेपर इन युवकोंने स्वयं साधकोंको रेल्वेस्थानकपर छोडा, साथ ही सामान भी रेलके डिब्बेतक पहुंचनेतक सहायता की ।

६. संम्मेलनका आयोजन पू्. महंत १०८ स्वामी आत्मप्रकाशानंद महाराज व्यासमंचसे लोगोको बार-बार प्रदर्शनीका लाभ उठानेका आवाहन कर रहे थे ।

७. कुछ जिज्ञासुओंने आध्यात्मशास्त्रविषयक शंकाओंका निरसन कर लिया तथा इस संदर्भमें सनातन-रचित ग्रंथ भी प्रदर्शनीसे क्रय किए ।

८. कुछ जिज्ञासुओंने सनातनका उत्पादन पुनः कहां मिलेंगे ? ऐसा निश्चित रूपसे पूछा ।

९. हिंदुनिष्ठ श्री. बालकृष्ण शर्मा हिंदु एकताके लिए अमृतसरमें एक सम्मेलन लेना चाहते हैं । उन्होंने इस सम्मेलनमें हिंदू जनजागृतिके समिति सक्रिय रूपसे सम्मिलित होनेकी इच्छा व्यक्त की ।

समितिके धर्मशिक्षाविषयक फलकप्रदर्शनीके विषयमें संतोंके अभिप्राय   

१. स्वामी रामेश्वरानंदजी महाराज : केवल भजन गाकर एवं तालियां बजाकर धर्मकी रक्षा नहीं होगी । सनातन संस्थाद्वारा  लगाई गई प्रदर्शनीके माध्यमसे लोगोंको ‘संस्कृतिकी रक्षा कैसे करे ?’ यह सीख लेना चाहिए ।

२. स्वामी करुणागिरीजी महाराज : प्रदर्शनीके माध्यमसे किया जानेवाला प्रबोधन प्रशंसनीय है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​