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कहते हैं, मुख्यमंत्रीजी (अंध) श्रद्धा विरोधी कानून पारित करनेका साहस दिखाए !

श्रावण कृ. ४, कलियुग वर्ष ५११४

अंनिसद्वारा पुनः एक बार मुख्यमंत्रीके कान भरनेका प्रयास !

पुणे (महाराष्ट्र) ३ जुलाई, (वृत्तसंस्था) – अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिने अभी भी अपना (अंध)श्रद्धाविरोधी कानून लागू करनेका हठ नहीं छोडा है । इसलिए उसने वारकरी संप्रदाय एवं हिंदु जनजागृति समितिके विरोधमें मुख्यमंत्रीके कान भरनेका प्रयास आरंभ किया है । कुछ समय पूर्व ही पुणेमें प्रकाशित  प्रसिद्धिपत्रकमें अंनिसद्वारा कहा गया है कि प्रस्तावित (अंध)श्रद्धाविरोधी कानून उपासना, धार्मिक कर्मकांड, वारी तथा वारकरियोंके विरोधमें नहीं है । ( यदि ऐसा है, तो इतने वर्षोंसे  इस कानूनको हिंदू एवं विधानसभाके विधायकोंका विरोध क्यो हो रहा है ? हिंदु जनजागृतिद्वारा इसके विरोधमें किए गए वैध आंदोलनको इतना समर्थन कैसे मिला ? इससे अंनिसका यह हठ एवं आग्रह दिखाई देता है कि, केवल जो हम कहेंगे, वही सत्य है ।- संपादक ) समाचार मिला है कि जिस समय मुख्यमंत्री भगवान विठ्ठलकी महापूजा करनेके लिए जाएंगे उस समय वारकरियोंद्वारा इस विधेयकको जो विरोध किया जा रहा है, उसे दर्शानेके लिए हिंदु जनजागरण समितिद्वारा काले झंडे दिखाए जाएंगे । ( साफ-साफ झूठ बोलनेकी परंपरा संजोनेवाली अंनिस ! पंढरपुरमें वारकरियोंद्वारा आयोजित पत्रकार परिषदमें वारकरी सेनाके राष्ट्रीय अध्यक्ष ह.भ.प. वक्ते महाराजको पत्रकारोंने प्रश्न किया । इसपर उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्रीद्वारा वारकरियोंके मतोंपर ध्यान नहीं दिया गया, वारकरियोंसे भेंट करने हेतु मना किया गया अथवा सरकारने यह कानून लागू करनेका हठ किया, तो वारकरी मुख्यमंत्रीको भगवे ध्वजके स्थानपर काले ध्वज दिखाएंगे !’’ अंनिसने इस वक्तव्यका अपनी सुविधानुसार अर्थ लेकर मुख्यमंत्रीके साथ जनताको भी दिशाभ्रमित करनेका प्रयास किया है । उसीप्रकार इस पत्रकार परिषदसे हिंदू जनजागृति (‘जागरण’ नहीं) समितिका संबंध नहीं था । अब असत्यवादी अंनिसको अब जनताको ही सबक सिखाना चाहिए ! – संपादक ) मुख्यमंत्रीको इस विधेयकके विषयमें वस्तुस्थिति ज्ञात न होनेके कारण वे साहस दिखाते हुए आगामी वर्षाकालीन अधिवेशनमें यह विधेयक पारित करनेका आवाहन कर रहे हैं । ( केवल मुख्यमंत्रीके कान फूंकनेके लिए ही अंनिसवाले उनकी प्रशंसा कर रहे हैं ! मुख्यमंत्रीको मुठ्टीभर नास्तिकोंकी बात माननी चाहिए  अथवा एक करोड भक्तोंकी बात माननी चाहिए वे स्वयं ही निश्चित करें !- संपादक )

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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