चैत्र कृष्ण पक्ष १२, कलियुग वर्ष ५११५
|
अम्मान(जार्डन) : जॉर्डन की अदालत के फैसले के अनुसार, उस महिला को वेश्या कहा जाएगा जो अपने चेहरा हिजाब से नहीं ढकती। जार्डन के इस घटिया फैसले का पूरी दुनिया में विरोध किय जा रहा है।
अदालत ने फतवे का समर्थन कर यह फैसला किय़ा है, जिसमें कहा गया था कि हिजाब न पहनने वाली महिला बुरे चरित्र की और वेश्या के समान है। इसमें यह भी कहा गया कि ऐसी महिला को अदालत में बयान देने के लिए पात्र नहीं माना जा सकता।
इससे जॉर्डन की महिला अधिकारों वाली यूनियन गुस्से से आग बबूला हो उठी है। यूनियन के अनुसार, संविधान आदमी और औरत के बराबर होने की बात करता है। एक बयान में यूनियन ने अदालत के फैसले को महिलाओं के खिलाफ बताया और कहा कि यह जॉर्डन के संविधान का उल्लंघन करता है।
यूनियन का कहना है कि महिलाएं क्या पोशाक पहनती हैं, यह उनका निजी मामला है। जब तक इससे कोई कानून भंग नहीं होता, कोई इसे चुनौती नहीं दे सकता। यूनियन ने मांग की कि अदालत अपना फैसला वापस ले और पर्सनल स्टेटस लॉ को रिवाइज किया जाए।
मामला कुछ यूं है कि एक वकील ने एक महिला के अदालत में दिए बयान का विरोध किया। जिसका आधार हिजाब का न पहनने को बनाया गया। वकील का कहना है कि ऐसी महिला ईमानदार नहीं हो सकती। अम्मान की शरीया अदालत ने वकील की इस अपील को सही ठहराया।
स्त्रोत : पंजाब केसरी