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सनातन संस्थापर प्रतिबंध लगाया गया है, यह कहकरपुलिसने सनातन संस्थाका फलक उतारा

श्रावण कृ. ३, कलियुग वर्ष ५११४

जिहादी आतंकवादियोंके सामने दुम दबानेवाली  पुलिस सनातनपर प्रतिबंध न  होते हुए भी प्रतिबंधके समान कार्यवाही कर रही है !

एक राज्यमें एक स्थानपर सभागृहमें आज सनातन संस्था एवं हिंदु जनजागृति समितिके संयुक्त सहयोगसे गुरुपूर्णिमा महोत्सवका आयोजन किया गया था, उस समय स्थानीय  पुलिस थानेकी  पुलिसद्वारा सनातन संस्थापर प्रतिबंध लगाया गया है, यह कहकर फ्लेक्स फलक, भित्तिपत्रिका इत्यादि  लगाने हेतु मना किया । साथ ही साधकोंद्वारा लगाए गए फलक उतारे ।  ( सनातन संस्थापर किसी  प्रकारका प्रतिबंध नहीं  है । यह सार्वजनिक होते हुए भी पुलिस किस आधारपर सनातन संस्थापर प्रतिबंध हऐसा बता रही है ? किसी संस्थापर प्रतिबंध है अथवा नहीं, इस बातसे अनभिज्ञ पुलिस जिहादी आतंकवादियों एवं उनके  जिहादी संगठनोंसे  क्या देशकी एवं जनताकी रक्षा कर सकती है  ? – संपादक )

१. गुरुपूर्णिमाके एक दिन पहलेसे ही पुलिसने यहांके गुरुपूर्णिमाके विषयमें पूछताछ करना आरंभ किया । ( हिंदुओं, राज्यके मुसलमानप्रेमी मस्जिदोंमें ‘शब्बे रात’के समय मौलवियोंद्वारा दिए गए प्रक्षोभक वक्तव्योंके एवं वहां चल रहे उपक्रमोंके विषयमें क्या कभी पुलिसद्वारा जानकारी प्राप्त की गई है एवं क्या कभी उनपर कार्रवाई करनेका समाचार आपने पढा है ? प्रार्थनाके नामपर ईसाईयोंद्वारा होनेवाले हिंदुओंके धर्मांतरणके विरोधमें स्वयं पुलिसद्वारा क्या कभी कोई कार्रवाई की जानेका समाचार सुना है ? प्रार्थना, सभा जैसे बडेबडे होर्डिंगपर पुलिस कभी भी कार्रवाई नहीं करती; केवल राष्ट्र एवं धर्म हेतु कार्य करनेवाले सनातन संस्थापर प्रतिरोध नहीं होते हुए प्रतिरोधके नामपर प्रतिरोध करनेवाली पुलिस क्या कभी कानूनका राज्य दे सकेगी ? – संपादक )

२. गुरुपूर्णिमाका आयोजक कौन है, कितने व्यक्ति आएंगे, ऐसा अनुमान है, कौनसी प्रमुख व्यक्ति आएगी, इस प्रकारके प्रश्न साधकोंको पुलिसद्वारा पूछे जा रहे थे ।

३. तदुपरांत गुरुपूर्णिमाके दिन सुबह ९ बजे पुलिसने दूरध्वनी कर कार्यकर्ताओंको पुलिस थानेपर बुलाया ।

४. अतएवं ४ कार्यकर्ता पुलिसको भेंटनेके लिए पुलिस थानेपर गए । उन्होंने कानून-सुव्यवस्थाके पुलिस अधिकारीकी भेंट ली, तो वे कार्यकर्ताओंको वरिष्ठ पुलिस निरीक्षकोंके पास लेकर गए ।

५. वरिष्ठ पुलिस निरीक्षककी भेंट हुई, तो उन्होंने कार्यक्रमके विषयमें पूछा । 

६. अधिकारीने बताया कि, सिमी एवं सनातन संस्थापर प्रतिरोध लगाया गया है । अतएव आप सनातन संस्थाके नामका फलक, भित्तिपत्रिका, फ्लेक्स यह कुछ भी नहीं लगा सकते ।

७. उसपर कार्यकर्ताने बताया कि, सनातन संस्थापर प्रतिरोध नहीं लगाया गया है एवं आज गुरुपूर्णिमाका धार्मिक कार्यक्रम है ।

८. इस बातपर अधिकारीने पूछा कि, किसे पूछकर फलक लगाए गए हैं ? मेरे विभागमें सनातन संस्थाके नामका कुछ भी लगानेकी अनुमति नहीं है । साथ ही यदि कुछ लगाया है, तो तत्काल निकालकर हटाएं । अन्यथा आपपर कार्रवाई की जाएगी । ( पुलिस अधिकारियोंकी मुघलाई ! प्रतिरोध नहीं होते हुए भी इस प्रकारका आदेश देनेवाले घमंडी पुलिस अधिकारियोंके विरोधमें वैध मार्गसे कार्रवाई करने हेतु सनातन संस्था अधिवक्ताओंकी सलाह ले रही है । – संपादक ) तदुपरांत फलक निकालने हेतु कार्यकर्ताओंके समवेत एक पुलिसको भेजा गया ।

९. अंतमें उसके अनुसार सनातन संस्थाके नामका फलक कार्यकर्ताओंने निकाल दिया । साथ ही मार्गपर जिज्ञासुओंके स्वागत हेतु लगाया गया सनातन संस्थाका फलक निकालकर हिंदु जनजागृतिका फलक लगाया गया ।

१०. सायंकालके समय २ पुलिस कार्यक्रम स्थलपर आए, तो उन्हें सभागृहमें प्रवेश करनेके लिए कार्यकर्ताओंद्वारा इन्कार किया गया ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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