चैत्र कृष्ण पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५
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पुणे स्थित `दैनिक सकाळ’ के मुख्य संपादकको धर्माभिमानी हिदुओंने आवेदनद्वारा चेतावनी दी
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देवताओंके अपमानके विरुद्ध वैध पद्धतिसे उचित कृत्य करनेवाले धर्माभिमानी हिंदुओंका अभिनंदन !
कोल्हापुर, २६ मार्च (वार्ता.) – दैनिक सकाळमें छपनेवाले ‘ढिंग टांग’ तथा ‘वाजवू का’ इन स्तंभोंमें `ब्रिटिश नंदी’ के उपनामसे अनेक दिनोंसे हिंदुओंके श्रद्धास्थान एवं अनेक देवताओंके विषयमें अपमान करनेवाली लिखाई हो रही है । ‘वाजवू का’, इस स्तंभद्वारा भगवान श्रीकृष्ण तथा पेंद्या की विडंबना की जा रही है । यह अपमान त्वरित रोकी जाए अन्यथा हिंदु धर्माभिमानियोंने एक आवेदन द्वारा २५ मार्चको ‘दैनिक सकाळ ’ के मुख्य कार्यालयके संपादकको कोल्हापुर तथा बेलगांव जिलोंके हिंदु धर्मप्रेमी पाठकोंका प्रबोधन कर ‘दैनिक सकाळ’ के १ से डेढ सहस्र अंक बंद करनेकी चेतावनी अभिमानियोंने पुणे स्थित ‘दैनिक सकाळ ’ के मुख्य कार्यालयके संपादकको एक आवेदन दी है । (ऐसी जागृति यदि अन्यत्रके हिंदु दिखाएं तो देवताओंका अनादर रोकनेमें समय नहीं लगेगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इस आवेदनपर निपाणी (जिला बेलगांव) स्थित हिंदू जनजागृति समितिके श्री. प्रसाद श्रीप्पाण्णावरके साथ अन्य धर्माभिमानियोंके हस्ताक्षर हैं ।
आवेदनमें कहा गया है कि …
१. २५ मार्चके ‘दैनिक सकाळ’ के संस्करणमें ‘व्होटाबाईचे अभंग’ नामसे अभंगोंकी विडंबना करनेवाला राजनैतिक वक्तव्य देनेवाला लेख प्रसिद्ध हुआ है, तथा ‘आवाज महाराष्ट्राचा’ इस लोकसभा चुनावपर आधारित पन्नेपर ‘वाजवू का’ इस स्तंभमें ‘पिपाणीवाला’ उपनामसे पेंद्या तथा भगवान श्रीकृष्ण के मध्य कथित राजनैतिक संभाषणका वर्णन है । अपने देशमें लेखनस्वतंत्रता भले ही हो, किंतु लेखन स्वैराचार नहीं, यह ध्यानमें रखें ।
२. राजनैतिक विषयोंपर कोई भी वक्तव्य करनेका अधिकार आपको है ही; किंतु उसे करते समय देवताओंके नामका उपयोग करना, हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंपर आघात करना है ।
३. ‘सकाळ’ की लिखाईमें देवताओंके नामका उपयोग करनेवाले ये लेखक (?) अन्य धर्मियोंके श्रद्धास्थानोंका उपयोग करते क्यों घबराते हैं ? वे ऐसा राजनैतिक वक्तव्य लिखकर माेहम्मद पैगंबर, येशू ख्रिस्तके मुंहसे कहलवाएं ।
४. अन्यत्र लिखते समय सर्वधर्मसमभाव; किंतु श्रद्धास्थानोंका अपमान अपमान करते समय केवल हिंदु देवताओंका आधार लेनेवाली यह कौनसी पत्रकारिता है ?
५. अब हिंदु यह नहीं सहेंगे, अत: हिंदुओंकी धर्मभावनाओंका विचार कर इस स्तंभमें होनेवाली ऐसी लिखाई रोकें ।
६. नानासाहेब परूळेकरजीकी परंपरा आगे चलानेवाले सकाळकी विचारधारा ऐसी लिखाई अबसे आगे रोकेगी, ऐसी आशा करते हैं ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात