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गणेशमूर्ति का विसर्जन प्राकृतिक जलस्रोत में ही करना चाहिए !

पत्रकार परिषद में बोलते हुए बायीं ओर से श्री. धर्माधिकारी तथा श्री. तांदळे

पत्रकार परिषद में हिन्दू जनजागृति समिति की मांगें

पुणे : ३ सितम्बर को यहां के श्रमिक पत्रकार संघ में आयोजित पत्रकार परिषद में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. मिलिंद धर्माधिकारी तथा सनातन संस्था के श्री. चंद्रशेखर तांदळे ने अपने मनोगत व्यक्त किए । उस समय उन्होंने यह मांग की कि ‘लगातार बताने के पश्चात् भी प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा रासायनिक कार्यशाला, नाले का पानी तथा कूडे के कारण हो रही पर्यावरण की हानि रोकने के लिए कोई भी कृत्य नहीं किया जाता; किंतु वही महापालिका प्रशासन तथा पाखंडी पर्यावरणवादी वर्ष में केवल एक बार आनेवाले गणेशोत्सव को प्रदूषण के लिए उत्तरदायी सिद्ध करते हैं । अनेक स्थानों पर साधारण गणेशभक्तों को बलपूर्वक गणेशमूर्ति का दान करने अथवा करोडों रुपए व्यय कर बनाए गए कृत्रिम कुंड में विसर्जन करने के लिए विवश किया जाता है । अतः धर्मशास्त्रानुसार गणेशमूर्ति का समुद्र, नदी अथवा बहते पानी में विसर्जन करने का सुझाव प्रदान करें ।’ उस अवसर पर सृष्टि इको रिसर्च इन्स्टिट्युट की पल्लवी पाटिल तथा उनके सहयोगी भी उपस्थित थे ।

श्री. धर्माधिकारी ने बताया कि ‘सूचना अधिकार में प्राप्त सूचनानुसार कूडे के वाहन से श्रीगणेशमूर्ति का परिवहन किया जाता है । इससे गणेशमूर्ति का अनादर होता है तथा हिन्दुओं की धार्मिक भावना आहत होती है । प्रशासन के अक्षम्य अनदेखापन के कारण पूरे वर्ष पर्यावरण का अधिकाधिक ह्रास ही होता रहता है । शाडू मिट्टी की मूर्ति तथा प्राकृतिक रंगों को पर्याय देने की अपेक्षा मूर्तिदान तथा कृत्रिम कुंड में विसर्जन करने के लिए बताकर पश्चात् उन मूर्तियों को कूडे के रूप में फेंककर गणेशभक्तों के साथ विश्वासघात किया जाता है; इस संदर्भ में मूर्ति का अनादर करनेवालों पर अपराध प्रविष्ट करने की भी मांग की जाएगी । 

साथ ही श्री. धर्माधिकारी ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण द्वारा (नेशनल ग्रीन ट्र्र्रिब्युनलन द्वारा) ९ मई २०१३ को गुजरात शासन ने प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाई गई गणेशमूर्ति के कारण प्रदूषण नहीं होता है, यह स्पष्ट करते हुए प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति पर किया गया प्रतिबंध उठा लिया है । इसके अतिरिक्त यह आदेश भी दिया है कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण द्वारा गणेशमूर्ति की ऊंचाई तथा प्राकृतिक रंग के संदर्भ में शासन को कुछ कृत्य करने चाहिए । साथ ही हिन्दुओं की धार्मिक भावना आहत करनेवाला मूर्तिदान तथा उसको कृत्रिम कुंड में विसर्जन करना, इन कृत्यों पर पाबंदी डालनी चाहिए । धर्मशास्त्रानुसार गणेशमूर्ति का विसर्जन प्राकृतिक जलस्रोत में करना चाहिए ।’ उस समय श्री. तांदळे ने गणेशोत्सव धर्मशास्त्रानुसार मनाने के संदर्भ में किए जानेवाले समाजप्रबोधन पर कार्यक्रमों की जानकारी दी।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 

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