चैत्र शुक्लपक्ष २, कलियुग वर्ष ५११५
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भारत ने ऑस्ट्रेलिया से अनुरोध किया है कि वह उसकी 'चुराई गईं' हिंदू देवताओं की दो मूर्तियां लौटा दे।
भारत की ये दोनों मूर्तियां ऑस्ट्रेलिया की 'नेशनल गैलरी' संग्रहालय में प्रदर्शित की गई थीं। अब इन दोनों मूर्तियों में से भगवान शिव की मूर्ति वहां से हटा दी गई है।
हिंदू देवताओं की इन दुर्लभ मूर्तियों को ऑस्ट्रेलिया के संग्रहालय ने साल २००८ में न्यूयॉर्क के एक व्यापारी से ५० लाख डॉलर में खरीदा था। उस व्यापारी पर आरोप है कि वह प्राचीन वस्तुएं चुरा कर उनकी खरीद-फरोख्त करता है।
दूसरी मूर्ति को भी 'न्यू साउथ वेल्स' आर्ट गैलरी से हटा लिया गया है।
'चोरी की गई' इन मूर्तियों को ऑस्ट्रेलिया के संग्रहालय को बेचेने वाले व्यापारी का नाम सुभाष कपूर है, जो कि भारतीय मूल के हैं।
९०० साल पुरानी मूर्ति
सुभाष कपूर पर भारत में बेशकीमती मूर्तियां और दूसरी प्राचीन वस्तुओं की क्लिक करें चोरी के आरोप में मुकदमा चल रहा है। वे भारत में होने वाली सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया की 'नेशनल गैलरी' ने भी कपूर और उनकी कंपनी पर न्यूयॉर्क में मुकदमा दायर किया है। गैलरी ने यह कहते हुए मुकदमा किया है कि मूर्तियों से जुड़े दस्तावेज जाली हैं।
माना जा रहा है कि यदि जालसाजी से जुड़ा यह आरोप साबित होता है तो व्यापारी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
एक बयान में कहा गया है कि क्लिक करें संग्रहालय ने शिव की मूर्ति खरीदने से पहले एक साल से भी ज्यादा समय तक इसकी जांच-परख की। शिव की कांसे की यह मूर्ति ९०० साल पुरानी है।
शिव की यह मूर्ति तमिलनाडु के चोल राजाओं के समय में पाई जाने वाली कांस्य की उत्कृष्ट मूर्तियों का एक उदाहरण है।
गैलरी की ओर से कपूर और उनकी कंपनी से खरीदी गई २२ मूर्तियों में से यह मूर्ति एक है।
भारत सरकार ने कहा है, "सांस्कृतिक संपदा कानून का उल्लंघन करते हुए इन मूर्तियों का निर्यात किया गया।"
ऑस्ट्रेलिया की मीडिया में आ रही रिपोर्टों के मुताबिक 'नेशनल गैलरी' म्यूजियम इन मूर्तियों को भारत सरकार को वापस करने की तैयारी कर रहा है।
स्त्रोत : BBC हिंदी