नई दिल्ली – २५ सितंबर को ईद-उल-जुहा से पहले फंड जुटाने के लिए पाकिस्तानी आतंकी संगठन कुर्बान किए जाने वाले जानवरों की खाल जमा करने की तैयारी में जुट गए हैं। गृह मंत्रालय के साथ साझा की गई पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से मिली खुफिया जानकारी के मुताबिक, बैन किए गए या संदिग्ध आंतकी संगठनों के लिए जानवरों की खाल फंड जुटाने का एक बड़ा जरिया होती है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, जानवरों की खाल का कलेक्शन बैन किए गए आतंकी संगठन खुद नहीं करते। जैश-ए-मोहम्मद, जमात-उद-दावा, तहरीक गलबा-ए-इस्लाम, हरकत-उल-मुजाहिदीन, अंसार-उल-उम्माह और अहले सुन्नत वल जम्मत जैसे संगठन कई अन्य संस्थाओं की मदद लेते हैं। इसके बाद खालें मोटी रकम पर चमड़ा फैक्ट्रियों को बेच दी जाती हैं।
जमात-उद-दावा फंड जुटाने के लिए फलाह-ए-इंसानियत संस्था की मदद लेता है, तो जैश-ए-मोहम्मद की मदद अल-रहमत ट्रस्ट करता है। इसी तरह, अंसाल-उल-उम्माह फंड कलेक्शन के लिए अल-हिलाल ट्रस्ट का नाम इस्तेमाल करता है। इसी तरह, अहले सुन्नत अल-इसर वेलफेयर ट्रस्ट की मदद से अपने आतंकी कारनामों के लिए पैसा जुटाता है।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गृह विभाग के मुताबकि, हर साल ईद-उल-जुहा के मौके पर कम से कम 1 करोड़ जानवर कुर्बान किए जाते हैं। इनकी खाल की कीमत करीब ३५०० करोड़़ पाकिस्तानी रुपये होती है। सूत्रों ने बताया कि एक गाय की खाल ५० डॉलर यानी करीब ३२५० रुपये की बिकती है।
खुफिया रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आतंकी संगठनों के कार्यकर्ता लोगों के घरों में जाकर भी फंड जुटाते हैं। इसके अलावा वे जुम्मे पर मीटिंग्स रखते हैं, जिसमें एक साथ तमाम लोग दान करते हैं। पाकिस्तान में इसके लिए बैनर-पोस्टर भी लगाए जाते हैं।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स