चैत्र शुक्ल पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
हिंदु संस्कृतिमें जन्म लेना महाभाग्य है ! – सु.श्री. सरस्वतीजी मिश्र
व्यासपीठ पर उपस्थित मान्यवर
जबलपुर (मध्यप्रदेश) : हिंदु नववर्ष अर्थात गुढीपडवा एवं हिंदु सेवा परिषदके द्वितीय स्थापनादिवसके निमित्त जबलपुरके हिंदु सेवा परिषदद्वारा सामूहिक गुढीपूजनके साथ सार्वजनिक धर्मसभाका आयोजन किया गया था । इस धर्मसभाको सु.श्री. साध्वी सरस्वतीजी मिश्र, सु.श्री. साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदीजी, डॉ.स्वामी मुकुंददासजी महाराज एवं हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री.रमेश शिंदे उपस्थित थे ।
सु.श्री. साध्वी सरस्वतीजी मिश्र उपस्थित हिंदू समुदाय को संबोधित करते हुए
धर्मसभामें हिंदु धर्मका महत्त्व बताते समय बालसाध्वी सरस्वतीजीने कहा, '' ईश्वरने हमें हिंदु संस्कृतिमें जन्म दिया, यही हमारे लिए महाभाग्यकी बात है । वर्तमान समयमें सेक्युलरके (निरपेक्षता) नामपर भारतमें ही हिंदुओंसे पराएपनका व्यवहार किया जाता है । श्रीकृष्णका अनादर करते समय कहा जाता है कि उसने गोपियोंके साथ नृत्य किया ; परंतु इसी श्रीकृष्णने केवल पांचवें वर्षकी आयुमें कालिया नागका मर्दन किया था । नृत्यके लिए श्रीकृष्णका उदाहरण देनेवाले क्या साधारण सर्पको हाथमें धारण कर नृत्य कर सकेंगे ? अतः अपनी चूक कृत्योंके समर्थनके लिए ईश्वरीय लीलाओंका उपयोग न करें । आज भारतमें पुलिस केवल १० रुपयोंके लिए गोमाताको पशुवधगृह ले जानेकी अनुमति देते हैं । ये सब अन्याय रोकने हेतु सभी हिंदुओंको संगठित होना चाहिए एवं धर्माचरण करना चाहिए ।''
सु. श्री. साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदीजी उपस्थित हिंदू समुदाय को संबोधित करते हुए
सु. श्री. साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदीजीने कहा कि व्यष्टी एवं समष्टी साधनामें क्रमशः आत्मा एवं राष्ट्र की रक्षा करनी चाहिए ।
डॉ. स्वामी मुकुंददासजी महाराज उपस्थित हिंदू समुदाय को संबोधित करते हुए
डॉ. स्वामी मुकुंददासजी महाराजने पश्चिमी सभ्यतावाले लोगोंके अंधानुकरणके कारण होनेवाली हिंदुओंकी हानिकी जानकारी देते हुए कहा कि पूर्वमें श्रीकृष्ण गोमाताका दूध, घी तथा मक्खन खाते थे । इसलिए उनमें गोवर्धन पर्वतको उठानेकी शक्ति थी । वर्तमान समयमें विदेशी प्रतिष्ठानोंके नूडल्स खानेवाले हिंदु बच्चोंको विद्यालयके दप्तरका भार भी असह्य होता है ।
हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे उपस्थित हिंदू समुदाय को संबोधित करते हुए
हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदेने धर्मपर होनेवाले आघातोंके संदर्भमें बताकर ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु धर्माचरण एवं हिंदुसंगठन करनेका महत्त्व बताया । उन्होंने कहा, ‘’आज वैटीकन अथवा मक्का-मदिनामें हिंदु विश्वविद्यालय नहीं हो सकता; परंतु मुसलमान हिंदुओंके तीर्थस्थल श्री तिरुपतिमें इस्लामिक विश्वविद्यालयका निर्माणकार्य कर रहे हैं । हिंदुओंके मंदिरोंका पैसा अल्पसंख्यकोंको वितरित किया जा रहा है तथा हिंदु इसपर मौन हैं । ‘’
हिंदुओंको नववर्षका महत्त्व बताते हुए श्री.शिंदेने कहा कि अंग्रेजोंके ग्रेगोरियन कैलेंडरमें मूलतः १० माह ही थे । उन्हें वर्षमें १२ माह होने चाहिए, ऐसा ज्ञात होनेके पश्चात जनवरी एवं फरवरी माह संलग्न किए गए । इसलिए अंतमें संलग्न फरवरीमें वर्षके दिन जोडने हेतु २८ अथवा २९ दिन होते हैं । जिन्हें जनवरी माह ज्ञात ही नहीं था, उनका १ जनवरी वर्षारंभ कैसा रहेगा ?
हिंदु सेवा परिषदके अध्यक्ष श्री. अतुल जेसवानी उपस्थित हिंदू समुदाय को संबोधित करते हुए
इस अवसरपर हिंदु सेवा परिषदके अध्यक्ष श्री. अतुल जेसवानीने परिषदके कार्यके विषयमें बताया । इस अवसरपर हिंदू जनजागृति समितिद्वारा ग्रंथविक्रय केंद्र तथा प्रदर्शनी लगाई गई थी । इस कार्यक्रमको ३५० हिंदुओंकी उपस्थिती थी ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात