चैत्र शुक्ल पक्ष ८, कलियुग वर्ष ५११६
स्वातंत्रताप्राप्तिकी दृष्टिसे देशकी स्वतंत्रताके लिए स्वतंत्रतासंग्राममें स्वयंको समर्पित करनेवाले क्रांतिकारियोंका जितना महत्व है, स्वतंत्रताके लिए प्रार्थना करनेवाले लोगोंका भी उतना ही महत्व है !
– स्वातंत्र्यवीर सावरकर
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आज सनातन संस्था, हिंदू जनजागृति समिति एवं अन्य हिंदुनिष्ठ संगठनोंके हजारों साधक एवं कार्यकर्ता समर्पितभावसे ‘हिंदु राष्ट्र ‘ स्थापित करने हेतु प्रयासरत हैं । धर्मजागृति सभा, राज्यस्तरीय अधिवेशन, न्यायालयीन लडाई, उपक्रम तथा आंदोलन आदियोंके माध्यमसे यह कार्य चालू है । इसके लिए प्रतिदिन सहस्रों रुपयोंका व्यय हो रहा है । ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करनेकी दृष्टिसे इस कार्यमें प्रत्यक्ष सम्मिलित होनेवाले लोगोंका जितना महत्व है, इस कार्यको सहायता करनेवाले लोगोंका भी उतना ही महत्व है ।
वर्तमान समयमें प्रतिदिन मोबाईलपर (दूरभाष) आवश्यकतासे अधिक बोलना; विशेष आवश्यकता न होते हुए भी वेफर्स तथा चीप्स समान खानेयोग्य वस्तुएं क्रय करना; उपाहारगृहमें (रेस्टोरेंट) जाना, इस प्रकार न जानें कितने बातोंपर अकारण पैसा खर्च होता है । प्रत्येक परिवारमें लगभग ३-४ लोग तो होते ही हैं । यदि प्रत्येक परिवारने निश्चय किया, तो सप्ताहमें लगभग १०० रु. बिलकुल सरलतासे बचाना संभव है । ऐसा करनेसे १ माहमें ४०० रु. एवं वर्षमें साधारण ५००० रुपयोंतक पैसे बचाना संभव होगा । यदि ऐसा निश्चय १०० परिवारद्वारा किया गया, तो वर्षमें ५ लाख रुपये, १००० परिवारोंने किया, तो वर्षमें ५० लाख रुपए एवं १०००० परिवारोंने ठहराया, तो वर्षमें ५ करोड रुपए सरलतासे बचाना संभव होगा । यदि भारतभरके हिंदुओंने ऐसा निश्चय किया, तो इन पैसोंसे होनेवाले कार्योसे हम भारतमें ही नहीं, अपितु समूचे विश्वमें ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित कर सकेंगे !
मुसलमान एवं ईसाईयोंके धर्मप्रसार एवं धर्मबंधुओंके लिए लाखों रुपए व्यय किए जाते हैं । पश्चात हिंदुओंको हिंदु धर्मकार्यके लिए एवं ‘हिंदु राष्ट्र’ के लिए क्यों नहीं करने चाहिए ? हिंदुओ, अंततः प्रस्थापित लोकतंत्र नहीं, अपितु ‘हिंदु राष्ट्र’ ही आपकी रक्षा करेगा, यह ध्यानमें रखे ! ब्रिटिशोंके विरुद्ध किए गए स्वतंत्रतासंग्राममें २५ प्रतिशत भारतीय जनताने प्राणोंकी चिंता न करते हुए देशके लिए लडाई की थी । आज ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु न्यूनतम धनका दान देकर अपना दायित्व तो भी निभाएंगे !
दान सदैव सत्पात्रको दिया जाना होना चाहिए; क्योंकि ऐसे दानका दान देनेवाले व्यक्तिको अधिक लाभ होता है । सनातन संस्था एवं हिंदू जनजागृति समिति ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु कार्यरत हैं तथा वर्तमान समयमें यही कार्य सबसे महत्त्वपूर्ण है । इन संस्थाओंको दिया गया दान सत्पात्री कहलाता है ! – पू. श्री. संदीप आळशी, सनातन संस्था
हिंदुओ, हिंदू जनजागृति समिति को दान कर ईश्वरीय कृपाके लिए पात्र हों !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात