चैत्र शुक्ल पक्ष ८, कलियुग वर्ष ५११५
योकोहामा – यूएन ने भारत सहित दुनिया के सभी देशों को चेतावनी दी है कि क्लाइमेट चेंज की वजह से यहां पर आने वाले कुछ वर्षो में युद्ध के हालात पैदा हो जाएंगे और भूख से लोगों की मौंते होंगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली आैर मुंबई जैसे कई बड़े शहरों पर बाढ़ का खतरा भी मंडरा रहा है।
क्लाइमेट चेंज पहले ही हर देश पर अपने असर को दिखा चुका है और दिखा रहा है लेकिन अभी बहुत बुरा होना बाकी है। सोमवार को क्लाइमेट चेंज पर बने यूनाइटेड नेशंस के समूह के इंटरगर्वनमेंटल पैनल की रिपोर्ट को जारी कर दिया गया। इस पैनल के चेयरमैन राजेंद्र के पचौरी ने कहा कि धरती का कोई भी हिस्सा और कोई भी प्राणी क्लाइमेट चेंज के असर से तब तक नहीं बच सकता जबतक कि ग्रीनहाउस उत्सर्जन को नियंत्रित नहीं किया जाता।
इस रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया है कि कई देशों में आइस कैप्स पिघलते जा रहे है, आर्कटिक में बर्फ तेजी से पिघल रही है है, पानी की आपूर्ति पर खासा असर पड़ने वाला है, गर्मी और तेज बारिश आने वाले दिनों में और सताएगी, समुद्र के अंदर स्थित कई प्रजातियां जैसी मछलियां और दूसरे जीव-जंतु खत्म होने की कगार पर हैं। समुद्रों का स्तर बढ़ता जा रहा है जिसकी वजह से तटीय समुदायों पर भी खतरा दोगुना हो गया है।
इसके अलावा समुद्रों का बढ़ता जलस्तर इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि यह कार और दूसरे पावर प्लांट्स से निकलने वाली कार्बन डाइ ऑक्साइड को आसानी से ऑब्जर्व कर लेता है। रिपोर्ट की मानें तो आर्कटिक पर स्थित ऑर्गैनिक सतह तो जमी हुई थी अब पिघलना शुरू हो चुकी है।
रिपोर्ट की मानें तो यह कुछ भी नहीं है और अभी इससे भी ज्यादा बुरा होना बाकी है। इस पैनल की ओर से तीन रिपोर्ट जारी की गई हैं जिनमें से दूसरी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने लिखा है कि गरीब देशों को सप्लाई होने वाले खाद्यान्नों पर क्लाइमेट चेंज का असर दिखेगा और यह आपूर्ति अगले कुछ वर्षों के अंदर खतरे में पड़ती नजर आ रही है। इसकी वजह से गरीब देशों में रहने वाले लोगों को भूखों मरने के लिए तैयार रहना होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक २१ वीं सदी में क्लाइमेट चेंज की वजह से इकोनॉमिक ग्रोथ रुक जाएगी और गरीबी को खत्म करने में और मुश्किलें आएंगी। इसकी वजह से खाद्यान्न सुरक्षा कम हो जाएगी और नए गरीब तबकों का जन्म होगा। खास बात है कि शहरी इलाकों में हालात और भी खराब होने वाले हैं और यह इलाके भूख के अहम इलाके होंगे। लोगों में लड़ाई-झगड़े बढेंगे और जमीन एवं दूसरे संसाधनों की वजह से समाज में तनाव बढ़ेगा। रिपोर्ट की मानें तो इन सबके पीछे क्लाइमेट कंट्रोल अप्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार होगा। साथ ही गरीबी और आर्थिक झटकों को झेलने को तैयार रहना होगा।
स्त्रोत : oneindiahindi