भोजशाला मुक्ति आंदोलन अनुभवकथन : श्री. नवलकिशोर शर्माका एकल युद्ध और भाजपा सरकारद्वारा किया गया

सारणी


वक्ता : श्री. रमेश शिंदे, प्रवक्ता, हिंदू जनजागृति समिति

१. श्री. नवलकिशोर शर्मा – एक महापराक्रमी हिंदू योद्धा

१ अ. करोडों शत्रुओंसे लडनेवाले और विरोधियोंको

अपना शीश झुकानेके लिए विवश करनेवाले महापराक्रमी योद्धा !


श्री. नवलकिशोर शर्मा

        गुरुगोविंदसिंहजीने कहा है, सवालाख संग एक लडावा । ता मैं गुरुगोविंदसिंह कहावा । अर्थात यदि मैंने सवा लाख लोगोंके साथ लडनेवाले एकको सिद्ध किया, तो मैं गुरुगोविंदसिंह कहलाऊंगा । मैं कहता हूं कि हमारे गुरुदेवजीने करोडोंके साथ लडनेवाले एक नवलकिशोर शर्माजीको सिद्ध किया है । करोडोंके विरोधियोंके संगठन तथा राजनीतिक दलके साथ नवलजी केवल लडे ही नहीं अपितु उन्होंने इन लोगोंको अपना शीश झुकानेके लिए विवश किया है । ऐसे हमारे महापराक्रमी योद्धा हैं, श्री. नवलकिशोर शर्मा !  

१ आ. क्षात्रवृत्ति और भक्तिका अनोखा संगम

१ आ १. श्री. नवलकिशोर शर्माजीका पदोंकी अपेक्षा संगठनशक्तिपर अधिक विश्‍वास !

        प्रयाग कुंभमेलेमें मुझे नवलजीके साथ लंबे समयतक रहनेका अवसर प्राप्त हुआ था । आज प.पू. गुरुदेवजीने घोषणा की  नवलजीका आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत हो गया है और वे जन्म-मृत्युके चक्रसे मुक्त हो गए हैं । यदि आगामी अधिवेशनतक हम सभीकी इस प्रकार आध्यात्मिक उन्नति हो, तो हिंदु राष्ट्रकी स्थापना दूर नहीं । इस दृष्टिकोणसे मैं उनकी एक विशेषता बताना चाहता हूं कि नवलजी पदोंकी अपेक्षा संगठनशक्तिपर अधिक विश्‍वास रखते हैं ।

१ आ २. मेरे पास इकट्ठा धन मां सरस्वतीकी ही देन है, ऐसा भाव रखनेसे उसमेंसे एक रुपया भी अपने ऊपर व्यय न करना

        मैंने उन्हें अत्यंत निकटतासे देखा है । आंदोलनके समयकी अनेक घटनाओंका मैं साक्षी हूं । अनेक सूत्रोंके लिए मैं उनके साथ अनेक लोगोंसे मिलने जाता था । उस समय उन्हें समयसे भोजन भी नहीं मिलता था ।  ऐसा नहीं था कि नवलजीके पास पैसे नहीं होते थे; परंतु वे कहते थे, मेरे पास इकट्ठा धन मां सरस्वतीकी ही देन है । यदि मैं पांच रुपएकी चाय भी पीता हूं, तो मां सरस्वतीका पैसा व्यर्थ जाएगा । यह पैसा मां सरस्वतीके स्थानमुक्ति आंदोलनके लिए है, वह मुझपर नहीं; अपितु इस पवित्र कार्यके लिए ही व्यय होना चाहिए ।

१ आ ३. निरंतर सरस्वतीमाता मुक्ति आंदोलनकी ही धुन !

        क्या आज यह भाव हममें हैं ? क्या इस भावसे हम आंदोलन करते हैं ? इससे यह सहजतासे ध्यानमें आता है कि उन्होंने यह स्थान कैसे प्राप्त किया है ? अत्यंत शरणागत भावसे वे ईश्‍वरके चरणोंमें प्रार्थना कर प्रात: उठते, योगासन करते और नियमितरूपसे साधना करते हैं । उनके मनमें एक ही विचार रहता था कि इस आंदोलनको कैसे आगे बढाया जाए ?

१ इ. श्री. नवलकिशोरजीको बंदी बनानेकी राजनीति

१ इ १. श्री. नवलकिशोरजीको बंदी बनानेके लिए रेल स्थानकपर बडी संख्यामें पुलिसबल तैनात करना, उन्हें एक अत्यंत क्रूर आतंकवादीकी हत्या करनेकी सूचना देना और नवलकिशोर शर्मा नाम सुनकर पुलिसकर्मियोंका अचंभित होना

        जबलपुर रेल स्थानकपर नवलजीको बंदी बनानेके लिए बहुत बडी संख्यामें पुलिस बल तैनात किया गया था । क्या एक व्यक्तिको पकडनेके लिए इतनी बडी संख्यामें पुलिसबलका उपयोग किया जाता है ? पुलिसवालोंको यह नहीं बताया गया था कि नवलजीको बंदी बनाना है; अपितु उन्हें सूचित किया गया था कि इस रेलगाडीसे बहुत बडा आतंकवादी यात्रा कर रहा है तथा उसे पकडकर उसका एनकाउंटर करना है । केवल मां सरस्वतीकी कृपासे ही पुलिसने उनसे उनका नाम पूछा । जब उन्होंने अपना नाम नवलकिशोर शर्मा बताया, तब पुलिसवालोंको बहुत आश्‍चर्य हुआ । उन्होंने कहा अरे आप तो हिंदू हैं, ब्राह्मण हैं ! हमें तो सूचित किया गया था कि एक आतंकवादीको पकडकर उसकी हत्या (एनकाउंटर) करनी है ।  

१ ई. भोजशाला मुक्तियज्ञ आंदोलनकी दृश्यश्रव्य

चक्रिका (वीडियो वीसीडी) पानेके लिए शासन इतना उतावला क्यों ?

१ ई १. मंत्रियोंकी फौज और ६० अधिकारियोंके साथ मध्यप्रदेश शासनका विमान भेजना

        प्रयाग कुंभमलेमें श्री. नवलकिशोर शर्मा संतोंसे मिलकर उन्हें भोजशाला मुक्तियज्ञ आंदोलनकी दृश्यश्रव्य-चक्रिका दिखा रहे थे । उस दृश्यश्रव्य-चक्रिकाके विषयमें जानकारी प्राप्त करनेके लिए एक-दो नहीं, अपितु ६० अधिकारी एवं मंत्रियोंका बडा दल, एक विशेष विमानसे इलाहाबाद हवाईअड्डेपर उतरा । सभी हिंदुत्ववादी और राजनीतिक दल कह रहे हैं कि उस दृश्यश्रव्य-चक्रिकाको प्राप्त करनेके लिए मध्यप्रदेश शासनने विशेष विमान भेजा था ।

१ ई २. संतोंके निवासशिविरमें भी खोज

        कुंभमें प्रत्येक संतके शिविरमें जाकर उस दृश्यश्रव्य-चक्रिकाको खोजा जा रहा था । वहां अनेक अधिकारी तथा नेतागण इसे खोजनेके लिए आकाश-पाताल एक कर रहे थे ।

 

२. भाजपाशासित राज्यमें संतों और एक समाचारपत्रपर किया दबावतंत्रका उपयोग

२ अ. नवलकिशोरजीको बंदी बनाए जानेके उपरांत

आरंभमें समर्थन करनेके लिए सिद्ध संतोंका पीछे हटना और कारण

पूछनेपर भाजपा शासनद्वारा संतोंको धमकाकर आंदोलनसे परावृत्त करनेका पता चलना

        अनेक संत जो पूर्वमें हमारे समर्थक थे, वे नवलजीको बंदी बनाए जानेके उपरांत हमारा साथ देनेके लिए सिद्ध नहीं हुए । उनमेंसे एक-दो संतोंसे मिलकर हमने उनसे पूछा कि, आपने भरी धर्मसंसदमें कहा था कि आप नवलजीका साथ देंगे, आपने कहा है कि आप धर्मका साथ देंगे, भोजशालाके लिए हो रहे आंदोलनमें सहभागी होंगे, इसके लिए हम पत्रकार सम्मेलन कर रहे हैं; परंतु आपमेंसे एक भी संत उपस्थित नहीं हो रहे हैं, क्या कारण है ? तब संतजीकी आंखोंमें आंसू आ गए । उन्होंने कहा, मैं आपको हमारी दुर्दशा कैसे बताऊं ? हमारे आश्रम भाजपाशासित प्रदेशमें हैं तथा हमें धमकाया गया है कि यदि कोई संत भोजशाला आंदोलनके समर्थनमें खडा होगा, तो हमारे आश्रमोंपर आयकर विभागके छापे डाले जाएंगे तथा आश्रम बंद कर दिए जाएंगे । ऐसी स्थितिमें हम क्या करें, आप ही बताइए ?

२ आ. मतोंके लालचमें मुखौटा लगाकर घूमनेवाले संगठन !

        हमारा संगठन संतोंका आदर करनेवाला, संतोंके चरणोंमें बैठनेवाला संगठन है, ऐसा मुखौटा लगाकर घूमनेवाले संगठन चुनावोंके समय अपना वास्तविक रूप प्रकट करते हैं । वे मतोंके लिए मुसलमानोंके तुष्टिकरणपर उतर आते हैं और संतोंको धमकियां देते हैं यदि आप हिंदुत्वका साथ देंगे तो हम आपके आश्रम नहीं चलने देंगे । इस प्रकारके संगठन हैं और ऐसा काम कर रहे हैं ।

२ इ. भोजशाला मुक्ति आंदोलनका समाचार प्रकाशित करनेपर

समाचारपत्रको मिलनेवाले शासकीय विज्ञापन न मिलने देनेकी धमकी देना

        वहां राजस्थान पत्रिका नामक पत्रिका है, जो लगभग ९ दिनोंतक इस विषयको अपने मुखपृष्ठपर प्रमुख समाचारके रूपमें मुद्रित कर रहा था । अचानक इस पत्रिकाके संपादकने एक संतको लघुसंदेश भेजा, जिसमें कहा गया था, कलसे हम इस समाचारको मुद्रित नहीं कर सकते, क्योंकि हमें धमकी मिली है कि यदि हम इस समाचारको मुद्रित करते हैं तो हमारी पत्रिकाको मिलनेवाले शासकीय विज्ञापनोंको संपूर्णतया बंद कर दिया जाएगा । यह लघुसंदेश ही संतजीने हमें दिखाया ।

२ ई. शासनका अत्यंत योजनाबद्धरूपसे संत और प्रसारमाध्यमोंका गला घेंटना 

        इन सूत्रोंको आपके समक्ष इसीलिए लाए; जिससे आपको सत्य पता चले कि संत क्यों शांत थे ? प्रसारमाध्यम क्यों शांत थे ? प्रशासन शांत नहीं बैठा । उन्होंने अत्यंत सूत्रबद्ध पद्धतिसे संत और प्रसारमाध्यमोंका गला घोंटा । उन्होंने बातको दबानेका प्रयास किया । तथा यह किसी अन्य राजनीतिक दल, साम्यवादी, माओवादीने नहीं, अपितु हिंदुत्वके सूत्रपर राज्य करनेवाले, स्वयंको हिंदुओंका तारनहार कहलानेवाले भाजपाप्रणीत शासनने किया था ।

 

३. श्री. नवलकिशोर शर्माजीकी रक्षाके लिए माता सरस्वतीदेवीका दुर्गा बनकर दौडे चले आना

        मैं यहां नम्रतापूर्वक यह कहना चाहता हूं  कि ऐसी विकट परिस्थितिमें श्री. नवलकिशोरजीने जो कार्य किया, वह  विलक्षण तो है ही; परंतु इससे हमें यह सीख लेनी चाहिए कि वे साक्षात ज्ञान, वाणी और प्रतिभाकी देवी प्रत्यक्ष भगवती श्री सरस्वतीमाताकी स्थानमुक्ति हेतु आंदोलन कर रहे थे । वे हम हिंदुओंकी आराध्य देवी हैं और वही माता सरस्वती समय पडनेपर दुर्गामाता बनकर हमारी रक्षाके लिए दौडी चली आती हैं । श्री. नवलकिशोर भाग्यवान हैं । उन्होंने इसकी प्रत्यक्ष अनुभूति ली है और हम सभीको यह अनुभूति लेनेकी प्रेरणा दी है ।

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