हिंदुओ, हिंदु राष्ट्रकी स्थापनाका निश्‍चय करो ! – श्री. उपानंद ब्रह्मचारी, संपादक, हिंदू एक्जिस्ट

सारणी


 श्री. उपानंद ब्रह्मचारी, संपादक, हिंदू एक्जिस्टन्स, बंगाल.

श्री. उपानंद ब्रह्मचारी, संपादक, हिंदू एक्जिस्टन्स, बंगाल.

१. वर्ष २०२३ से २०२५ तक हम हिंदु राष्ट्र स्थापित करके ही रहेंगे, इस विषयमें कोई संदेह न रखें !

        वर्ष २०२३ से २०२५ तक हम हिंदु राष्ट्र स्थापित करके ही रहेंगे ! लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर और डॉ.  हेडगेवारने हिंदु राष्ट्रका जो चिंतन प्रस्तुत किया, वह अभीतक साकार नहीं हुआ । किंतु अधिवेशनके द्वितीय वर्षमें ही हम लोगोंको लगने लगा कि  वर्ष २०२३ से २०२५ तक हम हिंदु राष्ट्र स्थापित करके ही रहेंगे । इस विषयमें मनमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए ।

 

२. हिंदुओ, हिंदु राष्ट्रकी निर्मिति होनेके लिए यह अवश्य करें !

२ अ. धर्मपालन कर स्वयंमें १०० प्रतिशत हिंदुत्व निर्माण करो !

हिंदु राष्ट्र गठित करनेके लिए हम सब एकत्रित हुए हैं । भारतमें ८० प्रतिशत लोग हिंदू हैं, विविध हिंदू संगठन हैं, किंतु तत्पश्‍चात भी हिंदु राष्ट्र नहीं  बना । इसका कारण यह है कि मनमें दुविधा है, संदेह है । कोई भी संदेह हिंदु राष्ट्र बनानेमें बाधा ला सकता है । हिंदु राष्ट्रके लिए हम इकठ्ठा हुए हैं; किंतु धर्मसे हटकर ! हिंदु राष्ट्र बनानेके लिए हमें धर्मका पालन करना चाहिए । १०० प्रतिशत हिंदुत्व जब हमारे मनमें आएगा तब हिंदु राष्ट्र बनाना सुलभ हो जाएगा । २०२३ से २०२५ तक हिंदु राष्ट्र बन जाएगा यह निश्‍चय कर यदि हम चलते हैं, तभी हिंदु राष्ट्र संभव होगा ।

२ आ. धार्मिक साक्षरता बढाओ ! धर्मशिक्षा लो !

हिंदु राष्ट्रकी स्थापना हेतु धार्मिक निरक्षरताको हटाकर धार्मिक साक्षरता बढानी होगी । भारतमें अधिकांश लोग धार्मिक दृष्टिसे निरक्षर हैं । हम जब हिंदू राष्ट्रके विषयमें सोचते हैं, तब यह ध्यान रखना होगा कि, हमारी निरक्षरता अर्थात धार्मिक निरक्षरता है ।  हमें इस धार्मिक निरक्षरताको हटाना होगा । धर्मके विषयमें साक्षरता बढानेके लिए कुछ योजनाएं बनानी होंगी । प्रत्येक हिंदूके धार्मिक बननेसे धर्म राष्ट्र अर्थात हिंदु राष्ट्र बनना सुलभ हो जाएगा ।

२ इ. धार्मिक बननेके लिए नैतिक मूल्योंको आचरणमें लाएं !

शुद्ध नैतिकताका आचरण करनेसे भी हम धार्मिक हो सकते हैं । स्वामी विवेकानंदने कर्मकांड और धर्मके विषयमें कहा है,  मंदिरमें जाना हमारा कर्तव्य है; परंतु मंदिरमें न जाए बिना भी हम धर्माचरण कर सकते हैं । धर्म कर्मकांडसे भिन्न है । इसके विषयमें स्वामी विवेकानंदने कहा है, धर्म दिव्यताकी अभिव्यक्ति है । (रिलिजन इज द मैनिफस्टेशन ऑफ डिविनिटी),  महर्षि अरविंदने दैवी जीवन (डिवाईन लाईफ), कहा है । शुद्ध आचरण, धार्मिक और नैतिक मूल्योंका आचरण कर हम धर्मपालन कर सकते हैं ।

२ ई. ब्राह्मतेज और क्षात्रतेज बढाएं !

ब्राह्मतेज और क्षात्रतेजका विकास करनेपर ही हम हिंदु राष्ट्रका निर्माण कर सकते हैं । संगठन चलाते समय जो लोग हमारा विरोध करते हैं, उनका नाश करना चाहिए । गीतामें भगवान श्रीकृष्णने कहा है, परित्राणाय साधुनाम् । विनाशायच् दुष्कृताम् । ऐसा करनेसे ही धर्मसंस्थापना होगी । हमें धार्मिक बल बढाना होगा । सनातन संस्थाने कहा है, ब्राह्मतेजका विकास और जो हमारे विरुद्ध हो उनका सर्वनाश । ऐसा करनेसे ही हिंदु राष्ट्र बनेगा, किंतु यही हम नहीं करते ।  ब्राह्मतेज और क्षात्रतेजका विकास करनेके लिए स्वयं भगवानने ही कहा है ।

 

३. अन्य धर्मियोंकी भांति हिंदु धर्मका विकास

सुनियोजितरूपसे न होना, यह हिंदु राष्ट्र-निर्मितिकी बाधा !

        इस्लाम और ईसाईयतका विकास सुनियोजित ढंगसे हुआ है । बलवान संगठन होते हुए भी भारतमें नियोजनके अभाववश हिंदु राष्ट्र नहीं बन पाया । हम नियोजनबद्धरूपसे काम नहीं करते, इसके निम्नलिखित दुष्परिणाम हुए हैं ।

अ. १९४७ में जब भारतका विभाजन हुआ, तब पाकिस्तानको मुस्लिम राष्ट्र मिल गया; परंतु वर्ष १९२५ से बलवान संगठन होते हुए भी देशमें हिंदु राष्ट्र नहीं बन पाया ।

आ. हम देखते हैं तिब्बतमें स्वतंत्रताके लिए कितने ही बौद्ध भिक्षुक आत्माहुति देते हैं । हम लोगोंने क्या किया ? हिंदु राष्ट्र नहीं बना, तो चुपचाप स्वीकार कर लिया ।

इ. १९४७ के पश्‍चात हमने देखा, हिंदु राष्ट्र हाथसे निकलता जा रहा है, परंतु कुछ नहीं किया ।

ई. १९७१ बांग्लादेशमें मुक्ति आंदोलन हुआ, उस समय हिंदुओंकी क्या दुर्दशा हुई ? तब भी हम शांत रहे !

उ. १९८२ में कश्मीर घाटीमें हिंदुओंपर वार हुए ।    ये सब होता रहा, और हम चुपचाप बैठे रहे ।

 

४. हिंदु राष्ट्र निर्मितिका विचार केवल सनातन संस्था

अथंवा हिंदू जनजागृति समितिके मनमें नहीं, अपितु सभीके ही मनमें आना चाहिए !

        भगवानने यह सिद्ध कर दिखाया कि ऐसा एक संगठन है, जो २०२३ से २०२५ तक हिंदु राष्ट्र स्थापित करेगा ! अन्य किसी संगठनके पास जाकर पूछेंगे कि हिंदु राष्ट्र कब होगा,  तो वे बात टालनेका प्रयास करते हैं । उनकी इच्छा ही नहीं है कि हिंदु राष्ट्र बने । २०१२ में हिंदु राष्ट्र होगा, यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघकी शाखासे कई बार सुनते आए हैं, किंतु नहीं बना । क्यों नहीं बना, इस संदर्भमें अब कुछ नहीं लगता; क्योंकि भगवानने यह सिद्ध कर दिखाया कि ऐसा एक संगठन है, जो २०२३ से २०२५ तक हिंदु राष्ट्र स्थापित करनेवाला है ।
        यह विचार केवल सनातन संस्था अथवा हिंदू जनजागृति समितिका ही नहीं, अपितु सभीके मनमें होना चाहिए; तभी हिंदु राष्ट्रका निर्माण करना सुलभ होगा ।

 

५. धर्महानि करनेवालोंको हमें ही रोकना होगा !

        हमारे धर्मकी हानि करनेवाले विषयोंको अब हमें हटाना ही होगा । हिंंदुओंके मनमें जो सर्वधर्मसमभाव है, वह सरासर झूठ है । धर्म तो एक ही है । हम लोग हमारा धर्म जानते हैं, तब भी अधर्मियोंका सम्मान करना, हमारा स्वभाव बन गया है । आज हमारे देशमें घुसपैठिए आते हैं, उन्हें अनुमति मिलती है । चौराहेपर मुसलमानका उपाहारगृह बनता है, मस्जिदमें चार-चार ध्वनि- विस्तारक यंत्र (लाउडस्पीकर) लगाए जाते हैं, सबको अनुमति है । यह सब हमें बंद करना होगा । हमारे धर्मकी हानि करनेवालोंको रोकनेका प्रयास यदि हमने नहीं किया, तो यह ऐसा ही होता रहेगा ।

 

६. मुसलमान और ईसाई तथाकथित सर्वधर्मसमभावी

(सेक्युलर) (हिंदू) लोगोंका आधार लेकर भारतमें हिंदु राष्ट्रके विरोधमें कार्य करना

        आज हिंदुओंकी जो स्थिति है, उसके कारण हैं जयचंदी हिंदू ! यदि आप थोडा गहन अध्ययन करेंगे, तो आपको समझमें आएगा कि धर्महानि भी इन जयचंदी हिंदुआेंके सहयोगसे की जाती है ! ये जयचंदी हिंदू कौन हैं ? ये जयचंदी हिंदू हैं अखिलेश यादव, उनके पिता मुलायमसिंह यादव, नितिशकुमार, ममता बैनर्जी और ये सब निधर्मी (सेक्युलर) हैं ! ये मुसलमान और ईसाईसे भी अधिक हानिकारक हैं; क्योंकि मुसलमान और ईसाई सेक्युलरको आधार बनाकर भारतमें हिंदु राष्ट्र विरोधी कार्य कर रहे हैं । इस निधर्मीवादको (सेक्युलेरिज्मको) पूर्णतया हटा देना चाहिए, नहीं तो आरक्षण दिया जाएगा और ये आरक्षण धर्मपर आधारित होगा ।

 

७. हिंदुआेंको ज्ञान अथवा धर्मकी शिक्षा देने हेतु मंदिरोंका महत्त्व बढाओ ! 

        चर्चमें जानेवाले ईसाई और मस्जिदमें जानेवाले मुसलमानोंको उनके धर्मका संपूर्ण ज्ञान मिलता है; परंतु हिंदुओंको अपने मंदिरमें ऐसा ज्ञान नहीं मिलता अथवा धर्मके विषयमें कोई भी शिक्षा कहीं भी नहीं मिलती । मंदिरोंका महत्त्व घट गया है, उसको बढाना चाहिए । मंदिरोंकी हमने अनदेखी की है । हिंदुओंका एक सार्वजनिक पूजा दिन होना चाहिए । उस विशेष दिन हिंदुओंको मंदिर जाना ही चाहिए । यदि ऐसा होगा, तो जो उपेक्षित मंदिर हैं, उनकी स्थितिमें परिवर्तन आ जाएगा ।

 

८. हिंदू संगठनोंके नेता चाहें, तो १० मिनटमें हिंदु राष्ट्रकी स्थापना हो सकती है ! 

        हिंदू संगठनोंके नेता चाहें, तो १० मिनटमें हिंदु राष्ट्रकी स्थापना हो सकती है ! सभी हिंदू संगठनोंके नेता यदि हिंदु राष्ट्रके लिए एक साथ आकर संकल्प करें, तो दस मिनटमें हिंदु राष्ट्र बन सकता है; परंतु हम लोग एक होकर नहीं बैठते । सारे लोग अलग-अलग प्रयास कर रहे हैं ।
        सारी बाधाओंको सुलझानेके लिए भगवानसे, हिंदुआेंको सुबुद्धि हो, एक साथ सभी हिंदु राष्ट्रके लिए जुट जाएं, हिंदु राष्ट्रकी स्थापनामें आनेवाली प्रत्येक बाधा टल जाए, ऐसी प्रार्थना करेंगे ।

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