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त्र्यंबकेश्वरके दर्शन हेतु अवैधानिक रूपसे शुल्क रखनेपर अपराध प्रविष्ट किया जाएगा

चैत्र शुक्ल पक्ष १०, कलियुग वर्ष ५११५

सनातनद्वारा देवस्थान समितिमें रहनेवाले मंदिरोंका बाजारीकरण करनेको कारणभूत लोगोंके नाम प्रविष्ट किए गए हैं । ऐसे लोगोंको ‘हिंदु राष्ट्र’ में आजन्म कठोर साधना करनेका दंड दिया जाएगा !

नासिक : बारह ज्योतिर्लिंगाेंमेंसे एक त्र्यंबकेश्वरके दर्शन हेतु शुल्क रखनेवाले त्र्यंबकेश्वर देवस्थान न्यासके विरुद्ध अपराध प्रविष्ट किए जानेकी संभावना उत्पन्न हो गई है । केंद्रीय पुरातत्व विभागद्वारा पत्र भेजा गया है, जिसमें इस प्रकार शुल्क लेकर दर्शन देना अवैधानिक बताया गया है । 

१. त्र्यंबकेश्वर देवस्थान न्यासद्वारा २०० रुपए लेकर त्र्यंबकेश्वरके सीधे गर्भगृहतक जाकर दर्शन देनेकी व्यवस्था की गई है । (हिंदुओंके मंदिरोंमें इस प्रकारकी अनुचित घटनाएं होनेके कारण ही अनेक हिंदुओंकी धर्मपर रहनेवाली आस्था न्यून हो रही है । इससे ध्यानमें आता है कि शास्त्रके विरोधमें कृत्य करनेवाले ऐसे हिंदुओंको धर्मशिक्षाकी कितनी आवश्यकता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )  

२. परिणामतः पिछले श्रावण माहसे यह प्रकार नियमित किया गया है तथा इस दर्शनसे मंदिर न्यासके पास डेढ करोड रुपयोंकी निधि एकत्रित हुई है ।

३. नासिकमें त्र्यंबकेश्वर मंदिर प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल है । इसलिए मंदिरके कानूनके अनुसार ही केंद्रीय सुरक्षा स्मारकका स्तर दिया गया है । इसलिए इस मंदिरकी सुरक्षा एवं व्यवस्थाका दायित्व केंद्री पुरातत्व विभागके पास है । 

४. पुरातत्व विभागको ऊपराेमक्त घटना ज्ञात होते ही उसने न्यासको पत्र भेजा ।

५. इस पत्रमें कहा गया है कि किसी भी केंद्री सुरक्षा स्मारकके स्थानपर अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्तियोंको प्रवेश देकर शुल्क लेना ‘प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल अवशेष अधिनियम १९५८’ के विरुद्ध है । इसलिए इस प्रथाको तत्काल बंद करें ।

६. इस पत्रको न्यासद्वारा दुर्लक्षित किया गया । अतः इसपर गंभीरतासे ध्यान केंद्रित करते हुए पुरातत्व विभागके संभाजीनगर कार्यालयने न्यासके अध्यक्षके विरुद्ध अपराध प्रविष्ट करनेके संदर्भमें गतिविधियां आरंभ की है, ऐसा महाराष्ट्र टाइम्सद्वारा संकेतस्थलपर प्रसारित किया गया है  ।

७. नासिक कार्यालयसे संभाजीनगरको ‘शुल्क लेकर दर्शन देना बंद नहीं किया गया’, ऐसा अहवाल प्राप्त होनेपर अपराध प्रविष्ट हो सकता है ।

८. त्र्यंबकेश्वर देवस्थान न्यासका अध्यक्षपद नासिक जिला न्यायाधीशके पास है । (अध्यक्षपदपर न्यायाधीश रहनेवाले न्यासके माध्यमसे ऐसा बेढंगा कार्य किया जाता है । इससे एक न्यायाधीशद्वारा होनेवाली मंदिरोंकी दुरवस्था स्पष्ट होती है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

९. इस न्यासकी एक न्यासी विश्वस्त ललिता शिंदेने कहा कि शुल्क लेकर दर्शन देनेका प्रस्ताव सात विरुद्ध दो मतोंसे सम्मत हुआ । मेरा पूर्वसे ही विरोध था; अब इस घटनाको अवश्य रोक लगेगी । (केवल बैठकमें विरोध करनेके साथ ललिता शिंदे समान धर्माभिमानीने यदि समाजजागृति कर इस अनुचित घटनाको विरोध किया, तो इस प्रकारके अधर्मको रोक लग सकती है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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