अमरावती (महाराष्ट्र), २५ फरवरी (वृत्तसंस्था) – हिंदु जनजागृति समितिद्वारा कुछ मूर्तिकारोंको संपर्क कर, उन्हें धर्मशास्त्र समझाया गया एवं गणेशमूर्तियां अध्यात्मशास्त्रीय दृष्टिकोण सामने रखकर शाडूकी मिट्टीसे बनानेके लिए विनती की गई । इसके लिए मूर्तिकारोंसे सकारात्मक प्रतिसाद मिला । वर्तमानमें समाजमें गणेशमूर्तियां विभिन्न रूपों एवं परिधानोंमें दिखाई देती हैं । धर्मशिक्षणके अभाव एवं केवल कल्पनाविलास तथा आधुनिक जीवनप्रवाहके कारण समाज ऐसा करनेके लिए प्रवृत्त होता है । ग्राहकोंकी मांगके अनुसार पूर्ति करनी होती है । इसलिए मूर्तिकार मूर्ति बनाते समय मूर्ति बनानेके शास्त्रको भूल जाते हैं । अनेक मूर्तिकारोंसे ऐसी प्रतिक्रिया आई है कि उन्हें अध्यात्मशास्त्रकी दृष्टिसे मूर्ति बनाना पसंद है । इस अवसरपर समितिके श्रीमती पल्लवी हंबड, श्रीमती बेला चव्हाण, श्रीमती छाया टवलारे, श्रीमती अभ्यंकर तथा श्रीमती रेखा मालपाणी उपस्थित थे ।
अभिमत :
१. श्री. दिनेश टेंभरे, युवा अध्यक्ष, मूर्तिकार संगठन – हम इसके लिए समाजमें प्रबोधन करेंगे ।
२. सर्वश्री शंकरराव मुंदे एवं बद्रीनारायण गोरले,मूर्तिकार – हमें भी ऐसा लगता है कि गणेशमूर्ति शाडू मिट्टीकी हो; परंतु समाजकी मांगके अनुसार हम ‘प्लास्टर ऑफ पैरिस’ की मूर्तियां बनाते हैं । अमरावतीमें योग्य शाडूकी मिट्टी नहीं मिलती ।
३. श्री. रवि चिल्होरकर, मूर्तिकार – शास्त्रके अनुसार मूर्तियां बनाना आवश्यक है । हम आजसे नामजप करते हुए मूर्तियां बनाएंगे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात