नई दिल्ली – भारत को चिंता है कि, नेपाल के नए संविधान में मधेसियों सहित सभी वर्गों और इलाकों के हितों का ध्यान नहीं रखा जाएगा। इसलिए भारत नेपाल के संबंधित पक्षों से बातचीत कर रहा है ताकि अगले रविवार को वहां नया संविधान अपनाए जाने से पहले नाराज वर्गों की मांगों को पूरा करने के बारे में कोई समझौता हो जाए।
नेपाल में सभी वर्गों की जरूरतों को पूरा करने वाली व्यापक राजनीतिक व्यवस्था को बनाने में मदद करते हुए वहां स्थायित्व सुनिश्चित करना मोदी सरकार की प्राथमिकता में है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस सिलसिले में बातचीत करने के लिए नेपाल में इंडिया के राजदूत रंजीत राय कुछ घंटों के लिए दिल्ली आए थे।
नेपाल में २० सितंबर को नया संविधान अपनाया जाना है। इससे पहले दिल्ली से कई सीनियर अधिकारी काठमांडू जा चुके हैं। माना जा रहा है कि मोदी सरकार नेपाली लीडरशिप को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि रविवार से पहले कोई समझौता हो जाए ताकि बिहार और उत्तर प्रदेश से सटे नेपाल के तराई इलाके में रहने वाले मधेसियों की राजनीतिक उम्मीदें पूरी हों। हालांकि नए संविधान में ऐसा एग्रीमेंट शामिल कर पाना मुश्किल होगा। नए संविधान को नेपाल की संविधान सभा ने बुधवार शाम को दो तिहाई बहुमत से मंजूर किया था। माना जा रहा है कि अगर कोई समझौता हुआ तो वह संविधान के दायरे से बाहर होगा।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स