अमरीका स्थित हिन्दू स्टूडेंटस् कांऊसिल अर्थात HSC द्वारा अमरीका के न्यू जर्सी के एडिसन में ग्यारह से १३ सितंबर की कालावधी में जागतिक धर्म सम्मेलन का आयोजन हुआ था ।
१३ देशों के एक सहस्र से अधिक लोगों ने इसमें भाग लिया । कांऊसिल तथा सम्मेलन के अध्यक्ष श्री. निकुंज त्रिवेदी ने इस समय कहा, यह सम्मेलन हिन्दू धर्म का एक जयगान था ! उन्होंने आगे कहा, सम्मेलन में अधिकांश उपस्थितों ने सभ्यता के इतिहास में हिन्दू धर्म के मौलिक योगदान को और उस शिक्षा की आज के समय में उपयोगिता को माना ।
सम्मेलन को प्रिसंटन विश्वविद्यालय के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ मंजुल भार्गव ने संबोधित किया । उन्होंने कहा, विज्ञान और इतिहास की अनेक अशुद्धियों को ठीक करने की आवश्यकता है । इससे मानव-सभ्यता में हिन्दू धर्म द्वारा किए गए योगदान को उचित पहचान मिलेगी ।
भार्गव ने आगे कहा कि, आज के समय में प्रयोग की जा रही संख्याआें को अरबी संख्या प्रणाली के स्थान पर हिन्दू संख्या प्रणाली कहना चाहिए । कैलकुलस की प्रारंभिक खोज, पास्कल त्रिभुज, ऋणात्मक संख्याएं और द्विघात सूत्र आदि के मूल संशोधनकर्ता हिन्दू ही थे ऐसा भार्गव ने इस समय संदर्भ देते हुए कहा ।
मुख्य वक्ता के रूप में वैदिक विद्वान एवं पद्मभूषण प्राप्त डॉ. डेविड फ्रॉली अर्थात पंडित वामदेव शास्त्रीजी उपस्थित थे । अमेरिकन इन्स्टीट्यूट ऑफ वेदिक स्टडीज के अध्यक्ष डॉ. फ्रॉली ने इस समय कहा, योग की हिन्दू विरासत को मान्यता दी जानी चाहिए और इस परंपरा को नष्ट होने से बचाना चाहिए ।
बेंगलुरू, भारत से आर्ट ऑफ लिविंग फाऊंडेशन के श्री श्री रविशंकर जी ने भी वीडियो कान्फरेंस द्वारा उपस्थितों का मार्गदर्शन किया ।